अटल ने कहा..वक्त है बदलाव का…अनुशासन कांग्रेस की पूंजी…रसूखदार नहीं…अब जनता करेगी फैसला

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— पीसीसी के कुछ दिशा निर्देश हैं.. दिशा निर्देशों का पालन करना पार्टी कार्यकर्ताओं का धर्म है। कांग्रेस बहुत बड़ा परिवार है। परिवार के सदस्यों में मतभेद हो सकते हैं..मनभेद होने का सवाल ही नहीं उठता है। पार्टी कार्यकर्ता पार्टी को जीतते देखना चाहता है। कांग्रेस पार्टी का जन्म आजादी से जुड़ा है। पार्टी के एक एक कार्यकर्ताओ को कोई भरमा नहीं सकता है। रायशुमारी कांग्रेस की ताकत है। कांग्रेस का एक एक कार्यकर्ता लोकतांत्रिक मूल्यों को अच्छी तरह से समझता है। लेकिन जोश भी कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत है। बिलासपुर रायशुमारी के दौरान कुछ ऐसा ही देखने को मिला। लोगों ने जोश को देखकर गुटबाजी समझ लिया। जबकि सच्चाई इससे बिलकुल जुदा है। यह बातें प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अटल श्रीवास्तव ने कही। अटल ने कहा कार्यकर्ताओं को पूरा अधिकार है वे नाराज हों। लेकिन दिशा निर्देशों का पालन करना हर कार्यकर्ता और पदाधिकारियों का कर्तव्य है।

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                             प्रदेश महामंत्री अटल ने बताया कि रायशुमारी के दौरान कुछ भी गड़बड़ नहीं हुआ। दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण लोगों को अपनी बातों को रखने का पर्याप्त समय नहीं मिला। जिसे लेकर दावेदारों में नाराजगी देखने को मिली। बाद में नाराज दावेदारों ने भी माना 49 लोगों को एक दिन में विस्तार से सुना जाना मुश्किल है। खुद मैने भी नियमों और दिशा निर्देशों में रहकर अपनी बातों को रखा है। अफसोस की मै भी अपनी बातों को विस्तार से नहीं रख सका।

                   अटल ने बताया कि रायशुमारी में कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष की भूमिका अहम है। समन्वयक के सामने कमेटी अध्यक्षों को गोपनीय रूप से जनता की पसंद को बताना होता है। बिलासपुर विधानसभा रायशुमारी में भी ऐसा ही हुआ। कुछ लोगों को बात समझ में नहीं आई। जिसके दावेदारों ने आक्रोश जाहिर किया। आक्रोश से जाहिर होता है कि लोग भाजपा सरकार से कितना तंग आ चुके हैं। सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए एक-एक कार्यकर्ता मुढ्ठी कसकर चुनाव का इंतजार कर रहा है।

                      अटल ने बताया कि कांग्रेस में ही सच्चा लोकतंत्र है। मुझे जानकार खुशी हुई है कि पार्टी का सिपाही प्रेमदास मानिकपुरी ने भी ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष को जमकर खरी खोटी सुनाई है। उसने दुख जाहिर किया है कि फार्म भरने का अवसर नहीं मिला। अजय पंत ने भी दावेदारी की है। ऐसा लोकतंत्र या तो हिन्दुस्तान में हो सकता है या फिर कांग्रेस पार्टी में। भाजपा में अनुशासन के नाम पर केवल रसूखदारों को ही चुनाव लड़ने का अधिकार है।

                                   अटल ने कहा कि रायशुमारी में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। एक समय था जब रसूखदार लोग सीधे दिल्ली से टिकट लाते थे। आर्थिक अभाव के कारण जनाधार वाले नेताओं की पूरी जिन्दगी पार्टी के सेवा में गुजर जाती थी। लेकिन राहुल गांधी,पीएल पुनिया और भूपेश बघेल ने स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर कार्यकर्ताओं का ना केवल सम्मान बढ़ाया। बल्कि जनाधार वाले नेताओं को टिकट का दावेदार भी बनाया। जाहिर सी बात है प्रदेश और राष्ट्रीय हाईकमान गमलों में उगे हुए लोगों से तंग आ चुका है। यही कारण है कि प्रत्याशियों का फैसला उसी मैदान में किया जा रहा है जहां दावेदार को चुनाव लड़ना है। मतलब साफ है कि जनता जिसे पसंद करेगी…टिकट भी उसे दिया जाएगा। अब धन और रसूख का नहीं बल्कि जन का सुना जा रहा है।

                                         अटल ने बताया कि रायशुमारी के दौरान ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष और समन्वयक के अलावा कोई भी दावेदार या संगठन पदाधिकारी का हस्तक्षेप संभव नहीं है। ऐसे में मुझ पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद है। कुछ लोगों को जमीनी कार्यकर्ताओं को मिले अधिकारों से तकलीफ है। इसलिए अनावश्यक विवाद पैदा किया जा रहा है। ऐसे लोग कांग्रेसी संस्कृति के हो ही नहीं सकते हैं। क्योंकि कांग्रेस संगठन में स्वार्थ और स्वार्थियो के लिए कोई स्थान नहीं है। रही बात पार्टी में एकता की….तो बताना चाहता हूं..कि पार्षद से लेकर वार्ड पदाधिकारी तक के दिमाग में इस समय एक ही बात गूंज रही है कि वक्त है बदलाव का…कांग्रेस का एक एक कार्यकर्ता ने फैसला कर लिया है कि तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक भाजपा सरकार को सत्ता से उखाड़कर नहीं फेंक दिया जाता है।

                  अटल ने आरोप लगाया कि कुछ लोग पार्टी के बाहर के लोगों के इशारे पर षड़यंत्र कर रहे हैं…लेकिन कांग्रेस के स्वाभिमानी कार्यकर्ता षड़यंत्र रचने और शामिल होने वालों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे। क्योंकि सभी कार्यकर्ता जानते हैं कि कांग्रेस की सबसे बड़ी पूंजी अनुशासन है। जनता भी ऐसे लोगों को माफ नहीं करेगी। क्योंकि हमारे यहां कोई राजा और रंंक नहीं होता। हमारे यहां आर्थिक रूप से कमजोर प्रेमदास भी टिकट का दावेदार हो सकता है। इस प्रकार का लोकतंत्र  केवल और केवल कांग्रेस में ही संभव है।

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