अधिवक्ता सरस्वती पुत्र बने… जस्टिस सप्रे

BHASKAR MISHRA
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caption photo  (7) बिलासपुर–छ.ग. विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य ज्यूडिशियल अकादमी बिलासपुर में आयोजित दो दिवसीय लायर्स पेनल ट्रेनिंग कार्यक्रम का उद्घाटन आज सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने किया।  कार्यक्रम में छ.ग. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस नवीन सिन्हा, जस्टिस प्रीतिनकर दिवाकर, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा एवं जस्टिस श्री गौतम भादुरी उपस्थित थे।
अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने कहा कि वकील के पेशे में इस बात का हमेशा ध्यान रखा जाए कि किसी जिन्दगी उनके हाथ में है। हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि अधिवक्ता सरस्वती पुत्र हैं.कहीं लक्ष्मी पुत्र बनने से किसी का नुकसान ना हो। पीड़ित को न्याय मिले इस बात को हमेशा स्मरण रखना होगा। जस्टिस सप्रे ने कहा कि हो सकता है कि कभी कभी तनाव या दबाव की स्थिति हो बावजूद इसके हमें कानून के सम्मत अपना काम करना है।

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                                जस्टिस सप्रे ने कहा कि कानून का जानकार होने का अर्थ न्याय दिलाना है। बहस करना है। देश समाज और संविधान का ख्याल रखते हुए किसी के साथ अन्याय नहीं होने देना है। उन्होने कहा कि  किसी केस को कोर्ट में रखने से पहले और बाद में हमेशा अध्ययन और कानून की बारीकियों को ध्यान देना और मंथन करना है।

                                        कार्यक्रम शुरू होने से पहले जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने मां सरस्वती के सामने दीप प्रज्जवलित कर माल्यार्पण किया। उन्होंने सामने उपस्थित ऊर्जावान अधिवक्ताओं को न्यायविद बताया। साथ ही कहा कि पीड़ितों का न्याय दिलाना अधिवक्ताओं की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इस बात को हमेशा सबको अपने जहन में रखना होगा।

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