अपनी बात…

Chief Editor
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                 आज के दौर में जब सबकुछ खबरों और सूचनाओँ से सराबोर है। हर आदमी की जेब में दाखिल   ‘’मोबाइल’’ भी अब सूचनाएँ और खबरें देने लगा है। ‘’नेट के नेटवर्क’’ में आया कोई भी शख्स अब इससे जरा भी दूर नहीं है…..।ऐसे में इस मंच के जरिए हम भी खबरों का एक “छोटा बंडल ‘’ लेकर हम भी आपके बीच आ गए हैं…।इस ‘’संजाल’’ में शामिल होकर खबरों और सूचनाओँ को सिलसिलेवार पेश करने की कोशिश में यह कदम उठाया है। सिलसिलेवार का मतलब सिर्फ यह है कि ऊपर से लेकर नीचे तक हर लेवल की खबरें इस मीडिया के जरिए पाठकों तक पहुंचें..।इंटरनेशनल,नेशनल और स्टेट की खबरें जिस तरह तुरंत ही हमारे तक पहुंचती हैं , ठीक उसी तरह अपने शहर और आस – पास की छोटी – बड़ी खबरें भी सभी तक तुरंत पहुंचनी चाहिए,…। देश, विदेश- प्रदेश स्तर से चल रहा सिलसिला शहर तक आकर न टूटे —— बस इस कोशिश में ही ‘’डब्लू-डब्लू-डब्लू –‘’ को सीजीवॉल डॉट .काम. तक ले जाने यह सिलसिला शुरू कर रहे हैं….।

सीजीवॉल की इस दीवार पर सबसे पहले अपने बिलासपुर की खबरे हीं चस्पा करने का प्रयास है।इस मीडिया के जरिए देश – दुनिया की खबरों से उसी वक्त रू- ब- रू होते हुए भी कई बार लोग महसूस करते हैं कि दीपक के नीचे अँधेरा भी अपनी जगह बना ले रहा है…..।नतीजतन देश – दुनिया को जानकर भी अपने आस – पास की सूचनाओँ के मामले में वक्त का इंतजार करना पड़ता है….।दीपक के सबसे करीब के हिस्से में रौशनी पड़ती रहे और टच स्क्रिन से अपने आस – पास की तस्वीरें गुजरें बस यही कोशिश है…..।  खबरों को जल्दी – से – जल्दी पहुंचाने की होड़ में हम कहीं नहीं हैं । अलबत्ता प्रमाणिकता और विश्वसनीयता की आँच में तपाने की एक छोटी सी कोशिश है…..।

ऐसा कुछ हो जिसमें अरपा की मानिंद भीतर- भीतर ही बहने वाले मेरे शहर के बहाव का उतार – चढ़ाव हो……..। मंदिर की घंटियों की टन – टन ……… मस्जिद के अजान ……..गुरूद्वारे के शबद- कीर्तन की गूँज………. और गिरिजाघरों की प्रार्थना की शांति का अहसास हो…….। स्कूलों में हंसते —खिलखिलाते – अपनी जिंदगी का पाठ पढ़ते मासूमों की किलकारी हो…….. और कॉलेज – युनिवर्सिटी के केम्पस में जिंदगी के रंग भरते किशोर – युवाओँ का सपना हो ……। शनिचरी-सदर- गोलबाजार से व्यापार विहार तक फैल रहे कारोबार की ‘’तेजी- मंदी’’ हो……। चौक – चौराहों में होने वाली ‘’गप-शप’’ का लब्बो-लुआब हो……। सियासत के मैदानी जंग में आजमाए जा रहे दाँव – पेंच पर नजर हो……..। अपनी रवायत और रिवाजों को सहेजे सभी समाजों की हलचल हो…..। अपनों का दर्द बांटने की बात हो…..। बुजुर्गों की नसीहत हो….. और नई पीढ़ी की दूरदर्शिता हो……। उत्सव के साथ झूमती जिंदगी हो……।…. बहूत- कुछ…………………………………………………………..                           ।

बहुत – कुछ इतना कुछ कि अपना बिलासपुर जिस वजह से अपनी अलग पहचान रखता है….. उसकी चमक और बढ़े……….. ।

             रुद्र अवस्थी

 

 

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