अपोलो करेगा डायबिटीज मरीजों का सर्वे…डॉ.सेन ने कहा…ICMR ने जताया विश्वास..6 महीेने में देंगे प्रदेश का रिपोर्ट कार्ड

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— भारत में धीरे धीरे मधुमेह ने गहरा जड़ जमा लिया है। पिछले कुछ दशकों में मधुमेह रोगियों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। आंकड़े परेशान करने वाले हैं। आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में मधुमेह 62 मिलियन से अधिक भारतीयों को प्रभावित करता है। जो वयस्क आबादी का 7.1% से अधिक है। मधुमेह रोगिया की शुरुआत में औसत आयु 42.5 वर्ष के करीब है। हर साल मधुमेह से संबंधित जटिलताओं के कारण मिलियन भारतीय मर रहे हैं। मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए सबसे अधिक जरूरत नियमित दिनचर्या का होना जरूरी है। यह बातें आज अपोलो में एक प्रेस वार्ता के दौरान अपोलो के सीईओ डॉ.सजल सेन,डॉ.विजय कुमार श्रीवास और डॉ.कल्पना दास ने कही।

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                     डॉ.सजल सेन ने बताया कि अभी तक भारत में मधुमेह रोगियों के आंक़ड़े फुटकर में मिले हैं। पहली बार आईसीएमआर ने मधुमेह रोगियों की पहचान करने सर्वे का बीड़ा उठाया है।क्योंकि मधुमेह के प्रकोप और उसके समेगित इलाज के साथ बचाव के लिए आधारभूत डेटा की आवश्यकता है। आश्चर्य की बात है कि मधुमेह से मेहनतकश ग्रामीण भी गिरफ्त में आ गए हैं। छत्तीसगढ़ राज्य भी इस रोग से अछूता नहीं है। यही कारण है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में बीमारी के प्रसार को सही तरीके से पता लगाने ICMR ने अपोलो अस्पताल बिलासपुर को छत्तीसगढ़ के लिए अनुसंधान भागीदार के रूप में चुना है। सभी प्रमुख राज्यों में INDIAB ICMR अपोलो अस्पताल बिलासपुर के नाम से आयोजित किया जा रहा है। निश्चित रूप से हमारे बिलासपुर के साथ अपोलो के लिए गर्व की बात है कि आईसीएमआर ने हम पर विश्वास किया है।

                       डायबीटिज के विशेषज्ञ डॉ विजय कुमार श्रीवास ने बताया कि छत्तीसगढ़ में जिला स्वास्थ्य अधिकारियों के तत्वावधान में आयोजित और समन्वित किए जाने वाले सर्वेक्षण के लिए औपचारिक रूप से मंजूरी और पुष्टि की गई है। सर्वेक्षण टीमों में शिक्षक भी शामिल होंगे जो स्क्रीनिंग में मदद करेंगे। कल्पना दास, मुख्य एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के परीक्षण के अलावा बीमारी के बारे में जागरूकता लाएंगी। सर्वेक्षण कार्य समूचे प्रदेश में अलग अलग किया टीम बनाकर सुनियोजित तरीके से ICMR के निर्देश में किया जाएगा। आशा है कि परिणाम स्वास्थ्य योजनाकारों के साथ-साथ अपोलो हॉस्पिटल्स के सीईओ डॉ.सजल सेन के मार्गदर्शन में बड़े पैमाने पर मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होंगा।

                                         डॉ.सजल सेन ने बताया कि अपोलो हॉस्पिटल्स और अपोलो शुगर क्लिनिक मुख्य जाँचकर्ता डॉ.विनय कुमार श्रीवास का सर्वेक्षण में अहम  भूमिका होगी। सीनियर कंसल्टेटिव मेडिसिन एंड डायबेटोलोजी के प्रयास से 40 प्रशिक्षित फील्ड कर्मचारियों की एक टीम छह महीने के लिए सर्वेक्षण काम करेगी।

                  डॉ.कल्पना दास ने बताया कि सर्वे की जिम्मेदारी चुनौतीपूर्ण है। लेकिन अपोलो की टीम हमेशा की तरह डॉ.सजल सेन के मार्गदर्शन में बेहतर परिणाम देगी। वार्षिक स्वास्थ्य जांच की आवश्यकता पर भी बल दिया जाएगा। आने वाले 6 महीने रिपोर्ट आईसीएमआर के सामने पेश कर दिया जाएगा। सर्वे  का काम 18 या 18 साल के ऊपर के लोगों के बीच किया जाएगा। डॉ.कल्पना दास ने बताया कि डायबिटिक की प्रारंभिक पहचान गैर संचारी रोग की जटिलताओं की रोकथाम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।  हमारे देश के अधिकांश हिस्से में अपना सर्वेक्षण पूरा किया है। अब हमारा काम है। हम बिलासपुर से पायलट प्रोजेक्ट शुरू करेंगे। अलग-अलग दिशाओं में आगे बढ़ेंगे। कल्पना दास ने यह भी बताया कि हमने मेहनत करना छो़ड़ दिया है। यही कारण है कि डायबिटीज ने मेहनतकश किसानों को भी नहीं छोड़ा है। हमारी दिनचर्या बिगड़ गयी है। खानपीन भी ठीक से नहीं हो रहा है। चालिस पार लोगों को कम से कम एक घंटा शारीरिक श्रम जरूरी है। बच्चों को भी मेहनत करना होगा।

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