अपोलो प्रबंधन का दावा…कोविड में हासिल किया 90 प्रतिशत परिणाम.. कोविड का नहीं लगता अतिरिक्त शुल्क

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- कोविड महामारी के दौरान में अपोलो अस्पताल कोविड एवं नॉन कोविड मरीजों का सीमित संस्साध ने अधोसंरचना के बीच चुनौती के साथ सेवा काम को अंजाम दे रहा है। साथ ही मरीजों में संक्रमण ना फैले इस बात को लेकर अस्पताल  परिसर में संरचनात्मक कार्यो को भी प्रबंधन अंजाम दे रहा है।
 
              अपोलो प्रबंधन का दावा है कि कोरोना संक्रमण अस्पताल के स्टाफ ने चुनौती के रूप में लिया है। इलाज के सीमित संसाथन और उचित अधोसरंचना नहीं होने के बाद भी यहां कोविड और नॉन कोविड मरीजों का बेहतर इलाज किया जा रहा है। सुरक्षा के मद्देनजर कोविड संक्रमित मरीजों के लिए अलग से वार्ड की व्यवस्था है। कोविड वार्डो में आना जाना मुख्य अस्पताल से पूरी तरह अलग है। जिसके कारण सामान्य मरीजों को संक्रमण का खतरा नही के बराबर है। एमर्जेन्सी वार्ड में भी संभावित मरीजों को अलग से स्क्रीन किया जा रहा है। अस्पताल के प्रत्येक प्रवेश द्वार पर स्क्रीनिंग हो रही है। इसके अलावा अस्पताल आने वालों के अलावा सभी कर्मचारियों  को कोरोना से बचने के लिए दिए गए सभी निर्दशों का गंभीरता के साथ पालन भी किया जा रहा है।
 
                         अपोलो अस्पताल नर्सिंग हेड सुश्री स्वाति डेनियल ने बताया कि ‘‘ स्टाफ का प्रबंधन कोविड के लिए बड़ी चुनौती थी । लेकिन हमने ना केवल चुनौतियों को स्वीकार है। बल्कि बेहतर सुरक्षा के साथ काम को अंजाम भी दिया है। यह सच है कि पीपीई किट पहन कर लम्बे समय तक कार्य करने में असुविधा है। यही कारण है कि स्टाफ की ड्यूटी का समय कुछ घंटे कम किया गया। कोविड वार्ड के कर्मियों को अस्पताल परिसर में ही  पृथक रहने और खाने कि व्यवस्था की गयी। इस दौरान स्टाफ के रक्षात्मक प्रणाली को बनाये रखने आवश्यक कदम भी लगातार उठाए जा रहे हैं। चूकि यह चुनौती भरा काम है इसलिए स्टाफ कि संख्या, सामान्य मरीजों कि तुलना में अधिक रखा गया है। 
 
गंभीर मरीजों की बचायी गयी जान
 
          अपोलो प्रबंधन के दावानुसार अस्पताल में मरीजों के स्वस्थ होने कि दर लगभग 90 प्रतिशत है। यहां जितनी भी  मौत कोविड से हुई है। निश्चित रूप से  अपोलो हॉस्पिटल्स की बडी उपलब्धि है। यहां डाक्टरों ने रात दिन एक कर एक गंभीर मरीज को 32  दिनों के लगातार संघर्ष के बाद बजाया गया। साथ ही
 
        शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सुशील कुमार और डॉ इंदिरा मिश्रा ने जानकारी दी कि ‘‘ अभी भले ही बच्चो में कोविड के लक्षण वाले बहुत ज्यादा मामले सामने नहीं आ रहे है लेकिन हमें सावधान रहने की जरूरत है। सरकार के निर्देशों के अनुसार बच्चे को माँ से पृथक नहीं किया जा सकता । अनेक बार माँ और बच्चे में संपर्क होता है, ऐसे में यह चुनौती और बड़ी हो जाती है। “कोविड मरीजों के उचित उपचार के लिए इंटरनल मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों के अतिरिक्त छाती रोग विशेषज्ञ और  गुर्दा रोग विशेषज्ञ रोज पूर्ण रूप से सुरक्षात्मक विधियों को अपनाते हुए मरीजों से प्रतिदिन मिलते है। साथ ही मरीजों की स्थितियों की निगरानी के अनुसार उचित उपचार करते है। 
 
होमआइसालेशन जरूरी
 
                  डॉ मनोज राय, वरिष्ठ सलाहकार, इंटरनल मेडिसिन विभाग ने जानकारी दी कि अब तक अपोलो में कोविड के लगभग 100 से अधिक  मरीजों का उपचार किया गया है।  जिस तरह यह बीमारी छत्तीसगढ़ और हमारे शहर बिलासपुर में फैल रही है, ऐसी स्थिति में यदि किसी का रैपिड टेस्ट या आरटीपीसीआर टेस्ट पॉजिटिव आए तो घबराना नहीं चाहिए।  सामान्य लक्षण जैसे कि बुखार, दस्त, शरीर में दर्द, खांसी आदि है तो होम आइसोलेशन ही बेहतर उपाय है।  केवल ऐसे मरीज जिनको सांस लेने में तकलीफ है या जिनका ऑक्सीजन  सैचुरेशन 94 प्रतिशत से कम है उन्हें ही अस्पताल में भर्ती होना चाहिए। मनोज राय ने कहा कि  अस्थमा के मरीजों को नियमित नेबुलाइजेशन, इन्हेलर आदि का उपयोग करना चाहिए। 
 
नहीं लगता अतिरिक्त शुल्क
 
             अपोलो हॉस्पिटल्स बिलासपुर के यूनिट हेड डॉ दीप ज्योति दास ने सभी से निवेदन किया कि विश्व्यापी संक्रमण के दौर में अपना और रिवार का ख्याल रखे।  मास्क का उपयोग करे, भीड़ वाली जगह पर जाने से बचे, आपस में शारीरिक दूरिया बनाये रखे, दिग्भ्रमित करने वाले भ्रांतियों से बचे, पैनिक न करे व सही जानकारी छुपाने की कोशिश न करे। उन्होने कहा कि अपोलो हॉस्पिटल्स बिलासपुर में कोविड के इलाज का कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है। अस्पताल में सामान्य मरीजों के निर्धारित दर का ही उपयोग किया जा रहा है। शासन से निर्धारित दर के सामान है।  कोविड मरीजों का भर्ती अस्पताल में बिस्तर के उपलब्धता पर निर्भर होता है। लेकिन सिमित बेड और संसाधनों के कारण कई बार ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है कि कुछ मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं कर पाते है। हम नहीं चाहते है कि लोगो में इस वजह से निराशा हो या उनका भरोसा टूटे। ऐसे कोविड पॉजिटिव मरीज जिनकी अवस्था स्थिर हो वे अपोलो द्वारा शुरू किये गए होम आइसोलेशन पैकेज का लाभ ले सकते है।
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