अमरकंटक की पहाड़ियों में आग..ग्रामीणों में आक्रोश

BHASKAR MISHRA
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aag--2बिलासपुर– मरवाही वन मंडल के आमाडोब और केवंची के जंगल में तीन दिनों से आलग लगी है। वन विभाग अमला या तो खबर नहीं है या फिर जानबूझकर मामले को दबाने का प्रयास कर रहा है। तीन दिन में लाखों की लगड़ियां और और पत्ते जलकर खाक हो गए हैं। कर्मचारी चैन की नींद भर रहे हैं। आगल पहाड़ी के निचले हिस्से में लगातार बढ़ती जा रही है। फिलहाल उसके रोक पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

            वनों को आग से बचाने के लिये लाखो रूपये जागरूकता के नाम पर खर्च किया जाता है। जंगल में आगजनी की घटना होने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी चैन की नींद फरमा रहे हैं। अमरकंटक के पहाड़ी इलाके  मरवाही वनमंडल के गौरेला रेंज के आमाडोब और केंवची के जंगल में पिछले तीन दिनों से आग लगी है। आग ने भीषण रूप ले लिया है। वनविभाग के अधिकारी कर्मचारी अभी तक झांकने तक नहीं पहुंचे है।

               पिछले तीन दिनों से आग अमरकंटक की पहाड़ी के निचले हिस्से और आमाडोब से शुरू होकर मांई का मड़वा क्षेत्र के बाद पकरिया और केंवची के जंगलों की ओर लगातार बढ़ रही है अब तक करीब आठ किलोमीटर क्षेत्र में आग का फैल चुका है। जंगल में चारों तरफ आग ही आग और धुआं ही धुंआ नजर आ रहा है।

              आग अब अचानकमार टाईगर रिजर्व के जंगल और केंवची गांव की ओर बढ़ रही है। वन विभाग को लगातार सूचना दी जा रही है। ग्रामीणों के अनुसार वन विभाग के आला अधिकारियों को इस बारे में कई बार बताया लेकिन वे ध्यान नहीं दे रहे हैं। अधिकारी कर्मचारी अपना क्षेत्र नहीं होने की बात कहते हुये मामले से किनारा कर रहे हैं।

              मरवाही वनमंडल के डीएफओ और गौरेला रेंज आफिसर शिकायत सुनने को तैयार नहीं हैं। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार फोन से सूचना देने का प्रयास किया गया। लेकिन कार्यालय में कोई फोन उठा ही नहीं रहा है। जंगल में आग लगने की घटना तीन दिन हो चुका है। अधिकारी अपने कार्यालय से 20 किलोमीटर दूर आग प्रभावित जंगलों तक नहीं पहुंचे हैं।

               ग्रामीणों में भयंकर आक्रोश है। आग की चपेट में आने से जंगल के लाखों की संख्या में छोटे पौधे  जलकर खाक हो गये हैं। बड़े पेड़ों पर आग का असर दिखाई दे रहा है। गर्मी के कारण सूखे पत्तों में लगी आग लगातार बढ़ रही है। चिंतित कुछ जागरूक ग्रामीण अपने स्तर पर आग को बुझाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सारे प्रयास नाकाम साबित हो रहे है।

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