असमानता में अप्रत्याशित ग्रोथ…अब ई. पत्राकरिता का जमाना

BHASKAR MISHRA
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lekha3बिलासपुर— पिछले पन्द्रह साल में जितनी असामनता भारत में देखने को मिला.. उतना शायद ही किसी देश में मिला हो…। भारत में पन्द्रह लोगों के पास बावन प्रतिशत आबादी के बराबर धन है। इस असामनता के लिए भारत की नीतियां जिम्मेदार हैं। स्वच्छ भारत अभियान टायलेट यूजर के लिए है ना कि टायलेट क्लिनर के लिए। यह दुर्भाग्य की बात है। पत्रकार लाचार हैं…क्योंकि मीडिया हब का मालिक पूंजीपति हो गए हैं…बताना चाहूंगाआने वाला समय डिजीटल पत्रकारिता का है। डिजिटल पत्रकारिता के आने से प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया को सफर करना होगा….। यह बातें प्रसिद्ध साहित्यकार पी.साइनाथ ने पत्रकारों से कही। सांईनाथ ने कहा कि अब तीस साल पहले की पत्रकारिता नहीं रही…क्योंकि मीडिया को पूंजीपतियों ने जकड़ लिया है।

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                                        प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय अधिकवेशन में शिरकत करने पहुंचे साहित्यकार पी.सांईनाथ ने आज की पत्रकारिता और असामनता पर जमकर बोला। उन्होने कहा कि असमानता किसी क्षेत्र विशेष में ही नहीं बल्कि सभी क्षेत्रों में है। स्वास्थ्य,राजनीति,साहित्य,नीति और रीति में असामानता ने जगह बना लिया है। पूंजीपतियों ने धन के दम पर देश को आभामण्डल में जकड़ लिया है। इसके लिए वैश्विक पॉलिसी जिम्मेदार है। भारत विश्व का ऐसा देश है जहां सर्वाधिक असमानता दिखने को मिलता है।

               एक सवाल के जवाब में पी.साईंनाथ ने कहा कि पिछले पन्द्रह सालों में विश्व के अन्य देशों में उतनी असामनता नहीं देखने को मिली जितना भारत में देखने को मिल रहा है। साईनाथ ने कहा कि अमेरिका में एक प्रतिशत आबादी 37 प्रतिशत आबादी के बराबर धन रखता है। भारत में एक प्रतिशत लोग 53 प्रतिशत धन को रेगुलेट करते हैं। दुनिया के 62 पूंजीपतियों के पास साढ़े तीन बिलियन जनता के बराबर धन है। हिन्दुस्तान की हाल इससे कहीं ज्यादा गंभीर है। भारत में पन्द्रह आदमी के पास देश की कुल आबादी के पचास प्रतिशत लोगों के बराबर धन है। भारत के सौ लोगों के पास कुल आबादी की दो तिहाई लोगों के बराबर धन है। इससे जाहिर होता है कि भारत में असमानता का विकास सबसे तेजी से हुआ है। साईंनाथ ने कहा कि यह प्रगति पिछले पन्द्रह सालों की है।

                      असामनता के लिए जिम्मेदार कौन है के सवाल पर साईंनाथ ने कहा कि इसके लिए हमारी पालिसी जिम्मेदार है। सरकार किसानों को ऋण नहीं देगी लेकिन विजय माल्या को धन देने के लिए तैयार है।किसान चालिस हजार के ऋण लेने के लिए बैंको चक्कर लगाता है…माल्या 9 हजार करोड़ रूपए लेकर लंदन में ऐश कर रहा है। दरअसल हमारी पालिसी बायस्ड है। पूंजीपतियों की तरफ झुकी हुई नीति है।

                                 स्वस्छ भारत अभियान के सवाल पर साईंनाथ ने कहा कि दरअसल स्वच्छ भारत अभियान टायलेट यूजर के लिए है…टायलेट क्लिनर के लिए नहीं….। सेप्टिंक टैंक बेस अभियान में टायलट क्लिनरों के लिए कुछ नहीं किया गया है। सेप्टिंक टैंक साफ करने में क्लिनरों की मौत हुई है…। यूजरों की नहीं…। लोग महंगाई से परेशान हैं…। यदि आदमी कुछ खाएगा नहीं…तो शौचालय लेकर क्या करेगा। टायलेट क्लिनरों के साथ तब भी अन्याय हुआ है। आज भी हो रहा है…। स्वच्छता अभियान में भी ऐसा ही हो रहा है। शौचालय अभियान व्हीआईपी क्षेत्रों में ही बनाया जा रहा है। किसी गरीब क्षेत्र में नहीं।

                                               पी.साईनाथ ने कहा कि  मीडिया और पत्रकार दो अलग-अलग बातें है। मीडिया मतलब मालिक और पत्रकार मतलब मेहनश इंसान…। मालिक यहां भी शोषण कर रहा है। पिछले 30 सालों में 27 पत्रकारों ने रिपोर्टिंग के दौरान जान गवाई है। पत्रकारों ने हमेशा चुनौती भरा काम किया है। विसंगतियों को सामने लाया है। लेकिन प्रकाशन और प्रसारण में उनका नियंत्रण नहीं है। आज का मीडिया तीस साल पहले वाला नहीं रहा। पहले पारिवारिक माहौल में पत्रकारिता होती थी। आज ठीक इसके उलट है। देश के आधे मीडिया पर रिलायंस का कब्जा है। रिलायंस ने जीयोंं को जयहिन्द बना दिया। जियो के प्रचार में प्रधानमंत्री के फोटो का इस्तेमाल किया। यह कानून का खुला उल्लंघन है।

                                                                          प्रिंट और इलेक्टानिक पत्रकारिता पर उन्होने कहा कि जमाना इन्टरनेट का है। इलेक्टानिक चैनल के आगमन से प्रिंट को सफर करना पड़ा। अब इलेक्टानिक मीडिया को सफर करना होगा। लोग इंटरनेट को लेकर गंभीर है। आने वाला समय डिजीटल पत्रकारिता का है। डीजिटल पत्रकारिता से परंपरागत पत्रकारिता को सफर करना होगा।

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