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रायपुर।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोमवार सुबह आइना बेच कर चेहरा देखने को कहा था और ट्वीट कर उन पर निशाना भी साधा था।सोमवार शाम आईएएस की नौकरी छोड़ बीजेपी में शामिल हुए ओपी चौधरी ने फेसबुक पर पलटवार करते हुए एक कार्यकर्ता के रूप में जवाब दिया है। ओपी चौधरी ने लिखा कि यदि स्टाइलिश आईने की जगह रायगढ़ जिले के एक ताल गांव के बेल मेटल या बस्तर आर्ट का कोई डिजाइन बनवा कर सीएम भेजते तो इससे छत्तीसगढ़ के वनवासी भाई बहनों का थोड़ा लाभ हो जाता।लेकिन आपने तो महंगा विदेशी ब्रांड का आईना भेज दिया।सीजीवालडॉटकॉम के WhatsApp ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे
फेसबुक पर ओपी चौधरी ने लिखा कि
मुख्यमंत्री जी को एक अदना से कार्यकर्ता का जवाब:
आदरणीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी!
नमस्ते!
आपने प्रधानमंत्री मोदीजी को एक आईना भेजा है और कुछ लाइनें लिखी हैं।भरतीय जनता पार्टी किसी एक परिवार से चलने वाली पार्टी नही है,इसलिए एक अदना सा कार्यकर्ता होने के बावजूद आपको एक जवाब लिख रहा हुँ।
आपने जिस आईने को भेजा है उसकी तश्वीर देखी सर!बड़ा महंगा कोई विदेशी ब्रांड टाइप दिख रहा है।शायद आप “Make in India” का मर्म समझ पाते? तो शायद इस स्टाइलिश आईने के जगह रायगढ़ जिले के एकताल गांव के बेलमेटल का या बस्तर आर्ट का कोई डिज़ाइन बनवा कर भेजते।इससे छत्तीसगढ़ के वनवासी भाई बहनों का थोड़ा लाभ हो जाता।
आपने मोदीजी के चाय बेचने पर सवाल किया है सर! आप गुजरात गये ही होंगे, मैं तो गया हुँ।चर्चाओं और मेरे सीमित अध्य्यन के आधार पर पूछना चाहुँगा कि
a/ क्या नरेंद्र मोदजी के पिता दामोदर दास मोदजी की चाय की दुकान वड़नगर के रेल्वे स्टेशन में नही थी?क्या वहां बालक नरेंद्र मोदी सुबह पिता के साथ काम नही करते थे?और स्कूल की घण्टी बजते ही स्कूल की ओर नही चले जाते थे? कभी पूछियेगा भागवताचार्य नारायणाचार्य विद्यालय में जाकर।
b/ क्या मोदीजी के चाचा की चाय दुकान अहमदाबाद के बस स्टैंड के पास नही थी, जहां मोदीजी काम किया करते थे?
c/ क्या बाद में मोदीजी ने अहमदाबाद के गीता मन्दिर के पास एक साइकिल खरीदकर खुद के चाय का काम चालू नही किया था?
अगर इतना ही संदेह है तो इस पर भी एक SIT ही बनवा लेते सर।अगर इतनी झूठी बात है तो मणिशंकर जी को एक बयान के लिये कांग्रेस ने अप्रासंगिक मुहावरा क्यों बना दिया?मोदजी ने चाय बेची है और शायद इसलिये बेची है;क्योंकि उनके नाम के साथ गांधी परिवार वाला सरनेम नही जुड़ा है। उन्होंने चाय बेची है,देश नही।
मोदजी के चाय बेचने पर सबूत खोज रहे हैं सर।आप लोग इतना सबूत खोजते हैं,उसके बजाय देश के लिये एक सपूत खोज लेते।देश की जनता मोदीजी को ही देश का सपूत मानती है, यह तो 23 मई को सिद्ध हो ही जायेगा।आप लोग कांग्रेस के लिये भी एक सपूत खोजने की कोशिश कीजिये।एक परिवार के चरणों मे पूरी कांग्रेस पार्टी और देश को रख देने की मानसिकता से आप लोग बाहर निकलिये सर।
आपने मोदीजी के रहन-सहन पर भी सवाल उठाए हैं सर। आपने 1963 का राम मनोहर लोहिया जी का नेहरू जी पर आर्टिकल तो जरूर पढ़ा होगा सर- एक दिन के 25 हजार रुपये ।देश के तीसरी लोकसभा मे चर्चा भी हुई थी।सर देश का प्रधानमंत्री या प्रदेश का मुख्यमंत्री देश-प्रदेश के प्रतिनिधि होते हैं।एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संस्था होते हैं।मैं आपके व्यक्तित्व और सोच को न देख कर आपके जैकेट के चीप की ओर नजरें ताकूँ, तो शायद ठीक नहीं।मैं अगर पूछूँ की महंगे गुलाब की जगह नेहरू जी देशी बरगंडा का फूल क्यों नही लगाते थे कहूँ, तो ठीक नहीं।मोदीजी जो भी पहनते हैं, कम से कम देश को टोपी और चश्मा तो नही पहनाते।ओबामा जी के साथ बैठक के जिस सूट की आप बात कर रहे हैं,आपने पढ़ा ही होगा कि मोदीजी ने नीलाम कराके 4 करोड़ 31 लाख रुपये की राशि इकट्ठा करके नमामि गंगे परियोजना में जमा करा दी।सिओल पीस प्राइज से मिले 2 लाख अमेरिकी डॉलर को भी गंगा माता को समर्पित कर दिया।उनको मिलने वाले सारे गिफ्ट को बेचकर चैरिटी की जाती है।
आप लोग मोदीजी की सरकार को पहले भी “सूट बूट की सरकार” कह रहे थे।उन्होंने 19हजार गांवों तक बिजली पहुंचाई,50 करोड़ लोगों के लिये आयुष्मान भारत योजना बनाई,9 करोड़ शौचालय बनवाये,6 करोड़ उज्ज्वला के कनेक्शन दिये,1.5 करोड़ लोगों को पक्का मकान दिया,34 करोड़ लोगों के जन धन खाते खोले,13 करोड़ लोगों को मुद्रा योजना का लाभ दिया, 21 करोड़ लोगों को बीमा योजनाओं का लाभ दिया,12 करोड़ किसान भाइयों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ दे रहे हैं,3 करोड़ टैक्स पेयर को ऐतिहासिक छूट दी।–ये सब मोदीजी कौन से सूट बूट वालों के लिये कर रहे हैं??
आप मोदजी के रहन-सहन की बात करते हैं सर! वो 130 करोड़ भारतवासियों के प्रतिनिधि हैं। एक बार उनके अन्य पारिवारिक सदस्यों की स्थिति का भी जायजा ले लेते हैं।उनके बड़े भाई सोमा भाई मोदी कहते हैं कि मैं ढाई साल पहले मिला था, फोन पर बात हो जाती है।मैं नरेंद्र का भाई हुँ, प्रधानमंत्री का नहीं।उनके एक और बड़े भाई अमृत भाई मोदी प्राइवेट कंपनी से फीटर मिस्त्री पद से रिटायर हुए हैं।
2005 में रिटायरमेंट से पहले 10 हजार रुपये की सैलरी थी।एक भाई पंकज मोदी गुजरात के सूचना विभाग में अन्य लोगों की तरह ही काम करते थे।एक भाई संजय मोदी मैकेनिकल सामानों की दुकान चलाते हैं,2009 में परिवार के लिये पहली बार कार खरीदे हैं, कुछ वर्ष पूर्व इनके परिवार ने स्वीकार किया था कि अंदर से जहाज नहीं देखे हैं।चचेरा भाई अशोक मोदी पहले ठेले से पतंग, पटाखे और मिठाई बेचते थे;अभी कुछ दिन पहले 8×4 की 1500 रुपये प्रति माह वाली दुकान किराये पर लिये हैं।प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनका परिवार इस तरह से रहता है-पूरी दुनिया के सामने एक नजीर है।
इन चर्चाओं के बीच सबसे असल सवाल यह है कि क्या कांग्रेस देश के सामने वैकल्पिक नेतृत्व पेश कर पा रही है।और इसका जवाब 23 मई को देश की जनता दे देगी।
आपको पता ही होगा सर मैंने कलेक्टरी छोड़ दी है, चुनाव भी हार गया हुँ,आजकल रोजी रोटी के लिये कुछ नये काम भी चालू कर रहा हुँ।इसलिये समय थोड़ा कम मिलता है।और आपने अपने सतही पत्र में GST, काला धन, गंगा, पाकिस्तान,विदेश दौरे जैसे अनेकानेक मुद्दों को छुआ है।उन सबका जवाब मैं कल लिखुंगा।तब तक के लिये राम राम!जवाब का कोई अंश आपको अगर ठीक न लगा हो,तो बुरा मत मानियेगा; उमर में मुझसे बहुत बड़े हैं।
ओपी.