आईएएस लाबी का प्रेशर

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FB_IMG_1441516484068(संजय दीक्षित) मुख्य सूचना आयुक्त की पोस्टिंग को लेकर सरकार पर भी प्रेशर बढ़ता जा रहा है। खासकर, रिटायर जस्टिस के नाम की चर्चा के बाद आईएएस लाबी एक्टिव हो गई है। आईएएस नहीं चाहते कि सूचना आयोग में ज्यूडिशरी के लोगों की इंट्री हो। दरअसल, इस खतरे को वे समझ रहे हैं। नौकरशाहों के लिए पोस्ट रिटायरमेेंट तीन ही अच्छी पोस्टिंग हैं। सूचना आयोग, विद्युत नियामक आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग। तीनों संवैधानिक पद है, इसलिए एक बार बैठ गए तो पांच साल कोई हिला नहीं पाएगा। अलबत्ता, सूचना आयोग में एक बार अगर ज्यूडिशरी का आदमी बैठ गया तो आगे फिर उन्हीं के लिए रिजर्व समझिए। वैसे, सीआईसी का पोस्ट भी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के समतुल्य है। इस खतरे को भांपकर ही आईएएस लाबी किसी तरह आईएएस को ही सीआईसी बनाने के लिए दबाव बना रही है। हालांकि, सत्ता के गलियारों में चर्चा ये भी है कि डीएस मिश्रा को रोकने के लिए ही कुछ नौकरशाहों ने सीआईसी के लिए रिटायर जस्टिस का नाम आगे बढ़ाया है। असल में, डीएस अगर सीआईसी बन गए तो सूचना आयोग को पूरे पांच साल के लिए ब्लाक कर देंगे। रिटायर जस्टिस से फायदा ये है कि वे दो साल बाद 65 के हो जाएंगे। याने 2017 के बाद रिटायर होने वाले आईएएस अफसरों के लिए सूचना आयोग का विकल्प खुला रहेगा। चलिये, जब तक सीआईसी की पोस्टिंग नहीं हो जाती, पावरफुल लोगों का पावर गेम यूं ही चलता रहेगा।

             
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आईएएस आचरण उन्नयन प्रोग्राम

छत्तीसगढ़ के यंग आईएएस जिस तरह के आचरण कर रहे हैं, उससे मसूरी के आईएएस अकादमी पर सवाल उठने लगे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या मसूरी में अफसरों को इसी तरह की संवेदनशीलता की ट्रेनिंग दी जा रही है। आखिर, रामानुजगंज के एसडीएम ने तो हद ही कर दी। अस्पताल में महिला मरीज के बिस्तर पर जूता पहना पैर रख दिया। पैर भी धोखे में रखा गया तो कोई बात नहीं। जनाब, पलंग पर पैर का टेका लगा बड़े आराम से बात कर रहे थे। एक आईएएस ने आरोपियों को जमानत देेने पर सीधे डिस्ट्रिक्ट जज को फोन लगा दिया था। कोई अपनी पत्नी को ही नौकरी दे रहा है तो बस्तर के एक कलेक्टर अपनी पत्नी को ऐसी सक्रिय समाजसेविका बना दिया है कि बीजेपी महिला मोर्चा की नेत्रियां अपने को उपेक्षित समझने लगी हैं। रंगीन चश्मा और कलरफुल लिबास पहनकर प्राइम मिनिस्टर का अभिवादन को भी लोग भूले नहीं हैं। सरकार भी मानती है कि नए आईएएस को अभी सीखने और सीखाने की जरूरत है। तो फिर देर किस बात की। कोई बड़ी घटना हो जाए, इससे पहले सरकार को कुछ करना चाहिए। कौशल उन्न्यन कार्यक्रम को कुछ दिन के लिए ड्राप करके आईएएस के लिए आचरण उन्नयन कार्यक्रम ही शुरू कर दें। क्योंकि, सूबे के बेरोजगारों से ज्यादा नए आईएएस छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ सरकार की भद पिटवा रहे हैं।

कलेक्टर पर गाज!

लोक सुराज अभियान के बाद कलेक्टरों की निकलने वाली लिस्ट में सुरजपुर का नाम भी हो सकता है। कारण यह है कि लोक सुराज अभियान के दौरान समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने वहां के एक पंचायत भवन के निर्माण के बारे में पूछा तो कलेक्टर कुछ भी नहीं बता पाए। इसके बाद मुख्यमंत्री उनके नाराज बताए जा रहे हैं।

सब खुश

वहीं, सुरजपुर से लगे बलरामपुर जिले के कलेक्टर अवनीश शरण से छत्तीसगढ़ के सीएम ही नहीं बल्कि झारखंड के सीएम भी प्रसन्न हैं। बलरामपुर बस हादसे को अवनीश ने जिस तरह से हैंडिल किया, उससे झारखंड के 22 जख्मी यात्रियों की जान बच गई। कलेक्टर न केवल 45 मिनट में रेस्क्यू पार्टी लेकर घटनास्थल पर पहुंच गए बल्कि, पूरी रात घायलों के इलाज में जुटे रहे। रात दो बजे उन्होंने हेलिकाप्टर के लिए अपने सीएम से बात की। सीएम ने ओके किया और सुबह साढ़े तीन बजे वहां दो हेलिकाप्र लैंड कर गए थे। इसके लिए यहां कि सीएम ने उनकी पीठ थपथपाई तो झारखंड के सीएम ने उन्हें फोन करके थैंक्स किया।

बिदाई परंपरा की बिदाई?

आईएएस के आपसी झगड़े में बिदाई की परंपरा टूटती जा रही है। आखिर, डीएस मिश्रा को रिटायर हुए हफ्ते भर से अधिक हो गए। जिस दिन रिटायर हुए, उस दिन सैटर्डे था। और, अगले दिन संडे। इसलिए, ये भी नहीं कहा जा सकता कि लोक सुराज अभियान के चलते अफसर व्यस्त थे। असल में, डीएस की बिदाई के लिए आगे बढ़ने का मतलब कइयों से नाराजगी मोल लेना है। इसलिए, कोई पहल नहीं कर रहा है। हालांकि, 30 मार्च को रिटायर हुए दिनेश श्रीवास्तव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। दिनेश ने तो यह कहते हुए मंत्रायल में सबको लंच करा दिया कि आपलोग बिदाई तो दोगे नहीं मैं ही खाना खिला देता हूं। कुछ पानीदार नौकरशाहों को जब इसका पता चला तो दो दिन बाद दिनेश को लंच में मंत्रालय बुलाकर शाल और नारियल देकर बिदाई की औपचारिकता पूरी की गई। वरना, पहले तो आफिसर्स क्लब में शानदार पार्टी होती थी। संगीत से लेकर जाम छलकते थे। लेकिन, लगता है आईएएस अफसरों को अपनों के लिए भी अब दिल छोटे होते जा रहे हैं।

मैं नहीं, मैं भी नहीं

पिछले तरकश में, अंत में दो सवाल में से एक था, एक आईपीएस का नाम बताएं, जो हर महीने 50 लाख रुपए हवाला के जरिये यूपी भेज रहा है। इस सवाल पर पुलिस महकमे में इतना बवंडर मचा कि यूपी से जुड़े कुछ अफसरों ने उपर में सफाई दी कि मैं नहीं, मैं भी नहीं। वैसे, सवाल का जवाब आईपीएस खुद ही फोन करके एक-दूसरे को बताते रहे।

सीएफ की डीपीसी

प्रमोशन के मामले में आल इंडिया सर्विसेज में अब तक सबसे पीछे माने जाने वाले आईएफएस अफसरों के के दिन बहुर गए हैं। थोक में 11 सीसीएफ को प्रमोट कर एडिशनल पीसीसीएफ बनाने के बाद सरकार ने अब सीएफ को प्रमोशन देने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए मंत्रालय में 10 मई को डीपीसी होगी। इनमें संगीता गुप्ता, ओपी यादव समेत करीब आधा दर्जन सीएफ पदोन्नति पाकर सीसीएफ हो जाएंगे।

32 एडिशनल पीसीसीएफ

एक साथ 11 एडिशनल पीसीसीएफ बनाने के बाद छत्तीसगढ़ में एडिशनल पीसीसीएफ की संख्या बढ़कर 32 हो गई है। इतने तो मध्यप्रदेश में नहीं हैं। 32 में से दो दिल्ली में हैं। बचे 30 छत्तीसगढ़ में हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक मंत्री का नाम बताइये, जो उज्जैन के पास नंदखेड़ा में अनुष्ठान करवा रहे हैं?
2. बिलासपुर में इंजीनियर के यहां पड़े एसीबी छापे में लाकर के असली गहने नकली में कैैसे बदल गए?

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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