आटिज्म पीड़ितों को उपचार के साथ प्यार भी चाहिए… मीनाक्षी

BHASKAR MISHRA
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IMG_8213बिलासपुर–एसईसीएल में ’’वर्ल्ड आॅटिज्म दिवस मनाया गया। एसईसीएल वसंत विहार स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में आयोजित कार्यक्रम एसईसीएल निदेशक कार्मिक डाॅ. आर.एस. झा, के निर्देश में किया गया। कार्यक्रम में मुख्यअतिथि डाॅ. श्रीमती मीनाक्षी देव, इंदिरा विहार स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी एम. टिकास और वसंत विहार स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी पी. यादगिरी के अलावा चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ, आॅटिज्म पीड़ित बच्चे, अभिभावक  और डीएव्ही स्कूल के छात्र उपस्थित थे।

             
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                                 मुख्य अतिथि प्रमुख चिकित्सा सेवाएॅं डाॅ. श्रीमती मीनाक्षी देव ने ’’आॅटिज्म’’ पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि आज उन लोगो का दिन है जिसे हम और आप कुछ अलग मानते है। लेकिन वे लोग हम और आप जैसे ही हैं। बेशक अपनी तरह से, आवश्यकता है तो उन्हे दिल से अपनाने की। इस बिमारी के चपेट में आने की संभावना पुरूषों से ज्यादा महिलाओं में होती है।
                 डॉ.मीनाक्षी ने बताया कि आटिज्म दो प्रकार के होते है। आटिज्म का लक्षण गंभीर रूप में हो तो उसे आॅटिस्टिक डिस्आर्डर कहते हैं। कम रूप से प्रभावी आडिज्म को स्प्रेक्ट्रम डिस्आर्डर कहा जाता है।
                 इंदिरा विहार स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी डाॅ. एम. टिकास ने आॅटिज्म पीड़ित बच्चों के अभिभावकों से कहा कि ऐसे बच्चों का जीवन संघर्षपूर्णं होता है। उन्हे परिवार के प्यार और सहयोग की आवश्यकता होती है। वसंत विहार स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी डाॅ. पी. यादगिरी ने दिवस की महत्ता प्रकाश डालते हुए कहा कि इस दिन को आटिज्म के रूप में मनाने का एकमात्र उद्देश्य आटिज्म पीड़ित बच्चों के जीवन में सुधार के लिए सकारात्मक कदम उठाना है। जीवन के हर मोड़ पर उनकी सहायता करना है । नीला रेग आॅटिज्म का प्रतीक है।
                     कार्यक्रम का संचालन डाॅ. श्रीमती नाजिया मोहम्मदी ने किया। आॅटिज्म से संबंधित विषय पर चर्चा डाॅ. अरिहन्त जैन ने की। अंत में उपस्थितों को धन्यवाद प्रदर्शन डाॅ. श्रीमती विजयलक्ष्मी धान ने किया ।
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