बिलासपु—छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में प्रदेश के सभी जरूरतमंद अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता देने, परिवार के संपूर्ण स्वास्थ्य जांच, और अधिवक्ताओं को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर अधिवक्ता आनंद मोहन तिवारी ने याचिका दायर की है।
जरूरत मंद अधिवक्ताओं की समस्या और सुविधाओं को लेकर आनन्द मोहन तिवारी ने याचिका दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि स्टेट बार काउंसिल छत्तीसगढ़ नियम 2005 और बार काउंसिल ऑफ इंडिया समेत अन्य सभी संगठनों में अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए कई प्रावधान है। प्रावधानों के तहत कोरोना संकट में अधिवक्ताओं को लाभ दिया जाना चाहिए।
पिटीशन में हाईकोर्ट अधिवक्ता आनंद मोहन तिवारी ने सभी पक्षों का उल्लेख करते हुए कहा है कि प्रदेश के दूरस्थ अंचल में भी अधिवक्ता विधि व्यवसाय से जुड़े हैं। कोरोना महामारी में लॉक डाउन के कारण विधि व्यवसाय प्रभावित हुआ है। न्यायालीन प्रक्रिया पूरी तरीके से रुकी हुई है। जिसके कारण अधिवक्ताओं को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है।
याचिका में बताया गया है कि ऐसे अधिवक्ता जो मुख्य रूप से विधि व्यवसाय पर आश्रित हैं। उनके पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है। ऐसे लोगों के लिए यह दौर संकट का हैं। ऐसे में स्टेट बार काउंसिल छत्तीसगढ़, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ,अधिवक्ता कल्याण अधिनियम, समेत अनेक प्रावधानों का जिक्र करते हुए आनन्द मोहन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।।
आनन्द मोहन ने बताया कि कमजोर अधिवक्ताओं को एक निश्चित राशि सहायता के रूप में दिया जाना जरुरी है। अधिवक्ताओं एवं उनके परिवार का पूर्ण रूप से स्वास्थ्य की जांच की भी जरूरत है। ताकि विषम परिस्थितियों से निपटते हुए बिना व्यवधान के अधिवक्ता अपने न्यायालय कार्य को जारी रख सकें।
अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए एक कल्याण कोष की स्थापना किए जाने की जरूरत है। कोष में अन्य संस्थाओं और अधिवक्ताओं की तरफ से सहयोग प्राप्त होता रहे। और इसका उपयोग जरूरतमंद अधिवक्ताओं और अन्य अधिवक्ता कर सके।
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