आप नेताओं ने उठाया आरडीए पर सवाल

BHASKAR MISHRA
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sandeepरायपुर—- आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि रायपुर को आर.डी.ए. प्रदूषित कर रहा है। आप प्रवक्ता संदीप तिवारी प्रेस नोट जारी कर कहा है कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार ने 13 जनवरी 2010 को रायपुर को ‘‘गंभीर रूप से‘‘ प्रदूषित घोषित किया था। मंत्रालय ने व्यवस्था दी थी कि कोई भी टाउनशिप और एरिया डवलपमेन्ट स्कीम के लिये पर्यावरण क्लीरेन्स, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से ही लिया जाएगा।

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                संदीप तिवारी ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने राजेन्द्र कुमार शुक्ला विरूद्ध छत्तीसगढ़ राज्य, आर.डी.ए. और अन्य प्रकरण में आर.डी.ए. को केन्द्र सरकार से प्रोजेक्ट के लिये अनुमति लेनी चाहिए थी। लेकिन आरडीए ने ऐसा नहीं किया। इससे जाहिर हो ता है कि कमल विहार असक्षम अधिकारियों का बनाया गया दोषपूर्ण टाउनशीप डवलपमेन्ट प्लान है।

                  संदीप तिवारी के अनुसार आर.डी.ए. ने न्यायालय के दिशा निर्देश के बाद भी पर्यावरण और नियम से खिलवाड़ किया है। आरडीए ने केन्द्र सरकार से पर्यावरण स्वीकृति भी नहीं ली है। किस अधिकार और शक्ति के तहत आर.डी.ए. जनता को प्लाट बेच रहा है? आर.डी.ए. ने प्रदूषण कम करने के लिए केन्द्र सरकार से सहयोग क्यों नहीं किया।

संदीप तिवारी ने बताया कि आर.डी.ए. बैंकाें से लिए अरबों के कर्जें में फंस गया है। भुगतान के अभाव में काम करने वाली कंपनियों ने काम करना बंद कर दिया है। आर.डी.ए. दिवालिया होने की कगार पर है। जनता को धोखे में रख डिस्काउंट का लालच देकर प्लाट बेच रहा है। ताकि बैंकाे से लिए गए कर्ज से  छुटकारा मिले।

तिवारी ने आरोप लगाया कि अवैध प्लाटिंग के समय सरकार आंख बंद कर अवैध प्लाटिंग को बढ़ावा दे रही थी। अवैध प्लाटिंग रोकने को मूल मकसद बताते हुए कमल विहार योजना लायी गयी। जो प्रारंभ से दोषपूर्ण रही है।

आम उपभोक्ताओं से धोखा

              कमल विहार के वाणिज्यिक क्षेत्र को व्यापारिक संस्थानों को छूट देकर इकट्ठे बेचने की कोशिश पर संदीप तिवारी ने सवाल उठाया है। संदीप ने बताया कि रिहायशी इलाके में अंतिम उपभोक्ता को आम जरुरत के हिसाब से विभिन्न तरह के प्रतिष्ठान उपलब्ध कराना जरूरी होता है।किसी एक व्यवसाय अथवा प्रतिष्ठान को व्यावसायिक जमीन बेचने की एक सीमा निर्धारित होती है। जबकि आर.डी.ए किसी प्राइवेट बिल्डर की तरह व्यवहार करते हुए किसी भी प्रतिष्ठान को कितनी भी जमीन बेचने पर उतारू है। कमल विहार के आम उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी है।

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