आमदनी अठन्नी, खर्चा रूपय्या…स्वीकृत 5000 भुगतान 6107 रूपए

BHASKAR MISHRA

bal majdoorबिलासपुर—शासन ने कलेक्टर दर पर कुशल,अर्धकुशल और अकुशल श्रेणी में कामगारों का बंटवारा किया है। दैनिक भुगतान के हिसाब से सभी कामगारों का महीने का मस्टर रोल तैयार किया जाता है। तीनों समूह के कामगारों का वेतन शासन से निर्धारित अाकड़ों से कहीं ज्यादा है। प्रश्न उठता है कि आखिर अतिरिक्त रूपए कामगारों को दिया कहां से जाता है। बहरहाल इस मामले में अधिकारी और कर्मचारी मौन हैं। या तो विभागीय कर्मचारी मजदूरों का भुगतान अपने वेतन करते होंगे या फिर तीन तिकड़म का सहारा लेते होंगे।

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                        शासन ने कुशल अर्धकुशल और अकुशल श्रेणी में मजदूरों का बंटवारा किया है। सभी समूहों का दैनिक भुगतान मस्टर रोल इसी आधार पर तैयार किया जाता है। परिवर्तनशील महंगाई भत्ता के आधार पर शासन से कलेक्टर दर पर कुशल मजदूरों को प्रति महीने 6549 रूपए,अर्धकुशल को 6289 रूपए और अकुशल मजदूरों को 6107 रूपए भुगतान करने का निर्देश है। जबकि शासन ने ही प्रति महीने के हिसाब से एक मजदूर पर अधिकतम 5000 हजार रूपए भुगतान करने का फरमान जारी किया है।यह फरमान तीनों श्रेणियो के लिए है।

                  समझने वाली बात है कि जब अकुशल मजदूरों का वेतन 6107 रूपए है। शासन से प्रति मजदूर महीने की स्वीकृति राशि केवल पांच हजार रूपए है। तो प्रश्न उठना स्वभाविक है कि प्रति मजदूर 1107 रूपए का भुगतान कहां से किया जाएगा। यह सभी लोगों के लिए अबूझ पहेली है। इससे जाहिर होता है कि शासन ने ऐसी गलती जानबूझ कर की है।

                           जिले के लोकनिर्माण विभाग में सैकड़ों कुशल,अर्धकुशल और अकुशल कामगार हैं। हर महीने कामगारों से एसआर से काम लिया जाता है। सभी मजदूरों को श्रेणी के अनुसार भुगतान भी किया जाता है। संभाग कार्यालय होने के कारण यहां सरकारी आवास और कार्यालयों में काम महीने भर होता रहता है। सभी काम एसआर प्रक्रिया के तहत कराए जाते हैं। ऐसा कमोबेश निर्माण से जुड़े अन्य विभागों में भी होता है। जिसमें वन विभाग भी एक है। सभी को कलेक्टर दर पर काम करने वालों की संख्या करीब चार सौ या इससे अधिक है।

                                           नाम नहीं छापने की शर्त पर पीडब्लूडी के एक कर्मचारी ने बताया कि हम लोग शासन के निर्देश पर कुशल अर्धकुशल और अकुशल आधार पर मस्टर तैयार करते हैं। तीनो श्रेणी के लिए शासन से प्रति मजदूर पांच हजार रूपए ही स्वीकृत होता है। चाहे वह कुशल हो,अर्धकुशल या फिर अकुशल मजदूर ही क्यों ना हो। लेकिन कर्मचारी ने यह नहीं बताया कि बाकी रूपए की व्यवस्था कैसे होती है। उसने इतना जरूर कहा कि व्यवस्था तो करनी पड़ती है।

                जानकारी के अनुसार संभाग के व्हीपआईपी आवास और कार्यालयों में महीने भर काम चलता है। कई कामगार तो बंगले में पूरे महीने रहते हैं। लोक निर्माण विभाग में तीनों श्रेणी की मजदूरों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। समझने वाली बात है कि अलग अलग श्रेणियों के मजदूरों का वेतन भी अलग अलग है। जाहिर सी बात है कि इन मजदूरों को अतिरिक्त राशि का जुगाड़ अधिकारियों को करना ही पड़ता होगा। यह जुगाड़ या तो चोरी से होता होगा या फिर ऐसा कोई दांव पेंच जरूर होगा जिससे काम आसानी से चल जाता है। अतिरिक्त राशि का भुगतान कई हजारों में होता होगा।

                          लोक निर्माण विभाग कर्मचारी के अनुसार ईई को एसआर मद से महीने में दस हजार रूपए का काम करवा सकता है। अधीक्षण अभियन्ता को महीने में एसआर मद में पचास हजार रूपए का अधिकार है। जबकि मुख्य अभियन्ता को एक लाख की एसआर अनुमति है। फिर भी यह कम है। क्योंकि संभागीय कार्यालय में लाखों रूपए से अधिक का काम 12 महीने होता है। इसलिए जरूरी है कि ईई को पचास हजार रूपए का एसआर अधिकार देने की जरूरत है। अधीक्षण अभियन्ता कम से कम दो लाख और मुख्य अभियन्ता की एसआर राशि बढ़ाकर पांच लाख किया जाए। अन्य़था या तो मजदूरों के साथ अन्याय होगा या फिर चोरी होती रहेगी। शासन से कामगारों के लिए जो दर निर्धारित किये गये हैं…वह आमदनी अठन्नी खर्चा रुपय्या जैसी कहावत को साबित करती है।

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