आर्थिक मंदी का संकट गहराया, कई सेक्टर्स से हजारों लोगों की गई नौकरियां

Shri Mi
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रायपुर।ऑटो सेक्टर (Auto Sector) से शुरू हुआ आर्थिक मंदी (Economic Slowdown) का रोग अब कई सेक्टर में फैल गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई सेक्टर्स से फैक्टरी बंद होने, प्रोडक्शन घटाने और कर्मचारियों की खबरें लगातार निकल कर सामने आ रही हैं. आर्थिक मंदी की आहट को भांपते हुए रिजर्व बैंक ने GDP ग्रोथ के लक्ष्य को घटा दिया था. हाल ही में अपनी क्रेडिट पॉलिसी (RBI Credit Policy) में रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ का लक्ष्य 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है.

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RBI के अनुसार ऑटो जैसे कुछ सेक्टरों में मंदी का असर ज्यादा बढ़ रहा है. मांग में कमी और सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicle) को बढ़ावा देने से ऑटो सेक्टर में मंदी छा गई है. यही वजह है कि ज्यादातर ऑटो कंपनियों को उत्पादन घटाना पड़ रहा है. इसके अलावा कर्मचारियों की छंटनी भी हो रही है. ऑटो सेक्टर समेत कई सेक्टर्स में हजारों नौकरियों पर तलवार लटक रही है. आइये इस रिपोर्ट में किन सेक्टर्स में नौकरियों पर खतरा है और किस वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई इसको समझने की कोशिश करते हैं.

ऑटो सेक्टर में 10 लाख नौकरियां जाने का खतरा
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (Society of Indian Automobile Manufacturers-SIAM) के मुताबिक, ऑटो सेक्टर में 10 लाख नौकरियां जाने का खतरा बढ़ गया है. सियाम (SIAM) का कहना है कि स्थिति नहीं सुधरने पर और भी नौकरियां जा सकती हैं. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) का दावा है कि तीन महीने (मई से जुलाई) में खुदरा विक्रेताओं ने करीब 2 लाख कर्मचारियों की छंटनी की है. FADA का मानना है कि निकट भविष्य में स्थिति में सुधार की संभावना नहीं है. भविष्य में छंटनी के साथ ही और भी शोरूम बंद हो सकते हैं. FADA के मुताबिक 18 महीने देश में 271 शहरों में 286 शोरूम बंद हो चुके हैं. इसकी वजह से 32 हजार लोगों की नौकरी चली गई थी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय टेक्सटाइल इंडस्ट्री में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 10 करोड़ लोग रोजगार पाते हैं. इंडस्ट्री की खराब हालात की वजह से इन लोगों के रोजगार पर बुरा असर पड़ने की आशंका है. बता दें कि कृषि (Agriculture) के बाद टेक्सटाइल इंडस्ट्री रोजगार सृजन करने वाले सेक्टर में काफी आगे है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर में स्पिनिंग इंडस्ट्री में करीब एक तिहाई प्रोडक्शन यूनिट बंद हो चुकी हैं. वहीं जो स्पिनिंग मिलें चल भी रही हैं, उन्हें भी भारी घाटा हो रहा है. ऐसे में हजारों लोगों की नौकरियां जाने का खतरा बढ़ गया है. नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने केंद्र सरकार ने इंडस्ट्री को मंदी से उबारने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की है. ऊंची ब्याज दरें, ऊंची लागत और सस्ते इंपोर्ट की वजह से टेक्सटाइल इंडस्ट्री को काफी नुकसान हो रहा है.

वहीं ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज (Britania Industries) और पारले प्रॉडक्ट्स से भी हजारों लोगों की छंटनी की आशंका जताई जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मांग में कमी की वजह से दोनों कंपनियां ये फैसला कर सकती है. बिस्किट बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी पारले प्रॉडक्ट्स को मांग में कमी की वजह से 8,000-10,000 लोगों की छंटनी करनी पड़ सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी 100 रुपये प्रति किलो या उससे कम कीमत वाले बिस्किट पर GST घटाने की मांग कर रही है. कंपनी का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानती है तो पारले अपनी फैक्टरियों में काम करने वाले 8,000-10,000 लोगों को छंटनी को मजबूर होगा.

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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