इंदौर वाले ने उड़ायी कोलवाशरी संचालकों की नींद..दूसरे के लायसेंस पर 4 कोल प्लाट..चोरी के कारोबार में हुआ इजाफा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–लम्बे समय से बिलासपुर और मुंंगेली के लोग कोल माफियों से परेशान हैं। कमोबेश आज भी है..लेकिन कोलमाफियों मेंं पुलिस डर खत्म हो चुका है। यही कारण है कि कोल मापियों का डिपो यानि कोयला चोरी के अड्डों की संख्या दिनों दिन बढती जा रही है। जब तब पुलिस और माइनिंग विभाग की छापामार कार्रवाई होती तो है। लेकिन कुछ दिनों बाद मामला जस का तस हो जाता है। अब तो बाहर के लोग किराए का लायसेंस लेकर कोयला कारोबार में हाथ काल रहे हैं। जिससे कोलवाशरियों की नींद गायब हो गयी है।
                अकेले इंदौर का कोल माफिया बिलासपुर और मुंगेली में चार कोल डिपो चला रहा है। जानकारी के अनुसार मुंगेली पुलिस इंदौर वाले कोल डिपो में हाथ डालना नहीं चाहती हैं। इसका फायदा अन्य कोलमाफियों को भी मिल रहा है। लेकिन कोलवाशरियों की नींद उड़ गयी है। बताते चलें कि बिलासपुर से खदेड़े जाने के बाद बिलासपुर के बाद अब मुंगेली जिला भी कोयला माफियों का गढ़ बन गया है।
                   एक समय बिलासपुर कोल माफियों का गढ़ हुआ करता था। लोग हाईवे किनारे खुलेआम कोयला व्यापार करते नजर आते थे। समय बदला…तात्कालीन आईजी पवन देव से लेकर वरिष्ठ पुलिस कप्तान आरिफ शेख ने कोलमाफियों का जीना मुश्किल कर दिया। इसके बाद कोलमाफियों ने नया पैंतरा खेला..। मुंगेली जिला में जड़ फैलाना शुरू कर दिया। अब तो मुंगेली जिला कोयला के अवैध कारोबार का गढ़ बन गया है।
 कोयला माफियों का स्वर्ग
                     बिल्हा से कुछ दूर मुंंगेली के सरगांव में कोयला का अवैध काराबोर धड़ल्ले से चल रहा है। जब बिलासपुर पुलिस कार्रवाई करती है तो मुंगेली ब्रांच से कोयला माफिया नुकसान की भरपाई कर लेते हैं। दरअसल कोयला माफियों का एक साथ बिलासपुर और मुंगेली में कोयला डिपो का कारोबार चलता है। बिलासपुर में जब कार्रवाई होती है तो सारा घाटा मुंगेली से पूरा हो जाता है। जानकारी के अनुसार इंदौर वाले कोयला माफिया का चार कोल डिपो संचालित हो रहे हैं। इसमें दो एक तो मुंगेली में है। इसका अर्थ है कि मुंगेली जिला इंदौर वाले के लिए ही नहीं बल्कि अन्य कोयला माफियों के लिए भी स्वर्ग है।
एक साथ चार कोल डिपो का संचालन
                जानकारी के अनुसार इंदौर  वाले कोल माफिया का  मुंगेली के सरगांव स्थित कोल डिपो सोने की अंडा देने वाली मुर्गी है। क्योंकि जब बिलासपुर स्थित कोल डिपो में छापामार कार्रवाई होती है तो सारी कमी मुंगेली कोल डिपो से पूरी हो जाती है। कमोबेश अन्य कोल डिपो संचालकों का भी यही हाल है। फिर भी कोल माफियों में बहारी बनाम स्थानीय का झगड़ा शुरू हो गया है। मुख्य वजह स्थानीय लोगों के पास जहां दो या फिर एक कोल डिपो है तो इँदौर वाले का चार कोल डिपो से चोरी का कारोबार होता है। जब छापामार कार्रवाई होती है तो स्थानीय कोलमाफियों का डिपो बंद हो जाता है। लेकिन डिपो संख्या अधिक होने के कारण इदौर वाले का चोरी का कारोबार चलता रहता है। जाहिर सी बात है कि सबसे अधिक नुकसान कोलवाशरियों की होती है। जबकि इन्ही नुकसान को रोकने के लिए पुलिस कार्रवाई करती है।
दूसरे का लायसेंस…खुद का कारोबार
             सोची समझी रणनीति के तहत इंदौर का कोल माफिया स्थानीय लोगों को लायसेंस  के एवज में भारी भरकम रकम देता है। जानकारी मिल रही है कि दो एक कोल प्लाट फिर किराए पर लेने वाला है। जाहिर सी बात है कि इंदौर वाले का कोयला चोरी का धंधा में बेखटक चल रहा है। यह जानते हुए भी कि दूसरे के लायसेंस पर कोल डिपो का संचालन और  कोयला की हेराफेरी करना अपराध है। फिर भी मध्यप्रदेश का यह व्यवसायी धड़ल्ले से सरगांव स्थित अमरजीत कोल डिपो समेत, कश्यप कोल डिपो बेलतरा, मां तारा कोल डिपो रतनपुर और बिल्हा स्थिल मोहदा में बाल कृष्ण कौशिक कोल डिपो का संचालन बेखौफ होकर कर रहा है। ऐसे में स्थानीय कोल माफियों को तकलीफ होना वाजिब भी है।
देर रात्रि से सुबह होने तक कोयला हेराफेरी
                  बहरहाल चारो कोल डिपो पर यदा कदा पुलिस या खनिज विभाग का  छापा पड़ता रहता है। खासकर बिलासपुर में जब कार्रवाई होती है। तो मुंंगेली  स्थित सरगांव का गुरूनानक कोल डिपो मुंगेली पुलिस की कृपा से चालू रहता है। देर रात्रि एक साथ कश्यप कोल डिपो, मां तारा कोल डिपो, बालकृष्ण कोल डिपो और गुरूनानक कोल डिपो में कोयला हेराफेरी का काम धड़ल्ले से चलता रहा है। हेराफेरी का काम  सुबह की पहली किरण के साथ बंद होता है। बताते चलें कि  कमोबेश सभी कोल माफिया कोयला चोरी के काम को इसी तरह अंजाम देते हैं।
दो जिला चार कोल डिपो
             बहरहाल इदौर वाले कोल माफिया के पौ बारह है। दो जिले मे चार कोल डिपो संचालित कर रहा है। जानकारी के अनुसार इंदौर का कोयला माफिया पुराने के अलावा दो एक नया कोल प्लाट का लायसेंस किराए पर लेने की पिराक में है। यह जानते हुए भी कि दूसरे के लायसेंस पर कोल डिपो का संचालन और कोयला चोरी करना अपराध है। फिर भी इंदौर वाले की तेज गति से अन्य कोयला माफियों के साथ कोलवाशरी संचालकों की धड़कने बढ़ गयी है।
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