इलेक्ट्रोरल बाण्ड…बहुत बड़ा घोटाला… नितिन ने कहा…पारदर्शिता के नाम पर लोकतंत्र को किया जा रहा कमजोर

BHASKAR MISHRA
6 Min Read

बिलासपुर— इलेक्टोरल बांड लोकतंत्र को नुकसान है। इसे लाने से पहले रिजर्व बैंक और चुनाव आयोग ने विरोध किया था। क्योंकि इसमें पारदर्षिता की कमी है। यह कालाधन का सबसे बड़ा केन्द्र है। इसका सबसे बड़ा फायदा बड़े दलों को है। छोटे दल तो खत्म हो जाएंगे। यह कहना कि छोटे छोटे कार्यकर्ताओं के लिए इलेक्ट्रोरल बाँण्ड लाया गया है। यह सरासर झूठ है। यह बातें दिल्ली ने मशहूर पत्रकार नितिन सेठी ने आईएमए भवन में आयोजित संवाद कार्यक्रम के दौरान कही।

             
Join Whatsapp Groupयहाँ क्लिक करे

                          आईएमए भवन में इलेक्ट्रोरल बान्ड चुनाव सुधार या घोटाला विषय पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रमुख वक्ता दिल्ली के मशहूर पत्रकार नितिन सेठी ने इलेक्ट्रोरल बाण्ड पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि इस बान्ड ने देश के लोकतांत्रिक बाण्ड को हिला दिया है। यह कालाधन का सबसे बड़ा केन्द्र हो गया है। दरअसल इस बाण्ड से पूंजीपतियों को सीधे फायदा है। और लोकतंत्र को बहुत बड़ा नुकसान है। ऐसे मेंजो समझते हैं कि लोकतंत्र आम  जनता के लिए है। कितना गलत है ऐसा समझना। क्योंकि जब 10 करो़ड चन्दा उद्योगपति देगा तो सरकार जनता से पहले उद्योगपतियों के हित को तवज्जो देगी।

               नितिन सेठी ने बताया कि देश की राजनीतिक पार्टियां साल 2017 के पहले तक दानदाताओं से 20 हजार से अधिक राशि डीडी व्हाउचर के माध्यम से लेती थी। इलेक्ट्रोरल बाण्ड के बाद तेजी से चन्दा के लेने के तौर तरीको में बदलाव आया है। इसके लिए सरकार ने लोकसभा में इलेक्ट्रोरल बिल लायी। बिल को राज्यसभा से दूर रखा गया। बताया गया कि अब कोई भी व्यक्ति चुनावी चंदा पारदर्शी तरीके से दे सकता है। चंदा लेने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा। मामले में पहले आरबीआई को एक पत्र भी वित्त मंत्रालय ने लिखा। आनन फानन में आरबीआई ने बैठक कर बताया कि ऐसा करना कालाधन को बढ़ावा है। यह तरीके पारदर्शी नहीं हो सकता है। वर्ग संघर्ष की स्थिति बन सकती है। बाजार में उथल पुथल देखने को मिलेगा। बावजूद इसके शासन ने आरबीआई के निर्णय को दरकिनार करते हुए इलेक्ट्रोरल बाण्ड लाया।

                नितिन सेठी ने बताया कि चुनाव आयोग ने इसका विरोध किया। बावजूद इसके सबको बायपस करते हुए इलेक्ट्रोरल बाण्ड को लाया गया। यहां तक की विपक्ष ने भी विरोध किया। लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं देखने को मिला। 2017 से लेकर अब तक 625 करोड़ रूपए इलेक्ट्रोरल बाण्ड से चन्दा में आ चुके है। इसमें सर्वाधिक फायदा सत्तारूढ़ दल को है। कांग्रेस को भी फायदा हुआ है। लेकिन अन्य छोटे दलों को भारी नुकसान हुआ है। चन्दा लेते समय सरकार ने खुद अपने ही नियम को कई बार तोड़ा है। लेकिन सरकार का कहना है कि सब चलता है।

                        नितीन सेठी ने बताया कि इसकी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता से मिली। रिजर्व बैंक ने इसके विरोध में शासन को पत्र लिखा था। लेकिन शासन के अधिकारियों का कहना है कि जवाब देरी से मिला। इसलिए उनके पत्र को नहीं देखा जा सका है। लेकिन सरकार ने दावा किया कि आरबीआई का शक उचित नहीं है। क्योंकि इसमें गोपनीयता का पूरा ख्याल रखा गया है। नितीन ने यह भी बताया कि इस बाण्ड के आने के बाद चुनावी चन्दा देने वाले का नाम पूरी तरह गोपनीय रखा गया। लेकिन आरबीआई ने जब बाण्ड जारी करने से इंकार कर दिया तो स्टेट बैंक को शामिल किया गया। स्टेट बैंक ने व्याउचर नम्बर जारी करने की शर्त रखी। क्योंकि नियम में बताया गया था कि कोई भी सरकीरू एजेंसी यदि जानकारी मांगेगी तो उसे क्या दिया जाएगा। स्टेट बैंक ने कहा कि टैक्स जब स्वीकार करेंगे तो कम से कम व्हाउचर नम्बर का प्रयोग किया जाना जरूरी है। इसके बाद सरकार ने इसकी अनुमति दी।

               नितिन ने बताया कि अब तक कुल चन्दा में 60 प्रतिशत फायदा भाजपा को हुआ है। मजेदार बात है कि  बान्ड पेपर की छपाई का टैक्स चन्दा देेने या लेने वाले से नहीं बल्कि आम जनता से लिया जा रहा है। सरकार ने एक हजार से लेकर 10 करोड़ का बाण्ड जारी किया है। 90 प्रतिशत राशि बड़े बाण्ड से आए है। 

             नितिन ने बताया कि इससे लोकतंत्र मजबूत नहीं बल्कि कमजोर हुआ है।विदेशी धन में आ रहे है। पूंजीपति स्वहित के लिए चन्दा देंगे तो सरकार आम जनता के लिए कैसे काम करेगी। क्योंकि इससे कालाधन बहुतायत में आएगा। बाजार खराब हो रहा है। देश में पूंजीपतियों का दबदबा बढ़ रहा है। यह बहुत ही खतरनाक है। जिसकी आशंका आरबीआई और चुनाव आयोग ने जाहिर की थी। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। लेकिन इस पर बहुत अधिक हायतौबा नहीं है। जाहिर से बात है कि सरकारी संस्थाएं दबाव में है। कोर्ट भी अछूता नहीं है।

          इस दौरान प्रश्नोत्तर का आयोजन किया गया। संवाद कार्यक्रम में प्रेस कल्ब अध्यक्ष समेत प्रवीण शुक्ला, सतीश जायसवाल, बजरग केडिया, सुदीप श्रीवास्तव ने भी अपनी बातों को रखा। सवाल भी पूछे गए। कार्यक्रम में रुद्र अवस्थी, नथमल शर्मा, कैलाश अवस्थी, निर्मल माणिक , मेयर रामशरण यादव,पीसीसी महामंत्री अटल श्रीवास्तव,अजय श्रीवास्तव,दीपक पाण्डेय,राकेश शर्मा, विजय केशरवानी, महेश दुबे,प्रमोद नायक, रविन्द्र सिंह,मनीष अग्रवाल समेत बिलासपुर प्रेस क्लब के पत्रकार भी मौजूद थे।

close