ई-मेल सर्विस बुक सत्यापन में उलझा MP में अध्यापक नियुक्ति का मामला

Shri Mi
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भोपाल।अध्यापक संघर्ष समिति,मध्यप्रदेश के नेता रमेश पाटिल ने बताया कि मध्यप्रदेश में अध्यापकों का राज्य स्कूल शिक्षा सेवा मे नियुक्ति किया जाना है। जिसके लिए सबसे पहले अध्यापकों को अपने ई-सर्विस बुक का अपडेशन ऑनलाइन किया जाना था। जिसके लिए शासन की ओर से अत्यंत कम समय दिया गया था जिसके कारण हजारों अध्यापक समय सीमा में ई-सर्विस बुक का अपडेशन इंटरनेट की समस्या की वजह से नहीं कर पाए।उन्ह्होंनेे बताया कि जो अध्यापक अपनी ई-सर्विस बुक का अपडेशन नहीं कर पाए उनकी ई-सर्विस बुक का अपडेशन संकुल प्राचार्य द्वारा किया जाना था।लेकिन संकुल प्राचार्यो द्वारा सत्यापन प्रक्रिया में केवल औपचारिकता निभाई और अध्यापकों की ई-सर्विस बुक की त्रुटियों को सुधारने में भी कोई रुचि नहीं ली गई।

             
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जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा नियमित कैडर चयन करने वालों की प्राविधिक सूची जारी की गई जिसमें ई-सर्विस बुक में त्रुटियां होने के कारण हजारो अध्यापको को लंबित रखा गया।

उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में इक्का-दुक्का ही जिले होंगे जहां 30 सितंबर की समय सीमा तक नियमित कैडर चयन वालों की अंतिम सूची जारी हुई होगी जबकि 30 सितंबर तक राज्य स्कूल शिक्षा सेवा मे नियमित कैडर चयन वालों के आदेश जारी हो जाना चाहिए था। अब सुनने में आ रहा है कि आदेश 5 अक्टूबर तक की स्थिति में होंगे। हो सकता है तब तक मध्यप्रदेश में चुनाव आचार संहिता लग जाए और नियुक्ति का पूरा मामला ही खटाई में पड जाए?

रमेश पाटिल ने बताया कि राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में शामिल होने के लिए अध्यापकों से विकल्प पत्र और स्व-घोषणा पत्र भरवाए जा रहे थे। शासन द्वारा जारी राजपत्र और लोक शिक्षण संचनालय द्वारा जारी निर्देशों में सेवा शर्तोसेवा, सेवा में वरिष्ठता, वेतन निर्धारण आदि का स्पष्ट उल्लेख नहीं था। जिसके कारण अध्यापक राज्य स्कूल शिक्षा सेवा मे नियुक्ति से बेहद असंतुष्ट थे। असंतुष्ट लगभग 2000 अध्यापकों ने माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर और खंडपीठ इंदौर और ग्वालियर की शरण ली।

उच्च न्यायालय ने राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में नियुक्ति को अपने निर्णय के अधीन कर शासन से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। राज्य स्कूल शिक्षा सेवा की पूरी प्रक्रिया में जिस प्रकार की गंभीर कमियां रखी गई उससे तो ऐसा लगता है कि नियुक्ति का मामला ही खटाई में पड़ जाएगा। हालांकि 99% अध्यापकों ने राज्य स्कूल शिक्षा सेवा के नियमित कैडर का चयन किया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे सब राज्य स्कूल शिक्षा सेवा की सेवाशर्तो से संतुष्ट थे।

पाटिल ने बताया कि शासन ने जिस प्रकार भययुक्त वातावरण बनाया और उच्चाधिकारियों ने अध्यापको पर जबरन राज्य स्कूल शिक्षा सेवा के नियमित कैडर का चयन करने के लिए दबाव बनाया उसके आगे अध्यापक नतमस्तक हो और असंतुष्ट होने के बावजूद अध्यापक नियमित कैडर चयन के लिए बाध्य हुआ।

आगे उन्होंने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग के क्षेत्राधिकार में कार्यरत अध्यापकों की नियुक्ति आज दिनांक तक राज्य स्कूल शिक्षा सेवा के नियमित कैडर में नहीं हो पाई है। अनुसूचित जनजाति विभाग के क्षेत्राधिकार में यह प्रक्रिया बाद में प्रारंभ हुई। अनुसूचित जनजाति विभाग में ई-सर्विस बुक अपडेशन में जिस प्रकार की समस्याएं अध्यापकों के सामने आ रही है उससे तो लगता नहीं कि आचार संहिता के पहले राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो पाएगी।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी वहां कार्यरत शिक्षाकर्मी शिक्षा विभाग में संविलियन के लिए लंबे समय से संघर्षरत थे। यह अवश्य है कि छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मियों की शत-प्रतिशत मांग पूरी नहीं हुई लेकिन इतना अवश्य कहना पड़ेगा कि जिस तेजी से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह ने शिक्षाकर्मियों की शिक्षा विभाग में शामिल होने की प्रक्रिया को पूरा करवाया वह प्रशंसनीय और अन्य प्रदेशों के लिए अनुकरणीय भी हैं। मध्यप्रदेश का अध्यापक घोषणा वीर के चंगुल में फंस गया है। न माया मिली न राम।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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