बिलासपुर— लोग ठीक ही कहते हैं एकता में अनेकता भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है। हमने आज तक इस स्लोगन को कई बार दुहराया है। लेकिन आज उदाहरण भी देखने को मिल गया। इसे इत्तफाक ही नहीं तो क्या कहेंगे कि आज ही ईद है…आज ही शक्ति पूजा पर्व का पहला दिन है..और आज ही भगवान अपने भाई बहनों के साथ प्रजा को देखने और दर्शन देने घर से बाहर निकले हैं। मजेदार बात तो यह है कि तीनों ही जगह एक ही व्यक्ति नजर आता है वह है क्षेत्र का लोकप्रिय विधायक अमर अग्रवाल। अमर अग्रवाल आज मस्जिद भी जाते हैं। बधाई देते हैं। जगन्नाथ मंदिर पहुंचकचर भगवान के रास्ते में झाडू लगाकर अमन शांति और खुशहाली की कामना करते हैं। अमर अग्रवाल शक्ति के पुजारियों को भी शुभकानाएं देते हैं। क्या यह किसी अद्भभुत कथा से कम नहीं है।
आज सुबह से ही लोग एक दूसरे को बधाई देते नजर आये। मजेदार बात तो यह है कि हिन्दू जब मुस्लिम भाई से गले मिला तो वह ईद की बधाई दे रहा था। ठीक उसी पल गले मिलते हुए मुस्लिम भाई नवकलेवर और शक्ति उपासना के पर्व का मिठास हिन्दू के कानों में घोल रहा था। ऐसा सिर्फ हिन्दुस्तान में ही देखने को मिल सकता है। जहां लोग पर्व का अर्थ मिलाप और अमन निकालते हैं।
यह संयोग नहीं तो क्या है…जब लोग एक दूसरे को अविश्वास की नजर से देखना शुरू कर देते हैं…तभी ग्रहों के संयोग की तरह एक ऐसा भी संयोग बन जाता है कि लोग अपने आप एक दूसरे को गले लगाने को दौड़ पड़ते हैं। आज का दिन….कुछ ऐसा ही रहा। मस्जिद के बाहर यदि गले मिलने के लिए हिन्दू भाई मुस्लिमों का इंतजार कर रहा था। तो मुस्लिम भाई भी नमाज के बाद नवकलेवर और शक्ति पूजा पर्व की बधाई देने के लिए बेताब था। आज नवकलेवर उत्सव पर रस्सा खींचने की होड़ देखी गई। रस्सा खींचने वालों में आज वहीं व्यक्ति सबसे आगे था जिसने मस्जिद के बाहर मुस्लिम भाइयों को ईद का मुबारक वाद देने के बाद गले लगाया था।
सबने देखा आज भगवान को मौसी के घर विदा करने वालों में हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी थे। कुछ भक्तों के रूप में थे,, तो कुछ जनप्रतिनिधियों के रूप में..और कुछ वर्दी में भी नजर आए। कुछ मुस्लिमों ने बताया कि यह आनंद का उत्सव है। अल्लाह आज हमारे साथ तो है ही अब भगवान खुद हमसे हाल चाल पूछने यात्रा के बहाने बाहर आए हैं। हिन्दुस्तान की गंगा जमुनवी परंपरा का निर्वहन करते हुए हमने भी चार कदम रथ खींचकर उपर वाले का इस्तकबाल किया है। उसने बताया कि जब विधायक सबका हो सकता है तो हम सबके क्यों नहीं हो सकते।
यह इत्तफाक ही है कि जगन्नाथ उत्सव या फिर कहें नवकलेवर उत्सव ताजगी, ऊर्जा और मिलन का पर्व है। ईद मिलन, ताजगी और खुशहाली का उत्सव है। गुप्त नवरात्रि का पहला दिन त्याग,प्रेम और शांति का संदेश देता है। आज विभिन्न धर्मों ने समवेत स्वर में मर्यादा, भाईचारा का पाठ पढ़ाया है। यह सिर्फ हिन्दुस्तान में ही देखने को मिलता है। लोग ठीक ही कहते हैं कि धर्म, भाषा और अंदाज विभिन्न धर्मों के जुदा हो सकते हैं। लेकिन राष्ट्रीयता और मानवीय दृष्टिकोण हमें कभी एकता से बाहर जाने का मौका ही नहीं देता।