तखतपुर(टेकचंद कारड़ा)।♦हिन्दु एकता की मिसाल,
♦तबला वादक उस्ताद सफी नही रहे।नगर के तबला वादक उस्ताद सफी का निधन आज हो गया उनके निधन से पूरे शहर में शोक व्याप्त है सफी ने अपना पूरा जीवन गुरुद्वारे में तबला बजाया और मुस्लिम सिख एकता का परिचय दिया।देश में जाए को धर्म के नाम पर तलवारे खुशी हुई है वहीं पर एक ऐसा मुस्लिम जो नगर के रामायण मंडली और गुरुद्वारे में तबला बजा रहा था तबला वादक उस्ताद शफी केवल तबला गुरूद्वारा मे ही नहीं बजाता था।बल्कि उसने आने वाली पीढ़ियों को भी तखतपुर में तबला बजाना सिखाया और आज उनका सुबह निधन हो गया निधन होने के पश्चात सिख और मुस्लिम समुदाय में काफी शोक है।
क्योंकि उस्ताद सफी ने अपना पूरा जीवन गुरुद्वारे में मत्था टेककर तबला बजाया था और उसे कई वर्षों से गुरुद्वारे में तबला बजाने से गुरु की वाणी मुखाग्र याद थी।
इसके अलावा वह रामायण मंडलियों में भी जीवन के प्रारंभिक समय में तबला बजाया था एकता की मिसाल उस्ताद सफी के निधन पर सिख समाज में काफी शोक व्याप्त है और आज उनकी अंतिम यात्रा में पूरे सिख समाज के लोग भी शामिल हुए थे।
उस्ताद सफी नगर के मुसलमान मोहल्ला वार्ड नंबर 6 में जन्मे और और उन्होंने उर्दू मैं तमिल ली थी पर उन्होंने जैसे-जैसे होश संभाला वैसे-वैसे वह हिंदू और सिख के बीच में रहकर अपना जीवन व्यतीत किया और गुरुद्वारों में उन्होंने तबला बजाकर एक एकता की मिसाल दी थी इसके अलावा जब कभी नगर में किसी के घर में शुभ कार्य होते थे।
और गुरु की वाणी की जाती थी तब तबला वादक के रूप में सफी उस्ताद ही जाते थे।उस्ताद सफी सुबह नमाज अदा करने के बाद में प्रतिदिन गुरुद्वारे में आते थे और सुबह तबला बजाते थे इसके अलावा वाह 5 टाइम नमाज़ी भी थे और वे अपने धर्म के प्रति भी समर्पित रहकर अपना पूरा जीवन एकता की मिसाल बने रहने में समर्पित रहे और इनके कार्य मे पुत्र मो रफी,मो वसी ,मो शमी का भी सहयोग रहा है।