एक जिले में स्कूल की छुट्टी..तो दूसरे जिले में 1 मई से 10वीं 12वीं की कक्षाएं लगाने का आदेश,विरोध शुरू

Shri Mi
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बिलासपुर।छत्तीसगढ़ में हर साल पूरे मई और जून के शुरूवती हफ़्तों में भीषण गर्मी का प्रकोप रहता है। एतिहात के तौर पर अप्रेल अंतिम सप्ताह में जांजगीर चांपा के कलेक्टर ने भीषण गर्मी को देखते हुए जिले के सभी विद्यालयों में अवकाश घोषित कर दिया है। वहीं दूसरी ओर मुंगेली जिले के जिला शिक्षा अधिकारी ने ग्रीष्मकालीन अवकाश में भी शाला संचालन की निकाल दिया आदेश। अधिकारियों के आदेशों की माने तो एक अगल बगल के जिलों में तापमान में भारी अंतर प्रतीत होता है।सीजीवालडॉटकॉम के Whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

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छत्तीसगढ़ में अभी वर्तमान में तापमान कई जगह चालीस डिग्री से भी ऊपर तापमान का रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे में स्कूल संचालन होने से पालको एवं बच्चों को परेशानी हो रही थी।भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए जांजगीर चांपा जिले के कलेक्टर द्वारा छात्रों के स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए जिले के समस्त शासकीय,अशासकीय शालाओं में अवकाश घोषित करने संबंधी आदेश जारी किया गया है।

दूसरी ओर मुंगेली जिले के जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश जारी किया है कि जिले के स्कूलों में 1 मई से दसवीं और बारहवीं की कक्षाएं लगाई जाएंगी। जिला शिक्षा अधिकारी मुंगेली ने सभी प्राचार्यो शासकीय हाई स्कूल/हायर सेकेंडरी स्कूलों को 1 मई 2019 से शाला में होने वाले अध्यापन संबंधी निर्देश जारी किए हैं।जिसमें कहा गया है कि 1 मई से सभी शासकीय शालाओं में ग्रीष्मकालीन अध्यापन किया जाना है।

प्रदेश दो जिले को लगभग आस पास जुड़े हुए हैं दोनों जिलों में दो अलग अलग स्थिति दिखाई दे रही है।अब सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ जांजगीर चांपा जिले गर्मी पड़ रही है मुंगेली जिले में अभी तापमान सामान्य है जबकि आए दिन पत्र पत्रिकाओं में प्रदेश में पड़ रही भीषण गर्मी की खबरे प्रकाशित हो रही है।

मुंगेली जिले में तानाशाही का आलम यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने बच्चों की शतप्रतिशत उपस्थिति की सारी जिम्मेदारी शिक्षकों एवं प्राचार्यों को दे दी है।अब इस गर्मी में यदि पालक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते या बच्चे स्वयं स्कूल नहीं आना चाहते तो इसमें शिक्षक क्या कर सकता है।

इस विषय में शिक्षक नेता प्रदीप पांडेय ने ग्रीष्म कालीन अवकाश में समर क्लास लगाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि समर क्लास के नाम पर बच्चों की ग्रीष्म कालीन अवकाश छीनकर शासन बच्चों के बचपन और बचपन के आनंद के साथ खिलवाड़ कर रही है।यह पूर्णतः औचित्यहिन है।एक ओर जहां मई जून के महीने में सुबह से ही गर्म हवाएं चलने लगती है तो दूसरी ओर प्रदेश में शादी विवाह का मौसम भी होता है ऐसे में बच्चों का समर क्लास में आना नहीं के बराबर होता है।गिनती के बच्चों के साथ समर क्लास चलना बस  खाना पूर्ति बन के रह जाएगी।

प्रदीप बताते है कि हमें आज भी याद है कि कैसे हम पूरे वर्ष भर गर्मी की छुट्टियों का इंतजार करते थे तरह तरह के कार्यक्रम बना के रखा करते थे। जो आज भी बचपन के मीठी यादों के रूप में हमारे मन मस्तिष्क को रोमांचित कर देता है।आज भी बच्चे गर्मी की छुट्टियों का इंतजार करते हैं किसी को शादी में जाना है तो किसी को नानी नाना,बुआ मौसी के घर जाना है।ऐसे में अचानक समर क्लास लगाने का निर्णय मासूम बच्चों के साथ एक तरह से अत्याचार है।

प्रदीप ने बताया कि इस सबमें जो सबसे लाचार और असहाय प्राणी कोई है तो वह है शिक्षक जिसे ना तो गर्मी में लू का खतरा होता है ना ही ठंड में ठंड लगती है और ना ही वे बारिश में भीगते हैं।जब जहां चाहे उन्हें काम में लगा दिया जाता है। प्रदीप पांडेय ने बातया कि जल्द ही इस बात को संगठन में प्रमुखता से रखा जायेगा और  इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।

वही भाजपा नेता कृष्ण कुमार शुक्ला (दाऊ) ने बताया कि AC की ठंडी हवा में बैठ कर अधिकारी ऊल जुलुल आदेश दे रहे है। अधिकारी मैदानी हकीकत से अंजान है। ज्यादतर बच्चे साल के 10 महीने सुबह से शाम स्कूल और पढ़ाई के पीछे लगे रहते है। गर्मी की छुट्टियों में नाना-नानी या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ घूमने जाते है। बच्चे इन छुट्टियों का इंतज़ार साल भर करते है। ग्रामीण क्षेत्रो में तो ये लग्न बिहाव का सीजन है। ये गर्मी की छुट्टियां हमारे संस्कृति का एक हिस्सा बन गईं है। जिसे सभी ने अपना लिया है। सरकार के कुछ अफसर मुख्यमंत्री के सामने कौन सी वाह वाही लूटने के लिए इस संस्कृति को छिन्न भिन्न करने में लगे है। इन्हें कौन सा लाभ मिलेगा यह भूपेश सरकार के रणनीतिकारों को सोचना चाहिए। शिक्षक औऱ छात्रों को पर अधिकारियों का प्रयोग बंद होना चाहिए।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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