एटीआर वनवासियों को मिलेगा अधिकार-जी.आर.राना

BHASKAR MISHRA
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IMG-20161113-WA0223बिलासपुर-भारतीय संविधान ने आदिवासियों को भरपूर अधिकार दिया है। देश के 21 राज्यों में आदिवासी समाज का सर्वे हुआ है। आदिवासियों के विशेष अधिकार पांचवी और छठवी अनुसूची समेत कई उपधाराओं में जिक्र किया गया है।छत्तीसगढ़ के 13 जिले आदिवासी बहुल्य हैं। 6 जिले आंशिक आदिवासी बाहुल्य जिले हैं। इनमें से बिलासपुर भी एक जिला है। जनजाति आयोग आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का एक प्रहरी होता है। भारत सरकार की आदिवासी समाज के लिए दिए गए अधिकारों का आदिवासी समाज तक पहुंच रहा है या नहीं इसकी जानकारी अनुसूचित जनजाति आयोग करता है। यह बातें छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष ने आज पत्रकारों से कही।

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                                           जीआर राना ने बताया कि प्रदेश में 42 जनजाति नोटिफाई हैं। 136 जनजाति ऐसे हैं जिन्हें अभी नोटीफाई नहीं किया गया है। लेकिन वे सभी आदिवाही हैं। राना ने बताया कि सरकार ने 12 ऐसे आदिवासी जनजाति को नोटीफाई किया है क्लेरिकल त्रुटि के कारण संवैधानिक सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। लेकिन ये लोग आदिवासी हैं। जल्दी ही इन्हें भी 42 नोटीफाई जनजातियों की संख्या से जोड़ लिया जाएगा।

                                           सत्तर साल के बाद भी आदिवासियों को संवैधानिक अधिकारों का लाभ नहीं मिला के सवाल पर राना ने कहा कि दरअसल आदिवासियों पर फोकस होकर काम करना होगा। यह कहना गलत है कि आदिवासियों को संवैधानिक अधिकारों का लाभ नहीं मिला। लाभ मिला है लेकिन जिस स्तर पर मिलना चाहिए था वह नहीं हुआ। अब फोकस होकर काम किया जा रहा है। आयोग अध्यक्ष भी उसी वर्ग का बनाया जा रहा है। अब आदिवासियों का बेहतर और चहुंमुखी विकास होगा।

                                                                      सीबीआई का मानना है कि ताड़मेटला में पुलिस ने आग लगाई थी के सवाल पर राना ने कहा कि राष्ट्रीय आयोग अपना काम कर रही है। कल्लूरी क्या आदिवासियों को निशाना बना रहे है के सवाल पर राना ने कहा कि इस बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है। राष्ट्रीय आयोग इस मामले में लगातार काम कर रही है। पोलावरम् बांध बनने से बस्तर का दुर्लभ आदिवासी समाज खत्म हो जाएगा के सवाल पर राना ने कहा कि अभी मुझे इस बारे में मुझे अधिक जानकारी नहीं है लेकिन अब सवाल आ ही गया है तो मैं वहां जाउंगा और आदिवासी हित में जो कुछ भी होगा करूंगा। राना ने कहा कि कई ऐसे उदाहरण हैं जब पता चला कि इस योजना से आदिवासी समाज को बहुत नुकसान होगा..इसके बाद योजना को बंद कर दिया गया। पोलावरम में भी ऐसा हो सकता है।

                               प्रदेश का मुख्यमंत्री आदिवासी होना जरूरी है कि नहीं…राना ने कहा कि प्रदेश का विकास होना जरूरी है। प्रदेश का कोई भी व्यक्ति मुख्यमंत्री हो सकता है। जरूरी नहीं कि आदिवासी नेता ही मुख्यमंत्री…आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि देखने में आया है कि आदिवासी और अन्य वर्ग के नेता कभी एक साथ बैठते नहीं है। विचार विमर्श करते नहीं है। कारण क्या है इसे मैं नहीं जानता हूं।

                              अचानकमार टाइगर रिजर्व से आदिवासियों को हटाया जा रहा है…सवाल का जवाब देते हुए इसकी जानकारी मुझे अभी नहीं है…। यदि ऐसा है तो वह सरासर गलत है। मामले को संज्ञान में लूंगा। राना ने बताया कि आदिवासी समाज और जंगली जानवरों में बहुत अच्छा तालमेल होता है। दोनों एक ही परिक्षेत्र में मिलजुलकर रहते हैं। भला जंगली जानवरों को आदिवासियों से क्या खतरा हो सकता है। आदिवासी भी वायोस्फियर का हिस्सा होते हैं। इसलिए उन्हें विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए। फिर भी मैं कारणों का पता लगाने की कोशिश करूंगा। जरूरत पड़ी तो गंभीरता के साथ आदिवासी समाज को विस्थापित होने से बचाउंगा।

                                 आयोग अध्यक्ष के नाते आपने आदिवासियों के विकास के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किया है के सवाल पर राना ने बताया कि मेरा हमेशा से प्रयास रहा है कि संविधान में दिए गए अधिकार आदिवासियों को मिले। भारत सरकार जो कुछ भी आदिवासी समाज के विकास के लिए संसाधन और सुविधाएं भेजती है वह आदिवासियों तक पहुंचे। यह कहना गलत है कि आदिवासियों का विकास नहीं हुआ..मैं कहूंगा कि जैसा होना चाहिए था वैसा परिणाम नहीं मिला।

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