एनएसयूआई छात्रों ने किया बीयू कुलपति का घेराव

BHASKAR MISHRA
3 Min Read

IMG-20170508-WA0017बिलासपुर—एसएसआई नेताओं ने बिलासपुर विश्वविद्यालय कुलपति डॉ.गौरी दत्त शर्मा का घेराव किया। गर्मी के बीच सेमेस्टर परीक्षा आयोजन को लेकर तैयारियों को अपर्याप्त बताया। छात्र और एनएसयूआई नेताओं ने कहा कि कक्षाओं में बिना कुलर और पंखे के लेक्चर दिये जा रहे है। परीक्षा को ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय प्रबंधन की तैयारी भी ठीक नहीं है । यदि व्यवस्था को समय रहते ठीक नहीं किया गया तो परीक्षा का वहिष्कार किया जाएगा।

Join Our WhatsApp Group Join Now

            एनएसयूआई बिलासपुर विधानसभा अध्यक्ष सोहेल खलिक की अगुवाई में छात्रों ने बिलासपुर विश्वविद्यालय कुलपति का घेराव किया। प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सौहेल ने बताया कि इस समय भयंकर गर्मी पड़ रही है। बावजूद इसके बिना किसी समुचित व्यवस्था के सेमेस्टर की कक्षाएं चल रही है। लेकिन छात्रों का ध्यान लेक्चर में कम गर्मी पर ज्यादा है। कमरों में पंखे्,कूलर की कमी है। वाटर कुलर की भी व्यवस्था नहीं है। छात्र छात्राएं भंयकर गर्मी में लेक्चर सुनने को मजबूर हैं।

                      सोहेल ने कुलपति को लिखित शिकायत करते हुए कहा कि 14 मई से बिलासपुर विश्वविद्यालय के सभी कालेजों में सेमेस्टर परीक्षाएं चालू हो जाएंगी। बावजूद इसके प्रबंधन ने गर्मी से राहत देने किसी प्रकार का प्रयास नहीं किया है। सौहेल ने बताया कि परीक्षाएं तीन पालियों में होंगी। जिले और जिले से बाहर के छात्र छात्राएं भारी संख्या में परीक्षा में शामिल होंगे। लेकिन प्रबंधन ने यूटीडी और कालेजों में अभी तक कुलर और पंखों का इंतजाम नहीं किया हैं।

                        भयंकर गर्मी के चलते सेमेस्टर कक्षाओं में छात्र छात्राओं की स्थिति बहुत ही खराब है। किसी भी छात्र का लेक्चर में मन नहीं लग रहा है। समस्या की तरफ ना तो कालेज और ना ही विश्वविद्यालय प्रबंधन का ध्यान है। यह जानते हुए भी कि गर्मी में कोई भी विद्यार्थी डिहाइड्रेशन और उल्टी दस्त का शिकार हो सकता है।

 सोहेल और अन्य एनएसयूआई नेताओं ने कुलपति से कहा कि 42 डिग्री पारे के बीच ठंडे दिमाग से पेपर देना मुश्किल है। विश्वविद्यालय को छात्रों की परेशानियों को समझना होगा।

                              सोहेल ने कहा  समस्याओं को दूर नहीं किया गया तो छात्रहित में एनएसयूआई चरणबद्ध आंदोलन करने के लिए मजबूर है।

close