बिलासपुर। सकरी-कोटा रोड में सड़क चैड़ीकरण के नाम पर 4 हजार पेड़ काटे जाने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने छत्तीसगढ़ शासन को नोटिस जारी कर जवाब देने कहा है। याचिकाकर्ता शैलेष पाण्डेय ने शासन के पेड़ काटने के फैसले के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, भोपाल में याचिका लगाई थी। जिसमें मेडिशलन प्लांट काटे जाने के विरोध के साथ पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने लिए पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग की गई है। ट्रिब्यूबनल ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शासन, सचिव पीडब्लूडी, रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड, जिला कलेक्टर और ठेकेदार सुनील अग्रवाल को नोटिस जारी करके जवाब देने कहा है। मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
सकरी कोटा रोड़ में पेड़ काटे जाने के विरोध में शैलेष पाण्डेय की याचिका पर एनजीटी ने सभी अनावेदकों को नोटिस जारी किया है। 25 अगस्त को सभी को जवाब देने कहा गया है। याचिकाकर्ता शैलेष पाण्डेय ने अपनी याचिका में कहा है कि सकरी-कोटा रोड़ में हजारों की संख्या में आयुर्वेदिक पेड़ है, जो वर्षो पुराने है साथ ही भरनी और गनियारी सहित कई गांव को आयुर्वेद गांव घोषित किया गया है। इन पेड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने में किया जाता है। ऐसे में इन पेड़ को काटे जाने के फैसले के पूर्व हजारों आयुर्वेदिक पेड़ों के संरक्षण के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई। न ही इसके रोकने के लिए कोई प्रयास किया गया है।
श्री पाण्डेय की याचिका में यह भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में अचानकमार टाईगर रिजर्व है, जहां बड़ी संख्या में वन्यप्राणी है। कुछ ही किलोमीटर की दूरी वन्यप्राणी भी विचरण करने आ जाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने वाहनों की आवाजाही पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा रखा है। अब मात्र कोटा-लोरमी और टाईगर रिजर्व के पर्यटकों हेतु इस मार्ग का उपयोग छोटे वाहनों के लिए होता है। श्री पाण्डेय ने बताया कि पर्यावरण की रक्षा करना और पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है।
सकरी-कोटा मार्ग में सड़क चौड़ीकरण के लिए लगभग 4 हजार पेड़ों को काटने की तैयारी की जा रही थी। इसके लिए स्थानीय स्तर पर लोगों के साथ जुड़कर अनेक माध्यम से पेड़ों को कटाने से रोकने के कोशिश की गई। जिसमें मानव श्रृंखला, जनजागरूता रैली सहित कई आयोजनों से जनता के माध्यम से जिम्मेदार लोगों तक गुहार लगाई गई। इसमें सभी समाज और सभी वर्ग के लोगों ने एकजुट होकर साथ दिया। अब लोग यही चाहते हैं कि सड़क चैड़ीकरण के लिए पेड़ों को न काटा जाए। श्री पाण्डेय ने बताया कि पेड़ों को बचाने के लिए हमने राष्ट्रीय हरित अधिकरण में गुहार लगाई है कि जिसमें इन पेड़ों को नहीं काटने के लिए अनेक तथ्य प्रस्तुत किया गया है। हर तथ्य के प्रमाण और साक्ष्य भी याचिका में प्रस्तुत की किया गया है। श्री पाण्डेय ने बताया कि ये वृक्ष सामाजिकी वानिकी विभाग द्वारा 1982 में लगाए गए है। अब पेड़ फलदार व छायादार हो चुके है जिन्हे काटा जाना गलत है। याचिकाकर्ता की ओर से मामले की पैरवी अधिवक्ता आनंद मोहन तिवारी ने की।