एफडीआई का विरोध…कोयला संगठनों ने खोला मोर्चा..1 दिन की हड़ताल में अरबों का नुकसान…एक छटाक भी नहीं हुआ उत्पादन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— अखिल भारतीय स्तर पर बुधवार को देश के पांचों कोयला मजदूर संगठन ने एक दिवसीय हड़ताल किया। एसईसीएल एटक महामंत्री हरिद्वार सिंंह ने बताया कि एक दिन की हड़ताल में देश के किसी भी खदान से एक छटाक भी कोयला का उत्पादन नहीं हुआ है। केन्द्र सरकार की हठधर्मिता के चलते देश को अरबों का नुकसान हुआ है। हरिद्वार सिंह ने बताया कि एक दिवसीय हड़ताल का फैसला 5 सितम्बर को रांची में राष्ट्रीय कान्वेंशन में लिया गया। बैठक में कोयला उत्पादन क्षेत्र में एफडीआई का विरोध करेंगे। 24 सितम्बर को एक दिवसीय हड़ताल के दौरान सरकार के सामने चार सूत्रीय मांग भी रखेंगे।

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                               पत्रकारों से बातचीत के दौरान एसईसीएल एटक महामंत्री हरिद्वार सिंह ने बताया कि आज अखिल भारतीय स्तर पर देश के पांचों कोयला मजदूर संगठन नें सफल हड़ताल किया है। देश के किसी भी खदान से एक छटाक का कोयला उत्पादन नहीं हुआ। हमने एक दिवसीय हड़ताल कर भारत सरकार के एफडीआई करने के फैसले का विरोध किया है। कोयला मजदूर कभी भी 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूर नहीं करेगा। हमने एक दिवसीय हड़ताल कर सरकार की औकात को दिखा दिया है। यदि सरकार अपने फैसले नहीं हटती है..तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

              हरिद्वार ने बताया कि बुधवार को बिलासपुर समेत देश के कोने कोने में एक दिवसीय हड़ताल में एटक,बीएमएस, इंटक, सीटू और एक्टू मजदूर संगठन ने हिस्सा लिया। सामुहिक हड़ताल कर सरकार को आइना दिखाया है। पिछले 25 साल में ऐसी जबरदस्त किसी हड़ताल को सफलता नहीं मिली है। एटक नेता ने बताया कि भारत सरकार पागल हाथी हो चुकी है। सार्वजनिक क्षेत्र को तहस नहस करना चाहती है। कभी बैंकों का मर्जर का एलान किया जाता है..तो कभी रक्षा क्षेत्र के उद्योगो तो कभी निजी बीमा क्षेत्र को निशाना बनाया जाता है। भारत सरकार ने अब कोल इण्डिया उद्योग में 100 प्रतिशत निजी निवेश का एलान किया है। जिसे देश के कोयला मजदूर हरगिज बर्दास्त नहीं करेंगे।

                                   हरिद्वार ने कहा कि कोल इण्डिया में सरकारी गैर सरकारी मिलाकर कुल 5 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। देश का माइनिंग क्षेत्र कुल 8 भागों में बंटकर कोल इण्डिया के अन्दर काम करता है। भारत सरकार ने एलान किया है कि सीएमपीडीआई को कोल इण्डिया से अलग कर अलग संस्थान बनाया जाएगा। हरिद्वार ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि 100 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने वाली कंपनियों को कमजोर करने की सरकार साजिश कर रही है। ऊपर ने सरकार ने फैसला किया है कि कोल इण्डिया में 100 प्रतिशत एफडीआई लागू किया जाएगा। फैसला लागू होने से कर्मचारी और उद्योग दोनो ही बरबाद हो जाएंगे।

                   एटक नेता के अनुसार कोयला उद्योग अपने पुरूषार्थ से ऊंचाई को हासिल किया है। 1991 में तात्कालीन सरकार ने सहायता करने से इंकार कर दिया। कोल इण्डिया ने चुनौती को स्वीकार करते हुए कोयला उद्योग को नई ऊंचाई दी। 63 हजार करोड़ रूपए कोष में जमा किया। भारत सरकार ने 2017 में 63 हजार रूपए निकाल कर कम्पनी को कंगाल कर दिया। बावजूद इसके कोल इण्डिया ने अपने कर्मचारियों को ना केवल 20 प्रतिशत वेतन का तोहफा दिया। पेंशन और मेडिकल की सुविधाओं का विस्तार किया। जबकि निजी कम्पनियों ने मात्र 6 प्रतिशत ही वेतन बढ़ाया है।

                             कोयला क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई का विरोध करते हुए मजदूर नेता ने कहा कि सरकार रिजर्व बैंक से एक लाख 36 हजार करोड़ रूपए निकालकर 1 लाख 45 हजार करोड़ रूपए पूंजीपतियों को उद्योग लगाने के लिए दिए हैं। इस बीच बिना किसी शासकीय सहयोग से कोयला इण्डिया ने मेहनत कश मजदूरों के प्रयास से 1 लाख 59 हजार 629 करोड़ का मुनाफा कमाया। हरिद्वार ने कहा कि हम सार्वजनिक क्षेत्र के कोयला उद्योग में एफडीआई को किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं करेंगे। एक दिवसीय हड़ताल तो एक चेतावनी है। यदि सरकार ने फैसला से कदम वापस नहीं लिया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

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