एमजी योजनाः आबकारी विभाग का झटका

BHASKAR MISHRA
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IMG-20160303-WA0002बिलासपुर– हरि अनंत हरि कथा अनंता…आबकारी विभाग की हालत भी कुछ ऐसी है। जितना लिखा और पढ़ा जाए..कम ही है। बावजूद इसके जिला प्रशासन नाक के नीचे सारी करतूतों को देखकर अनदेखी कर रहा है। जो समझ से परे है…यह जानते हुए भी 26 फरवरी को जिला पंचायत में आबकारी की ओव्हर रेट को लेकर सदस्यों ने जमकर टांग खींची थी।  फिर भी आबकारी महकमा और खासकर दारोगा अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। बोदरी,बिल्हा में अब भी ओव्हर रेट का खेल चल रहा है। चखना दुकान की मोटी रकम दारोगा के जेब में जा रही है।  दुकान में बैठे आरक्षकों ने बताया कि जैसा उप निरीक्षक का आदेश होता है उसी के अनुसार हम लोग काम करते हैं। अब एक नया मामला आबकारी विभाग का फिर सामने आया है। विभाग ने एमजी योजना के तहत शासन को जमकर चूना लगाया है।

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                            साल 2015 में सरकार ने नए नियम के तहत एमजी योजना को लागू किया है। योजना के तहत सभी बार को निर्धारित ठेके की दुकान से निश्चित मात्रा में शराब लेना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने वालों पर कार्रवाई की बात भी कही गयी है। शर्तों के अनुसार बार संचालकों को एक महीने में मैक्जिमम गारंटी के तहत निर्धारित शराब दुकान से शराब लेना होता है। बार को कितना शराब उठाना है इसका निर्धारण आबकारी विभाग और शासन करता है। लेकिन जिले के ज्यादातर बार संचालकों ने ऐसा नहीं किया है। जिसके चलते आबाकरी को मूल के साथ व्याज में भी घाटा हो रहा है।

                     बिलासपुर शहर में कुल 26 बार हैं। सभी बार को निर्देशित शराब दुकान से निर्धारित मात्रा में प्रत्येक महीने शराब उठाना होता है। बिलासपुर के ज्यादातर बार संचालकों ने ऐसा नहीं किया। निर्धारित मात्रा में दुकान से शराब नहीं उठाया। कुछ लोगों ने तो उठाया ही नहीं। ऐसा करने वालों पर आबकारी विभाग कलेक्टर के मार्फत हर महीने पेनाल्टी पटाने की नोटिस बार को जारी करना होता है। लेकिन विभाग ने ऐसा नहीं किया। अप्रैल से दिसम्बर तक किसी ने महीने के हिसाब से पेनाल्टी नहीं पटाया। इससे शासन को व्याज का भी नुकसान हुआ है। यह अलग बात है कि आनन फानन में आबकारी प्रशासन ने बार संचालकों को पेनाल्टी पटाने का नोटिस जारी कर दिया है। अभी तक आधे वार संचालकों ने ही पेनाल्टी पटाया है। जबकि सत्र 2015 खत्म होने में मात्र 22 दिन हे बचे हैं।

                          आबाकारी विभाग का मुखिया कलेक्टर को एमजी नियमों का पालन नहीं करने वालों को जानकारी देता है। कलेक्टर ऐसे लोगों के खिलाफ नोटिस जारी करता है। यह प्रक्रिया हर महीने में होना चाहिए। लेकिन आबकारी विभाग चखना और ओव्हर रेट के पैसे में खोया रहा। नवम्बर- दिसम्बर में कुछ लोगों को नोटिस जारी किया। कई लोगों को फरवरी माह में पेनाल्टी का नोटिस थमाया गया है। शासन को लाखों रूपए का नुकसान उठाना पड़ा है।इस नुकसान में व्याज का पैसा भी शामिल है।

                              आबकारी विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि प्रत्येक महीने बार संचालकों से एमजी योजना के तहत जानकारी मांगे। दुकान से पता लगाए कि निर्धारित बार में उन्होंने निर्धारित  मात्रा में शराब दिया है या नहीं। यदि नहीं तो क्यों। शिकायत यह भी है कि बार संचालक निर्धारित मात्रा में शराब तो नहीं उठाया लेकिन बाहर से शराब लेकर बार में परोसते रहे।

                    बहरहाल अब आनन फानन में आबकारी विभाग के अधिकारी और दारोगा बार संचालकों को नोटिस भेज रहे हैं। सत्र खत्म होने को है लेकिन आबकारी प्रशासन को अभी तक मात्र तय पेनाल्टी से आधा ही राजस्व मिला है। बताया जा रहा है कि कुछ बार संचालक पेनाल्टी के आंकड़ों में फेर बदल करने की कोशिश में है। कुछ की कोशिश कामयाब भी होती नजर आ रही है।

                         आबकारी विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि दिसम्बर में अधिकारी को समझ में आया कि एमजी योजना क्या है। इसके बाद आनन फानन में बार संचालकों को नोटिस जारी किया गया । अभी तक मात्र पेनाल्टी का आधा हिस्सा ही जमा हुआ है। नाम नहीं छापने के शर्त पर कर्मचारी ने बताया कि यदि लाखों रूपए की वसूली सही समय पर हो जाती तो शासन को व्याज का नुकसान नहीं होता। लेकिन अधिकारी सालभर  सिर्फ चखना दुकान और ओव्हर रेट में ही भिड़े रहे। क्योंकि इसमें फायदा है। इन्ही कारणों से सरकार को घाटा भी हुआ है।

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