ओ जाने वफा….रहने भी दे, थोड़ा सा भरम

BHASKAR MISHRA
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 IMG-20160403-WA0015बिलासपुर—ओ जाने वफा जुल्म ना कर…रहने भी तो दे थोड़़ा सा भरम…अपनों पर सितम गैरो पर करम्…बहुत मशहूर गाना है…बीच  की पंक्तियां याद नहीं है। याद करने की जरूरत भी नहीं है। बात पटरी पर लाते हैं। इन दिनों शहर में ताबड़तोड़ हेलमेट अभियान चलाया जा रहा है। हर तीसरे दिन सुरक्षा को लेकर नया फरमान जारी हो जाता है। पहले कलेक्टर ने कहा कि हेलमेट के बिना पेट्रोल नहीं मिलेगा। अब सुनने में आया है कि पीछे बैठने वालों को भी हेलमेट पहनना अनिवार्य है। इस आदेश के बाद अब कोई मोटर सायकल सवार किसी जरूरत मंद को लिफ्ट नहीं देगा। चाहे अस्पताल में उसकी मां मरे या बाप। संवेदनहीनता और तुलगकी फरमान की हद हो गयी है। अधिकारियों को जहां ध्यान देना चाहिए वहां दे नहीं रहे है। सड़कों की ऐसी की तैसी हो गयी है। चार पहिया में निकलों या दो पहिया में लोगों को ऊंंट की सवारी का अहसास होता है। कमर टूट जाए लेकिन सिर सुरक्षित रहे। डायग्नोसिस सड़क की होनी चाहिए लेकिन हो रहा है लोगों के सिर का। वाह रे हमारे अधिकारी और नेता। एक आंकड़े के अनुसार प्रदेश में सर्वाधिक सायनस के मरीज बिलासपुर में हैं। आश्चर्य नहीं होगा कि एक दिन प्रशासन यह भी कह दे कि लोगों को मास्क लगाना अनिवार्य है।

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                      प्रशासन के पास अब कोई काम ही नहीं रह गया है। या उनका ध्यान उधर नहीं जा रहा है जहां बड़ी बड़ी मछलियां पूरी तालाब को गंदा कर रही हैं..शायद उन्हें दिखाई नहीं दे रहा हो..लेकिन ऐसी संभावना कम ही है…हां यह जरूर हो सकता है कि ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ध्यान में लाओं तो कहते हैं कि कार्रवाई की जाएगी। सिरगिट्टी औद्योगिक क्षेत्र में परिवहन अव्यवस्था यातायात विभाग को दिखाई ही नहीं दे रहा है। पर्यावरण विभाग कुंभकर्णी नींद से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। खनिज विभाग अन्य विभागों से सहयोग नहीं मिलने का राग अलापता है। पुलिस विभाग को हेलमेट के चंदे से फुरसत नहीं है। आखिर यह सब हो क्या रहा है। पूरा का पूरा तंत्र हेलमेट के पीछे हाथ धोकर क्यों पड़ा है। dddddddd

                                         दाधापारा से औद्योगिक क्षेत्र सिरगिट्टी में खाद्य, खनिज, यातायात,सीएसआईडीसी और पुलिस महकमें को गड़बड़ी नजर क्यों नहीं आ रही है। हो सकता हो कि क्षेत्र के बड़े बड़े सेठ अपने हों। कुछ दिन पहले एक पत्रकार ने दाधापारा से पुलिस कप्तान, जिला कलेक्टर और आरटीओं अधिकारी को बताया कि सैकड़ों की संख्या में बिना परमिट ओव्हर लोड राक फास्फेट रेलवे साइडिंग से बीईसी फर्टीलाइजर भेजा जा रहा है। ओव्हरलोड परिवहन से स्थानीय लोग परेशान हैं। पत्रकार की बातों को प्रशासन ने एक कान से सूना दूसरे से बाहर निकाल दिया। चालिस चालिस टन का लोड लेकर सैकड़ों हाइवा आज भी रेलवे साइडिंग से डब्लूवीएम सड़क पर दौड़ रही है। जिस सड़क पर हाइवा अभी भी सरपट भाग रही हैं उसे मनरेगा के तहत सामान्य निस्तार के लिए बनाया गया है। ना की कालाबाजारी और पूंजीपतियों की सुविधा और बड़े बड़े हाइवा के लिए।

                                 परसदा के स्थानीय लोगों ने बताया कि हमने अपनी पीड़ा को कई बार जिला कलेक्टर के सामने रखा। लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। बल्कि धमकी देकर लौटा दिया गया। पंच सरपंच और जिला पंचायत सदस्य कर भी क्या सकते हैं। उनकी रोजी रोटी तो कोल माफिया और बड़े बड़े उद्योगपतियों से ही चलती है। पुलिस प्रशासन का भी उद्योगपतियों का आशीर्वाद हासिल है। यातायात और आरटीओ तो इस तरफ कभी नजर ही नहीं आते हैं। यदि कभी आए भी तो कंपनी के दरवाजे से ही लौट गए।

 IMG-20160403-WA0016    सिरगिट्टी बिलासपुर का औद्योगिक क्षेत्र है…देश विदेश से औद्योगिक क्षेत्र के लिए कच्चा और पक्का माल दाधापारा रेलवे साइडिंग पर उतरता है। यहां से कच्चे पक्के सामानों का आना जाना परसदा के डब्लूवीएम सड़क से होता है। सकरी सी सड़क कहने को तो आम निस्तार के लिए बनायी गयी। लेकिन इस पर पूंजीपतियों की बड़े-बड़े हाइवा ने कब्जा कर लिया है। हाइवा के आने जाने से टनों धूल गांव को बोनस में मिलता है। दाधापारा रेलवे साइडिंग से सिरगिट्टी क्षेत्र तक पहुंचने के लिए हल्के चार पहिया वाहनों के लिए सड़क बनाई गयी थी। लेकिन इस सड़क पर अब पैदल चलना दुश्वार हो गया है। सड़क से गिट्टियां गायब हो चुकी है। नियमानुसार सड़क से अधिकतम 16 टन का परिवहन किया जा सकता है। लेकिन यहां चालिस पचास टन का बोझ लेकर सैकड़ों हाइवा रोजाना चलना आम बता है।

                                          परसदा के ग्रामीणों ने बताया कि हमारा जीवन नरक बन चुका है। पहली बात तो यहां से हाइवा का परिवहन होना ही नहीं चाहिए लेकिन होता है। कई बार शिकायत की लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। पुलिस तो सुनती ही नहीं। सबके साथ उद्योगपतियों के नोटों के नीचे दबे हुए हैं। गांव की कलेश्वरी यादव, ऋषि यादव, सरोजनी यादव,शिव यादव और करीब आधा दर्जन लोगों ने बताया कि पंच,सरपंच,जनपद और जिला पंचायत सदस्य जोश में हमारी पीड़ा को समझते तो हैं लेकिन दूसरे दिन काम में व्यस्तता बताकर पल्ला झाड़े लेते हैं।IMG-20160403-WA0013

                        ग्रामीणों के अनुसार हाइवा ने कई बार लोगों को कुचला है। स्कूल जाते समय सड़क पार करते ही बच्चों के यूनिफार्म  कोयले के डस्ट से सराबोर हो जाते है। घर काला हो चुका है। पानी से लेकर बिस्तर तक सभी जगह धूल ही धूल है। लेकिन हम कर भी क्या कर सकते हैं। ओव्हरलोड गाड़ियों के नीचे एक दिन उनकी भी मौत हो जाएगी। दो चार दिन बाद सब सामान्य हो जाएगा। यदि प्रशासन के पास हेलमेट का मुद्दा नहीं होगा तो कोई और मुद्दा होगा। लेकिन हमारे हित के लिए अंत तक कुछ नहीं होगा। पूंजीपति और प्रशासन मिलकर प्रताडित करते रहेंगे।

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