औषधीय खेती में उद्यमिता की अपार संभावनाएं-कुलपति

Shri Mi
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life_SCIENCE_SKILL_GGUबिलासपुर। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के कौशल विकास केंद्र तथा जीव विज्ञान अध्ययनशाला तत्वाधान में “एंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट इन हर्बल ड्रग इंडस्ट्रीस” पर 20-22 अक्टूबर 2016 तक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जी.डी.शर्मा ने किया एवं अध्यक्षता केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता ने की।

             
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                                  कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जी.डी.शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कई प्रकार के हर्बल पौधे मौजूद हैं लेकिन उनके दस्तावेजीकरण उपलब्ध ना होने की वजह से वो आम जनता से दूर है। जिसे देखते हुए वर्तमान समय में उद्यमिता के क्षेत्र में ऐसे औषधीय पौधों की जानकारियों का दस्तावेजीकरण भी एक विक्लप है। उन्होंने विभिन्न औषधीय पौधों की महत्ता के बारे में भी बताया कि किस तरह उनका प्रयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों को ठीक करने में किया जा सकता है।

                                कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता ने पारंपरिक औषधीय तकनीकों एवं चिकित्सा पद्धतियों के विषय में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि छात्र औषधीय पौधों की खेती के क्षेत्र में मौजूद असीम संभावनाओँ को तलाश सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भी औषधीय पौधों को संरक्षित करने के प्रयास कर रही है ऐसे में उनके द्वारा इनकी खेती पर विशेष सुविधाएं प्राप्त होती हैं जिनका लाभ लेकर छात्र भविष्य में उद्योग की भी स्थापना कर सकते हैं।

                           विश्वविद्यालय के कुलसचिव (कार्यवाहक) प्रोफेसर बी.एन. तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे हैं किन्तु उनकी पहचान व महत्ता से लोग अनभिज्ञ है ऐसे में इस विषय पर कौशल विकसित कर छात्र हर्बल खेती विकसित कर सकते हैं। इससे पहले कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता एवं मुख्य अतिथि प्रोफेसर जी.डी.शर्मा ने सत्रह प्रकार की दुर्लभ एवं कीमती औषधीय पौधों की प्रदर्शनी को देखा।.

                       इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य छात्रों को औषधीय पौधों के महत्व तथा उपयोगिता के बारे में बताना था। प्रथम सत्र में फार्मेसी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वी.डी. रंगारी ने दिया। उन्होंने हर्बल ड्रग को बनाने के तरीके बताये। इसके पश्चात पवन हर्बल्स के सीईओ डॉ. अनिरुद्ध अग्रवाल ने हर्बल प्रोडक्ट के पंजीकरण एवं विभिन्न प्रकार के हर्बल प्रोडक्ट्स के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला के अगले दो दिनों में औषधीय पौधों से उत्पाद कैसे विकसित किया जा सकता है इस विषय में जानकरी दी जाएगी।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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