कर्मचारियों से नुकासन राशि की हो वसूली..सामाजिक कार्यकर्ता का वन मंत्री को पत्र..कहा..अब तक खाली नहीं होती जमीन

BHASKAR MISHRA
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रायपुर—- सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर और प्रमुख सचिव वन को पत्र लिखा है। सिंघवी ने बताया कि संयुक्त मध्यप्रदेश के समय जारी आदेश के अनुसार पोधरोपण के बाद  40% से कम पौधे जीवित रहते हैं तो रोपण को असफल माना जाएगा। पौधरोपण पर खर्च की गई 25% राशि शासन के लिए हानि मानी जाएगी। इसके लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी। और जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी से राशि वसूली जाएगी। , यह आदेश छत्तीसगढ़ में  लागू है।
 
अब तक जमीन की कमी पड़ जाती
 
            सामाजिक कार्यकर्ता सिंघवी ने बताया कि छत्तीसगढ़ निर्माण के समय से प्रदेश के 42% भूभाग में  वन है। फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया के अनुसार छत्तीसगढ़ के 42 प्रतिशत  वन क्षेत्रों में 116 करोड़ वृक्ष है। छत्तीसगढ़ में पिछले कई वर्षों से वन विभाग 7 से 10 करोड़ पौधरोपण करता है। प्रति व्यक्ति लगभग 40 वृक्षों की दर से लगभग 80 करोड़ पौधों का वृक्षारोपण हो चुका है। यदि  80 करोड़ पौधों में से आधे भी जिंदा होते तो  छत्तीसगढ़ के 60 प्रतिशत भूभाग में पेड़ होते। छत्तीसगढ़ में जमीन की कमी हो गई होती। स्पष्ट है कि असफल वृक्षारोपण किया गया है। इस लिए अब समय आगया है कि शासन को पिछले 10 वर्षो में किए गए वृक्षारोपण का मूल्यांकन करा कर असफल वृक्षारोपण से हुई वित्तीय हानि की वसूली उत्तरदाई अधिकारियों और कर्मचारियों से वसूल की जाये।
 
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दिया था शपथ पत्र
 
              पौोधरोपण की तकनीकी को लेकर सिंघवी ने मंत्री को पत्र में बताया कि छत्तीसगढ़ शासन ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय में दायर एक जनहित याचिका पर वर्ष 2017 में बताया था कि वृक्षारोपण तकनीकी के अनुसार किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ वन विभाग एवं तत्कालीन मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा जारी आदेशानुसार रोपण क्षेत्र का चयन वृक्षारोपण के एक वर्ष पूर्व हो जाना चाहिए। चयन किए गए रोपण क्षेत्र की उपयुक्तता का प्रमाण पत्र राजपत्रित अधिकारी से प्राप्त किया जाना चाहिए। बरसात के दौरान जब जमीन में 1 से 1.5 फीट तक नमी पहुंच जाए तो रोपण प्रारंभ करना चाहिये। वर्षाऋतु में  रोपण का कार्य 31 जुलाई तक हर हालत में पूर्ण हो जाना चाहिये। यथासम्भव 20 जुलाई तक सम्पन्न कराने का प्रयास किया जाना चाहिये। किसी कारणवश जैसे कि बरसात के कारण विषम परिस्थितियों के कारण 31 जुलाई तक रोपण किया जाना संभव न हो तो अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास/योजना) से समय वृध्दि प्राप्त की जावेगी। प्रत्येक रोपण क्षेत्र को प्रोजेक्ट के रूप में मानकर क्रियान्वयन हेतु अधिकारी तथा कर्मचारियों का नामांकन तथा निरीक्षण हेतु अधिकारी का नामांकन भी प्रोजेक्ट में दर्शना अनिवार्य है।
 
सिंघवी का आरोप और मांग
 
            सिंघवी ने आरोप लगाया कि वन विभाग एवं वृक्षारोपण करने वाले अन्य विभाग तकनीकी का पालन नहीं करते है।  बरसात चालू होने के बाद जमीन ढूंढते है और साल भर यहाँ तक कि भरी गर्मियों में भी पौधरोपण करते है।  गर्मियों में गड्ढे ना खोद कर वर्षाऋतु में पौधरोपण के लिए गड्ढे खोदते है। तीन साल तक देख भाल नहीं करते।  सिंघवी ने मांग की है कि पिछले दस वर्षो में किए गए असफल पौधरोपण से हुई शासन और जनता के पैसे की हुवित्तीय हानि की 25 प्रतिशत वसूली उत्तरदाई अधिकारियों और कर्मचारियों से वसूल की जाए। साथ ही पौधरोपण तकनीकी में सुधार किया जाए।

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