बिलासपुर ।छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रंताध्यक्ष और बिलासपुर ट्रेड यूनियन कौंसिल के अध्यक्ष – कर्मचारी नेता पी.आर. यादव ने प्रदेश सरकार के कर्मचारियों के वेतन का मुद्दा उठाया है। उन्होने कहा है कि वर्तमान में कर्मचारियों को मिल रहा वेतनमान न केन्द्रीय है और न ही राज्य सरकार का है। इसे देखते हुए राज्य में एक अलग वेतन आयोग के गठन की मांग पर जोर देते हुए उन्होने कर्मचारियों से सुझाव मांगे हैं।
पी.आर. यादव ने कहा है कि ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता होने के नाते मैं अपने अनुभव पर यह कह सकता हूं कि छत्तीसगढ़ में लागू कथित केंद्रीय वेतनमान स्वीकार नहीं करना चाहिए। क्योंकि जो वेतनमान दिया जा रहा है वह ना तो केंद्रीय वेतनमान है और ना ही राज्य का। मंत्रालय में बैठे वित्त विभाग के अफसर इसे “चूँ -चूँ का मुरब्बा ” बना कर हमें परोस देते हैं और हमारी वेतन विसंगति वर्षों से यथावत बनी हुई है । केंद्रीय वेतनमान हमारे प्रदेश में सिर्फ अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को ही मिल रहा है। हमें जो वेतनमान मिलता है वह “शिखंडी वेतनमान “है । न केंद्र का और ना राज्य का । इसलिए भविष्य में हमें राज्य स्तर पर रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में “वेतन आयोग “के गठन की मांग करनी चाहिए। अनेक राज्यों में “राज्य का वेतन आयोग” गठित की जाती है और उसकी अनुशंसा पर वेतनमान पुनरीक्षित किया जाता है । इन राज्यों का वेतनमान हमसे लाख गुना बेहतर है ।अनेक राज्यों में केंद्र के वेतनमान से भी बेहतर वेतनमान राज्य का है । इसका उदाहरण मैं शीघ्र आपके समक्ष प्रस्तुत करूंगा । मैं अपने सभी साथियों से भी आग्रह है कि देश के किसी भी राज्य का अधिकारिक रूप से जानकारी है तो शेयर करें ।इस विषय पर अपने विचार से भी अवगत कराने का कष्ट करेंगे। जिससे हम कर्मचारी हित के सर्वमान्य निर्णय पर पहुंच सके ।