कलाम को आखिरी सलाम…बिलासपुर से भी जुड़ी हैं यादें

Chief Editor
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बिलासपुुर ।  पूर्व राष्ट्रपति ए.पी..जे.अब्दुल कलाम अब हमारे बीच नहीं रहे।शिलाँग आई.आई.एम. में छात्रों के बीच लेक्चर देते समय दिल का दौरा पड़ने के बाद में वहां के अस्पताल में उनका दुखद निधन हो गया। मिसाइलमेन के नाम से सुपरिचित कलाम साहब एक वैज्ञानिक, टीचर,लेखक और लर्नर थे। बिलासपुर शहर के साथ भी उनकी यादे जुड़ी हुई हैं।वे 2006 में  बिलासपुर आए थे और यहां गुरूघासीसी दास विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे।

2006 में नवम्बर महीने की सात तारीख को गुरूघासीदास विश्वविद्यालय में यह दीक्षांत समागोह आयोजित किया गया था। तब वे मुख्य अतिथि के रूप में सामिल होने आए थे । इस मौके पर उन्होने विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओँ को डिग्रियां सौंपी थी और बहुत ही प्रेरक उद्बोधन दिया था।

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उनका उद्बोधन  उस समय के छात्र-छात्राओँ के जेहन में आज भी है।2006 के नवम्बर में राष्ट्रपति के रूप में वे दो दिन के छत्तीसगढ़ दौरे पर आए थे। उन्होने कई कार्यक्रमों के साथ ही रायपुर में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य के छठवें स्थापना दिवस समारोह के समापन कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया था। इसके पहले भी सत्र 2004-5 में 28 जनवरी को रायपुर के रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक दिन था जब रााष्ट्रपति के रूप में डा. ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने वि.वि. के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया था।

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छत्तीसगढ़ के साथ डा. कलाम की बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं। वे राष्ट्रपति और पू्र्व राष्ट्रपति के रूप में छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए थे।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने रायपुर में जारी शोक संदेश में कहा है कि ’भारत रत्न’ से सम्मानित स्वर्गीय डॉ. कलाम देश के एक महान वैज्ञानिक और प्रखर चिन्तक थे। उन्होंने कठिन जीवन संघर्ष के बीच देश के रक्षा वैज्ञानिक बनकर राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद को भी सुशोभित किया। झोपड़ी से जीवन प्रारंभ कर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचे। उनका जीवन सादगी और सच्चाई का पर्याय था। देशवासी उन्हें आम जनता के राष्ट्रपति के रूप में हमेशा सम्मान की दृष्टि से देखते थे।  बच्चों  और युवाओं में वह काफी लोकप्रिय थे। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में, एक शोधकर्ता वैज्ञानिक के रूप में और मिसाईल मेन के रूप में देश में अपार लोकप्रियता हासिल की। उनके निधन से देश ने अपना एक अनमोल रत्न हमेशा के लिए खो दिया है।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ से डॉ. अब्दुल कलाम का गहरा भावनात्मक संबंध था। नये राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ की तरक्की उन्हें काफी प्रभावित करती थी। डॉ. रमन सिंह ने इस सिलसिले में राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति के रूप में डॉ. अब्दुल कलाम की समय-समय पर हुए छत्तीसगढ़ प्रवास को भी याद किया है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में डॉ. कलाम ने 28 जनवरी 2004 को रायपुर में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के दसवें दीक्षांत समारोह में अपना प्रेरणादायक उद्बोधन दिया था। उन्होंने तीन जून 2004 को बस्तर जिले के सरगीपाल का दौरा किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजधानी रायपुर से लगे हुए नया रायपुर में छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति पर आधारित पुरखौती मुक्तांगन हमेशा डॉ. कलाम की याद दिलाता रहेगा। डॉ. कलाम ने वर्ष 2006 में सात नवम्बर को छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान राज्योत्सव के अलंकरण समारोह में शामिल हुए थे। उसी दिन उन्होंने पुरखौती मुक्तांगन का लोकार्पण किया था और ग्राम सुन्दरकेरा में वृक्षारोपण समारोह में शामिल होकर ’रतनजोत’ का पौधा भी लगाया था। डॉ. अब्दुल कलाम 22 नवम्बर 2010 को भी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर आए थे, जहां उन्होंने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में सिकलसेल एनीमिया पर आधारित चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया था और उसी दिन यहां दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) के छात्रों के कार्यक्रम में तथा समाज सेवी संस्था ’आकांक्षा’ के प्रांगण में आयोजित मानसिक निःशक्त बच्चों के पुनर्वास से संबंधित राष्ट्रीय कार्यशाला में भी शामिल हुए थे। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 12 सितम्बर 2013 को भी छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए थे। उन्होंने बेमेतरा में आयोजित जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में 26 सेवानिवृत्त शिक्षकों को सम्मानित किया था। मुख्यमंत्री ने डॉ. कलाम द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा में दिए गए प्रेरक उद्बोधन को भी याद किया।

 

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