बिलासपुर—- पालको और अशासकीय स्कूल संचालकों के बीच ट्यूशन फीस भुगतान को लेकर दिनों दिन तनाव बढ़ता ही जा रहा है। सोमवार को सर्व स्कूल अभिभावक संघ के बैनर तले पालकों ने जिला कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया। पालकों ने बताया कि कोरोना काल में आय के कमोबेश सभी साधनों पर गाज गिर चुकी है। आवक नहीं है। बावजूद इसके निजी स्कूलों की मनमानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। जिला प्रशासन को लिखित में पालकों ने बताया कि हम आरटीई के तहत निर्धारित ट्यूनशन फीस देने को तैयार हैं।
सर्व अभिभावक संघ के बैनर तले आज पालक और अभिभावकों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर धरना प्रदर्शन किया। पालकों ने बताया कि कोरोना के चलते रोजगार व्यवसाय बुरी तरह से चौपट हो चुका है। बावजूद इसके निजी स्कूल संचालक ट्यूशन फीस क नाम पर मनमानी वसूली से बाज नहीं आ रहे है। पालकों ने बताया कि हाईकोर्ट का निर्देश है कि स्कूलों को ट्यूशन फीस भुगतान किया जाए।
अभिभवकों ने बताया कि दस्तावेजों के अनुसार निजी स्कूल संचालकों ने ट्यूशन फीस निर्धारण के समय मनमानी की है। ट्यूशन फीस लेने से पहले जिला शिक्षा अधिकारी से अनुमोदन कराया जाना जरूरी है। बावजूद इसके किसी भी स्कूल संचालक ने ट्यूशन फीस निर्धारित करने से पहले या बाद में डीईओ से अनुमोदन नहीं कराया गया है। जबकि हम ट्यूशन फीस का भुगतान करना चाहते हैं।
अभिभावकों ने कहा कि वर्तमान में अशासकीय विद्यालय के संचालक एक ही लायसेंस से दो तीन विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। इसके अलावा आनलाइन शिक्षा के नाम पर दो या तीन कक्षाएं एक साथ एक ही समय पर कर रहे हैं। वाट्सअप पर वीडियों भेजा जा रहा है। जबकि इसके लिए एन्ड्रायड मोबाइल, टेबलेट, कम्प्यूटर और डाटा का होना बहुत जरूरी है। इसका भुगतान अभिभाकों को अलग से करना होगा। जाहिर सी बात है कि इससे अभिभावकों पर दोहरी मार पड़ रही है।
पालकों ने बताया कि हमारी मांग है कि अशासकीय विद्यालय सबसे पहले जिला शिक्षा अधिकारी से निर्धारित ट्यूशन फीस का अनुमोदन कराए। साथ ही निजी विद्यालयों को निर्देशित किया जाए कि आरटीई के तहत ट्यूशन फीस का निर्धारण किया जाए। ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके।