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मुंगेली(आकाशदत्त मिश्रा)।प्रदेश के मुखिया रमन सिंह ने अपने पिटारे से जब नौ रत्न जिले के रूप में निकाले थे तब उनमे से एक रत्न मुंगेली भी था , लेकिन किसी को क्या पता था कि गिद्ध की नज़र रखने वाले भृष्टाचारियो कि फौज मुंगेली पर भी धावा बोलेगी , और धीरे धीरे अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास कर रहे नवजात जिले को अपंग कर डालेगी।हम बात कर रहे है मुंगेली नगर के जिला बनने के बाद के विकास की, प्रदेश के सभी जिलों में राजधानी के तर्ज पर गौरव पथ बनने थे लेकिन राजधानी जैसा गौरवपथ दूसरा कही बन ना सका, बिलासपुर गौरव पथ की स्थिति से सभी वाकिफ है उसी के साथ मुंगेली गौरव पथ के निर्माण में इतना जबरदस्त घोटाला और भ्रष्टाचार किया गया कि वर्तमान कलेक्टर नीलम देव इक्का को कहना पड़ा कि मैं खुद मुंगेली में गौरव पथ तलाश कर रहा हूँ।इस मामले में कुछ पहलू इतने चौकाने वाले है कि मौके पर सड़क देखने से कोई बच्चा भी बता देगा कि यहां 100% गड़बड़ी की गई है।
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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तत्कालीन पद पर बैठे प्रशासनिक अधिकारियों और ठेकेदारों जिनमे से एक स्वयं को राज्य सरकार के मंत्री का सगा भतीजा बताते आये है इनके द्वारा संयुक्त रूप से गौरव पथ के निर्माण में भयँकर भ्रष्टाचार किया गया ठेकेदार के गड़बड़झाले और विरोध को थामने और सरंक्षण प्रदान करने नगर के कुछ युवा नेता कार्यकर्ता भी इस दौरान सक्रिय रहे। लेकिन जब अधिकारियों को अहसास हुआ किभ्रष्टाचार का पानी नाक से ऊपर हो रहा तब अपनी औपचारिकता पूरी करने के लिए ठेकेदार के कुछ भुगतान को रोक दिया गया , और लोगो ने दूरियां बना ली , लेकिन इन सबमे असल नुकसान यदि किसी का हुआ तो वो है मुंगेली की आमजनता जिसे अब वर्तमान जिलाधीश ने महसूस किया है।
इस खबर के माध्यम से हम यह बताना चाहते है कि किस तरह से राज्य सरकार की योजनाओं को आमजन तक पहुचाने की बजाय उसे दफ्तरों की फाइलों में उलझा कर इस तरह से जमीनी हकीकत में उतारा जाता कि वो अपनी असल सूरत गवां बैठते है , ऐसे में राज्य शासन की छवि को सीधे चोट करने वाले कार्यो का खामियाजा फिजूल में उन जनप्रतिनिधियों को जाने अनजाने में भुगतना पड़ता है जिन्होंने इस भ्रष्टाचार को चिमटे से भी नही छुआ है। बहरहाल मुंगेली कलेक्टर ने इस बात से इशारों में काफी कुछ कह दिया कि ” “मैँ खुद गौरव पथ को तलाश रहा मुंगेली में”