[wds id=”13″]
बलौदाबाजार-जिले के कसडोल विकासखण्ड के गांव बलौदा में अघोषित बाड़े में रखे गए पशुओं की मौत सम्बन्धी खबर को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने इसकी जांच कराई है। जिला पंचायत के 5 वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने आज मौके पर पहुंचकर घटना की जांच की और जिला प्रशासन को प्रतिवेदन सौंपा है।प्रतिवेदन के अनुसार बलौदा के ग्रामीणों द्वारा अपनी फसल सुरक्षा के लिए लावारिश पशुओं को स्कूल अहाता में अस्थाई रूप से घेरा बनाकर रखा करते थे। वे केवल अपनी आपसी सहमति से, बिना किसी की अनुमति लिए पशुओं को रखा करते थे। पशुओं की संख्या दो-ढाई सौ के आस-पास थी। इनमें से मृत 11 पशुओं की लाश का पोस्टमॉर्टेम कराया गया है। इनमें से 9 पशु तीन से छह माह के छोटे बछड़े और 2 पशु अत्यंत वृद्ध हो चुके थे। इसके अलावा 2 बीमार पशुओं का इलाज पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों द्वारा किया जा रहा है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
पशु चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार दो वृद्ध पशुओं के पेट से 3-4 किलोग्राम प्लास्टिक का मिलना मौत का प्रमुख कारण है। उनके अनुसार बछड़ों की मौत संकीर्ण स्थान पर एक साथ एकत्र होने से दम घुटने के कारण हुई है। साथ ही इन बछड़ों के शरीर पर बड़े मवेशियों के पैर के निशान भी पाए गए हैं।
यह भी पढे-Amazon और Flipkart के साथ ही Myntra की बिग फैशन डेज सेल इस तारीख से शुरू, मिलेंगे बंपर ऑफर्स और छूट
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रामीणों ने आपसी सहमति से अपने फसलों की सुरक्षा के लिए इन लावारिश पशुओं के लिए बच्चों की पढ़ाई के लिए निर्धारित स्कूल परिसर में अस्थाई आश्रय स्थल बना लिए थे। ग्रामीणों द्वारा नियुक्त 5 चरवाहे दिन भर पशुओं को हर रोज चराने बाहर ले जाया करते थे। राज्य सरकार की नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के अंतर्गत फिलहाल इस गांव में कोई गौठान संचालित नहीं है। जांच दल ने ग्रामीणों को यह भी समझाईश दी है कि कोई भी किसान अपने पशुओं को लावारिश हालत में ना छोड़ा करें, क्योंकि यह पशु क्रुरता अधिनियम 1960 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। जांच टीम ने ग्रामीणों को समझाईश दी है कि लावारिश पशुओं को कोई शासकीय स्थल पर निरुद्ध करके ना रखें। अपनी निगरानी और देख-रेख में इनका पालन करें।