बिलासपुर—जर जोरू जमीन विवाद के जड़ हैं। लोग ऐसा कहते है कि इस बात को सदियों से पढ़ा लिखा, सुनने के साथ देखा भी जा रहा है। लेकिन बिलासपुर में कुछ उल्टा ही है। रिश्तेदारी की आड़ में पटवारी जमीन की जमकर दलाली कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो इसकी जानकारी राजस्व अधिकारियों को भी है। लेकिन समान हितों के चलते कुछ बोलने से बच रहे हैं। लेकिन जानकारी पुख्ता है कि नगर के विवादास्पद हल्का के विवादास्पद पटवारी जमीन दलाली का काम साढू और साला के सहयोग से कर रहे हैं। यदि जांच हो तो जमीन दलाली से जुड़े साला और साढू के तार हल्का पटवारी के घर से जुड़े मिल जाएंगे।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे
सीजी वाल को हासिल पुख्ता दस्तावेज के अनुसार नगर के विवादास्पद हल्का के विवादास्पद पटवारी जमीन दलाली से बाज नहीं आ रहे हैं। सालों की विवादास्पद जमीन को पलक झपकते ही विवाद से बाहर कर रहे हैं। हासिल जानकारी के अनुसार विवादास्पद हल्का के विवादास्पद पटवारियों ने अब सीधे तौर पर लेन देन का काम बन्द कर दिया है। क्योंकि पटवारियों ने विवादास्पद जमीन को विवाद के पिटारे से बाहर निकालकर जमीन माफियों के साथ पार्टनरशिप का खेल खेलना शुरू कर दिया है।
मजेदार बात है कि कोई भी पटवारी जमीन माफियों के साथ प्रत्यक्ष पार्टनर नहीं हैं। पटवारी और राजस्व के कई छोटे अधिकारयों ने प्रत्यक्ष रूप से जमीन पार्टनर बनने की वजाय अपने साढू और सालों को सामने रखा है। जब भी जमीन माफिया विवादास्पद या सरकारी जमीन को हड़पना चाहता है…पटवारी और राजस्व के कुछ अधिकारी कर्मचारी जमीन माफिया के साथ पार्टनर बनने का आफर देते है। आफर स्वीकार करने की सूरत में सरकारी जमीन … ना केवल आबादी की हो जाती है..बल्कि रातो रात नया मालिक पैदा हो जाता है। इसके बाद शुरू होता है जमीन खरीद फरोख्त और पार्टनर बनने का खेल।
खेल में पटवारी या राजस्व का बंदा सीधे तौर पर नहीं जुड़ा होता है। बल्कि कोई रिश्तेदार मसलन साढू या साला का नाम आता है। साला और साढू के नाम पर ही चेक से भुगतान होता है। और पटवारी चुन चुनकर सरकारी और विवादास्पद जमीन को निर्विवाद बनाता चलता है। सीजी वाल के पास ऐसे कई दस्तावेज और चेक की छायाप्रति है जिससे जाहिर होता है कि पटवारियों के साला और साढू किस हद तक जमीन दलाली के काम में मुखौटा बनकर पटवारियों के मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं।