कांग्रेस नेता ने कहा…राष्ट्रीय शोक में डूबा प्रदेश..जनता कांग्रेसियों ने उड़ाया लोकतांत्रिक मूल्यों का मजाक…नेता के स्वागत में भूल गए संवेदना

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— राजनीति का स्तर इतना गिर सकता है..इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो। आज बिलासपुर जो कुछ हुआ..इससे लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान हुआ है। प्रदेश के मुखिया राज्यपाल बलराम जी टंडन के आकस्मिक निधन के बाद भी जनता कांग्रेस के नेता खुली सड़क पर शक्ति प्रदर्शन करते नजर आए।
                    कांग्रेस नेता शैलेन्द्र जायसवाल नेक हा कि सरकार ने राज्यपाल के निधन पर लोकतंत्र पर्व को सादगी से मनाने के आदेश जारी किया। सारे शासकीय सांस्कृतिक कार्यों पर विराम लगा दिया गया। बावजूद इसके जनता कांग्रेस नेता रेलवे स्टेशन से लेकर मरवाही सदन तक अजीत जोगी की जमकर आतिशी स्वागत किया। रंग गुलाल बरसाए । ताज्जुब की बात है कि पूर्व मुखिया ने शोक भी जाहिर किया। लेकिन सत्ता के हवस और आत्ममुग्धता में सारी संवेददाएं खत्म नजर आयी।
                 शैलेन्द्र जायसवाल ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि दुखद है कि हमारे मुखिया का निधन हो गया। प्रदेश शोक मग्न है। खबर मिलते ही कार्यालयों में ताला लग गया। 15 अगस्त के झण्डारोहण के बाद सारे कार्यक्रम निरस्त कर दिये। बावजूद इसके सत्ता के प्रहसन में हम इतने असंवेदनशील हो गए कि परिवार के मुखिया के मृत्यु पर भी जश्न मनाना बंद नहीं किए।
              छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के समय राज्य की बागडोर संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की संवेदनशीलता कहां गयी। राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए क्या सामाजिक सरोकारों को भी भूल गए।  जब प्रदेश के महामहिम आदरणीय बलराम दास टंडन की मृत्यु पर पूरा प्रदेश शोकग्रस्त है और एक दिन बाद स्वतंत्रता के पावन पर्व है। झंडारोहण के अलावा सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हों। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री को जश्न में शामिल होना उचित है।
                   शैलेन्द्र ने कहा कि रेलवे स्टेशन से नेहरू चौक तक जिस तरह से गुलाल की होली खेली गयी वह लोकतांत्रिक मूल्यों को शर्मसार कर देने वाली है। जो व्यक्ति प्रदेश का लगभग 3 सालों तक मुखिया रहा..उसके सामने ही उसके समर्थकों ने लोकतांत्रिक मूल्यों का पोस्टमार्टम कर दिया। यह सही है कि पार्टी निशान और स्वाथ्य लाभ लेने के बाद पहली बार अजीत जोगी बिलासपुर आए। कार्यकर्ताओं का जश्न मनाना भी स्वभाविक है। जब महामहिम के निधन की खबर मिलने के बाद भी स्वागत में रंग गुलाल और फूल माला का दौर चले तो…तो निश्चित ही शर्मनाक बात है। इससे जाहिर होता है कि जनता कांग्रेस मुखिया और कार्यकर्ताओं के मन में लोकतंत्रिक मूल्यों के लिए कोई स्थान नहीं है।
                 शैलेन्द्र के अनुसार लगता है जनता कांग्रेस मुखिया ने केवल रस्म अदायगी के लिए ही शोक संवेदना जाहिर किया है। अन्यथा कोई कारण नहीं था कि पत्रकारों से बातचीत के बाद अपने स्वागत में इतने मशगूल हो जाते। वे चाहते तो कार्यकर्ताओं को ऐसा करने से रोक भी सकते थे। लेकिन ऐसा चाहते तब। सवाल उठता है कि क्या ऐसे गैर जिम्मेदार नेता और कार्यकर्ता लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने के योग्य हैं?…
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