कानन पर अवैध वेन्डरों का कब्जा…वन मंत्री आदेश को दिखाया ठेंगा

BHASKAR MISHRA
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R_CT_RPR_545_22_KANAN_VIS_VISHAL_DNGबिलासपुर— कानन पेन्डारी वन विभाग अधिकारियों का चारागाह बन गया है। जानवरों के नाम पर हजारों रूपयों का बंदरबांट रोजाना हो रहा है। बंदरबांट में व्यस्त बेलगाम वन अधिकारी वन मंत्री के आदेश को भी हवा में उड़ा दिया है। एक साल बाद भी मिनी जू का मास्टर प्लान जू अथारिटी ऑफ इंडिया को नहीं भेजा गया । जबकि कानन जू अथारिटी ऑफ इंडिया के सभी शर्तों का पालन करता है। बावजूद इसके स्वार्थ में डूबे वन अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है। इतना ही नहींवन अधिकारियों ने नियम शर्तों को ताक पर रख जू क्षेत्र को व्यापारियों के हवाले कर दिया है।

                 ठंडे बस्ते में मास्टर प्लान

                                              बिलासपुर के चिन्हारी कानन पेन्डारी..सुनने और देखने में अच्छा लगता है। लेकिन इसके पीछे क्या कुछ हो रहा है किसी को पता नहीं है। दरअसल कानन पेन्डारी इस समय भ्रष्टाचार का बिलासपुर में सबसे बड़ा गढ़ बन चुका है।अधिकारियों के बीच इगो और बंदरबांट की लड़ाई में एक साल के बाद भी कानन पेन्डारी को मिनी जू का लिखित दर्जा हासिल नहीं हुआ है। यह जानते हुए भी कि कानन पेन्डारी जू अथारिटी ऑफ इंडिया के सभी मानकों को पूरा करता है।

                           बिलासपुर वन विभाग ने शर्तों को पूरा करने के बाद भी जू अथारिटी को मिनी जू मास्टर प्लान नहीं दिया है। बताया जा रहा है कि यहां से होने वाली कमाई में सभी अधिकारियों की नजर होती है। रूपयों के बंदरबांट में  अधिकारियों के बीच जबरदस्त झगड़ा चल रहा है। बताया जा रहा है कि तात्कालीन रेंजर ने मिनी जू का प्रस्ताव तो तैयार किया लेकिन आज तक नहीं भेजा। इसकी मुख्य वजह यहां से होने वाली अवैध कमाई है।बताया जा रहा है कि जानवरों को मिलने वाले मांस,टिकट और फूड स्टाल से अधिकारियों को रोजाना हजारों रूपए मिलते हैं। जिन अधिकारियों को हिस्सा कम मिला है उनमें गहरी नाराजगी हैं। यही कारण है कि मिनी जू का मास्टर प्लान आज तक परवान नहीं चढ़ सका है।

                         एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि तात्कालीन रेंजर मिनी जू दर्जा को लेकर काफी उत्साहित दिखाई दिए…लेकिन मास्टर प्लान को लेकर वे भीतर से बहुत अधिक गंभीर नहीं थे। अब नए प्रभारी आ गए हैं…तीन चार महीने बाद सेवामुक्त हो जाएंगे…इसलिए उनका ध्यान मास्टर प्लान से ज्यादा घर के प्लान में है।कुल मिलाकर कानन का मिनी जू मास्टर प्लान आने वाले समय में भी ठंडे बस्ते में ही रहेगा। कानन का जो भी प्रभारी होगा…वह मिनी जू प्लान से ज्यादा ध्यान अपने प्लान पर देगा।

वन मंत्री के आदेश की अनदेखीvan_gagda

               कानन पेन्डारी मिनी जू बने या ना बने अधिकारियों की कोई चिंंता नहीं है। जानकारी के अनुसार भ्रष्टाचार में डूबे वन अमले को वन मंत्री के आदेश का भी डर नहीं है। 22 सितम्बर को वन मंत्री के पत्र को वन विभाग ने आज तक गंभीरता से नहीं लिया है।

                      जानकारी के अनुसार वन मंत्री महेश गागड़ा ने 22 सितम्बर को जिला वन प्रशासन को पत्र जारी कर कानन पेन्डारी पेन्डारी मिनी जू में संचालित अवैध और बैध फूड काउंंटरों की जानकारी मांगी थी। वनमण्डलाधिकारी को लिखे पत्र में वन मंत्री ने मामले मे सक्षम अधिकारी से जांच के बाद फूड स्टाल की जानकारी सात दिनों के भीतर कार्यालय भेजने को कहा था। मंत्री ने जू क्षेत्र के अन्दर और बाहर फूड स्टाल लगाने में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। जांच की बात तो दूर वन विभाग ने आज तक पत्र को गंभीरता से नहीं लिया है।

                      आज भी जू के भीतर और बाहर प्रतिबंधित क्षेत्र में फूड स्टाल धड़ल्ले से चल रहे है। अधिकारी हजारों रूपए धड़ल्ले से वसूल रहे हैं। जानकारी के अनुसार जू क्षेत्र में बिना अनुमति कोई भी स्टाल नहीं लगा सकता है। बावजूद इसके कानन के भीतर और बाहर तीन दर्जन से अधिक फूड स्टाल बिना अनुमति चल रहे हैं।

                जानकारी के अनुसार जू के भीतर शासन ने केवल देवभोग को स्टाल लगाने को कहा था। अधिकारियों की तानाशाही और नीजि व्यवसायियो के आगे देवभोग स्टाल को कानन से भागना पड़ा। वन विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि देवभोग के स्टाल से अधिकारियों को किसी प्रकार का फायदा नहीं होना था। निजी स्टाल से अधिकारियों को महीने में हजारों रूपए का फायदा होता है। नाश्ता पानी अलग से हो जाता है। अधिकारियों और निजी व्यवसायियों की मिली भगत को देख देवभोग को कानन से जाना पड़ा।

 नहीं मिले सीसीएफ

                      IMG20161017165415  सीजी वाल टीम ने मंत्री के पत्र को लेकर सीसीएफ बी.आनंद बाबू से मिलने का प्रयास किया लेकिन सारे प्रयास बेकार साबित हुए। दो बार सीजी वाल की टीम को सीसीएफ के दरवाजे से करीब दो घंटे के  इंतजार के बाद लौटना पड़ा। बी.आनंद बाबू के कर्मचारियों ने बताया कि साहब इस समय फाइल साइन कर रहे हैं। कुछ देर बाद जानकारी मिली की अभी नहीं मिलेंगे। सीजी वाली की टीम ने फोन से सम्पर्क का प्रयास किया लेकिन उन्होने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा।

मंत्री से संपर्क का प्रयास

                  मिनी जू प्लान में देरी के कारणों और अवैध फूड जोन को लेकर सीजी वाल ने वन मंत्री गागड़ा को भी फोन लगाया। उन्होंने कहा कि मामले में कार्र्रवाई की जाएगी। पता लगाएंगे कि पत्र के अनुसार अधिकारियों ने क्या काम किया। शिकायत सही पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

                                                                              महेश गागड़ा,वन मंत्री,,,छत्तीसगढ़ शासन

 

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