कार्यशाला..संस्कृत में समग्र समाज का विकास

BHASKAR MISHRA
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12/8/2001 8:33 PMबिलासपुर—बिलासपुर विश्वविद्यालय सभागार में आज नई शैक्षनिक नीति विषय पर राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में देशभर के स्वनाम धन्य विद्वान शामिल हुए। सभी मेहमानों ने नई शैक्षनिक नीति के सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला। शिक्षाविदों ने वर्तमान शिक्षा नीति में मूल्यों के कम होने की बात पर चिंता जाहिर की। कमोबेश सभी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज की शिक्षा व्यवस्था व्यवहारिक कम बल्कि मशीनी ज्यादा है।
                                                                     मशीनीकरण के चलते आज के छात्र देश और समाज के हित में  कम खुद तक ज्यादा सिमट कर रह गये हैं। विद्वानों ने बताया कि सोच संकुचित होती जा रही है। जिसका असर भी अब धीरे-धीरे समाज और राष्ट्र देखने को मिलने लगा है।
                                                                               कुछ शिक्षाविदों ने नई शिक्षा नीति में संस्कृत की पढ़ाई को कम महत्व देने पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि संस्कृत ही एक ऐसी भाषा है जिसके अध्ययन से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है। संस्कृत एक मात्र विषय है जिसमें समग्रता की बात कही गयी है। वह हमें और हमारे समाज को जिम्मेदार बनाता है। विद्वानों ने शिक्षा नीति बनाने में समाज और शासन की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि बेहतर शिक्षा व्यवस्था एक व्यक्ति विशेष की ही जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सामुहिक प्रयास से इसे साकार किया जा सकता है
                                       कार्यक्रम में सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.बी.जी.सिंह, बस्तर विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर एन.डी.आर.चन्द्रा, कुशाभाऊ ठाकरे के कुलपति परमार, सागर विश्वविद्यालय के कुलपति आर.पी.तिवारी और मुख्य वक्ता के रूप में  अतुल कोठारी, नई दिल्ली,  यतीन्द्र षर्मा, विद्या भारती लखनऊ उपस्थित थे।
                      वक्ताओं ने भारत की नई शिक्षा नीति के संदर्भ में व्यापक विचार-विमर्श  किया और इसके सकारात्मक बदलाव के संबंध में बातें भी की।
अतुल कोठारी ने विष्वविद्यालय के स्वायत्तता के बारे में चर्चा की। उन्होंने उच्च शिक्षा  के गुणवत्ता के संदर्भ में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि देश  को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा।
कार्यशाला के दूसरे पाली में उपस्थितजनों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सुझाये गये 20 बिन्दुओं पर बारी-बारी से अपने सुझाव दिये।
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