…..कितना सक्रिय है जिला बोर्ड…रेप पीड़िता को कितना मिला न्याय…क्या पुलिस अभियान से आएगा बदलाव..?

BHASKAR MISHRA
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Rape, Chennai, Moving Train, Rpf, Rpf Constable, Bravery,बिलासपुर– दुष्कर्म जैसी वारदात आए दिन देश प्रदेश और जिलों में सुनने पढ़ने को मिलती हैं। लम्बी प्रक्रिया के बाद पीड़िता न्याय के दरवाजे तक पहुंचती है। हाल फिलहाल बिलासपुर पुलिस को महिलाओं के प्रति संवेदना अभियान को सम्मानित किया गया । सम्मान हासिल करने के बाद खुद पुलिस कप्तान आरिफ शेख ने कहा कि महिलाओं के लिए अभी बहुत किया जाना बाकी है। यद्यपि कानून में महिलाओं के मान सम्मान और अधिकार के लिए व्यापक प्रबंध है। बावजूद इसके समाज में अभी भी महिलाओं को लेकर बहुत प्रयास किया जाना बाकी है। समाज जब तक महिलाओं का सम्मान नहीं करेगा। तब तक किसी भी महिला को कानून सम्मत अधिकार मिलना मुश्किल है। पुलिस प्रशासन ने भी रेप पीड़िता को सामाजिक सम्मान दिलाने प्रयास करेगा। संवेदना इसी दिशा में उठाया गया एक अभियान है। लेकिन देखने में आया है कि रेप पीड़िता को वैधानिक न्याय मिलने के बाद भी सामाजिक न्याय नहीं मिलता है।

             
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                     पुलिस कप्तान ने बताया था कि जल्द ही बिलासपुर पुलिस प्रशासन रेप पीडिता के पुनर्स्थापन के लिए अभियान चलाएगा। पीडित महिलाओं को कानून सम्मत सम्मान और अधिकार के लिए काम करेगा।

 रेप पीड़िता के लिए प्रावधान

   कानूनी अधिकार से लेकर शासन और प्रशासन स्तर पर रेप पीड़िता को न्याय दिलाने हमेशा से प्रयास किया गया है। लेकिन देखने में आया है कि बहुत लोगों को जानकारी नहीं होने के कारण कानूनी अधिकार का लाभ नहीं मिल पाता है। यदि पुलिस कप्तान आरिफ शेख ने रेप पीड़िता को सामाजिक न्याय दिलाने का बीड़ा उठाया है तो निश्चित रूप से पुलिस साधुवाद के योग्य है।

             बताते चलें कि शासन प्रशासन ने रेप पीडिता के लिए कई प्रकार के कानूनी कदम उठाए गए हैं। लेकिन जानकारी नहीं होने के कारण बहुत ही कम लोगों को इसका फायदा मिलता है। आखिर शासन की तरफ से क्या कुछ कानूनी प्रावधान है जानने का प्रयास करते हैं।

                    प्रावधान के अनुसार लोगहित के लिए  लिए हर ज़िले में एक ज़िला बोर्ड होगा। जिला बोर्ड बलात्कार पीड़िता को मुआवज़े की राशि और पुनर्वास के लिए ज़िम्मेदार होगा। पीड़िता को मुआवज़े और दूसरी ज़रूरी सुविधाएं दिए जाने की याचिका पर बोर्ड ही फ़ैसला करेगा। पीड़िता के लिए क़ानूनी मदद, इलाज और मनोवैज्ञानिक सहायता का इंतज़ाम भी बोर्ड करेगा। यदि पीड़िता को रहने के लिए जगह चाहिए तो उसका भी इंतज़ाम जिला बोर्ड करेगा। राज्य की बनाई गई योजनाओं के तहत पीड़िता की पढ़ाई या किसी ट्रेनिंग के लिए बोर्ड काम करता है ताकि उसका पुनर्वास हो सके। प्रशासन को पीड़िता की सुरक्षा के लिए निर्देश देना होगा। अगर जांच अधिकारी को बदलने की ज़रूरत हो तो उसके लिए सुझाव भी देना जिला बोर्ड का काम है।

                   इसी तरह बलात्कार की घटना के 60 दिन के अंदर पीड़िता या नाबालिग पीड़िता के अभिभावक बोर्ड में मदद के लिए याचिका लगा सकते हैं। याचिका के लिए एफ़आईआर और मेडिकल रिपोर्ट की ज़रूरत होती है। इसकी जिम्मेदारी भी जिला बोर्ड को होगी।

               यद्यपि इस पर कितना कुछ काम हो रहा है बताना मुश्किल है। लेकिन पुलिस कप्तान के प्रयास से यदि पुलिस प्रशासन रेप पीड़िता के लिए न्याय दिलाने अभियान चलाने का फैसला किया है। तो निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक बदलाव को देखा जा सकता है।

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