कृषि बिल के विरोध के पीछे राजनीति अधिक , धीरेंद्र दुबे ने कहा – किसान संघ ने राष्ट्रपति को दिए प्रमुख सुझाव

Chief Editor
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बिलासपुर। भारतीय किसान संघ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए कृषि बिल को लेकर राष्ट्रपति को कुछ सुझाव भेजे हैं। संघ का कहना है कि अनाज  खरीदने वाले व्यापारियों का पंजीयन के साथ बैंक सिक्योरिटी होना चाहिए ।विवाद की स्थिति में कृषि न्यायालय को प्रभारी  बनाया जाना चाहिए। साथ ही कांट्रेक्चुअल फॉर्मिंग के तहत जमीन के मालिक को ही कृषक के रूप में परिभाषित किया जाना चाहिए ।ये बातें बिलासपुर जिला भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष धीरेंद्र दुबे ने एक बातचीत के दौरान कहीं।

             
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उन्होंने बताया कि  केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए कृषि बिल लोकसभा-  राज्यसभा से पारित हो चुके हैं ‌।यह बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा गया है‌। इस बिल के प्रावधानों को लेकर भारतीय किसान संघ ने  प्रमुख सुझाव राष्ट्रपति को लिखित में भेजे हैं ।जिसमें कहा गया है कि किसानों की उपज की खरीदी करने वाले व्यापारियों का पंजीयन करने के साथ ही उनकी बैंक सिक्योरिटी भी होनी चाहिए। साथ ही इस संबंध में पूरी जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध हो ।जिससे पूरी पारदर्शिता रहेगी। साथ ही किसानों को इस बात की गारंटी होगी कि उनकी उपज खरीदने वाले व्यापारी की ओर से समय पर भुगतान किया जाएगा ।किसान संघ ने विवाद की स्थिति में कृषि न्यायालय को प्रभावी बनाने का सुझाव भी दिया है । उनका कहना है कि कृषि न्यायालय जिला स्तर पर होना चाहिए ।जिससे समय पर विवाद का निराकरण हो सके । इसी तरह संघ ने यह भी सुझाव दिया है कि कांट्रेक्चुअल फार्मिंग में जमीन मालिक को ही कृषक की परिभाषा में शामिल किया जाना चाहिए  ।केवल वही व्यक्ति कृषक माना जाए ,जो केवल कृषि पर निर्भर है । ऐसा नहीं होने पर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का लाभ बड़े किसानों को ही मिलेगा। छोटे किसानों को इससे नुकसान हो सकता है।
धीरेन दुबे ने आगे बताया कि इस बिल के लागू होने के बाद भविष्य में इस बात की आशंका है कि कांट्रेक्चुअल फार्मिंग में किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। गुजरात का अनुभव बताता है कि वहां व्यापारियों ने किसानों के साथ करार किया था। जिसमें पहले से ही यह तय कर दिया जाता है कि फसल की क्वालिटी, आकार, प्रकार किस तरह होगा ।जबकि अनेक कारणों से किसान पहले से ही यह बताने की स्थिति में नहीं होता कि फसल की स्थिति क्या होगी ।
धीरेंद्र दुबे यह भी कहते हैं कि कृषि बिल को लेकर राजनीतिक विरोध अधिक हो रहा है। ‌पंजाब ,हरियाणा, राजस्थान ,उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अढतियों का प्रभाव अधिक है ।वह अपने हित की को लेकर ही विरोध की बात कर रहे हैं ।किसानों की चिंता उन्हें नहीं है ।एक सवाल के जवाब में धीरेंद्र दुबे ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए तीनों बिल को लेकर भारतीय किसान संघ के सुझाव मान लिए जाते हैं तो यह देश के सभी किसानों को मान्य होगा  और उपयुक्त भी होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि इसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है‌ जबकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि एमएसपी को समाप्त नहीं किया जाएगा ।जाहिर सी बात है कि केंद्र सरकार समर्थन मूल्य की पक्षधर है ।इस बात का प्रमाण इससे ही मिल जाता है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में कृषि उपज का समर्थन मूल्य घोषित किया है ‌सरकार समर्थन मूल्य लागू रखना चाहती है ।यह इस बात का प्रमाण है।
एक अन्य सवाल के जवाब में धीरेंद्र दुबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार ने प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान  खरीदी की सीमा निर्धारित की है ।इसे बढ़ाकर 20 क्विंटल किया जाना चाहिए ‌छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती सरकार भी प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की खरीदी करती रही है ।इससे वास्तविक रूप में किसानों को लाभ मिल सकेगा।।

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