कृषि शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की लम्बी छलांग,IGKV देश के सर्वश्रेष्ठ कृषि विश्वविद्यालयों में 12वें स्थान पर

Shri Mi
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रायपुर।छत्तीसगढ़ ने उच्च कृषि शिक्षा के क्षेत्र में लम्बी छलांग लगाई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने एक और उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए देश के सर्वश्रेष्ठ कृषि विश्वविद्यालयों में 12वां स्थान प्राप्त किया है। छत्तीसगढ़ में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह तथा कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों और प्रदेश के किसानों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।

             
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के कृषि शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 के लिए जारी कृषि विश्वविद्यालयों एवं कृषि शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग सूची में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर 12वें स्थान पर है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा यह रैंकिंग कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा किये गये कार्याें के मूल्यांकन के आधार पर जारी की जाती है। उल्लेखनीय है कि इस रैंकिंग सूची में पिछले वर्ष इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय 17वें स्थान पर था। रैंकिंग के मामले में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने देश के कई नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों को पीछे छोड़ यह मुकाम हासिल किया है।

भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् नई दिल्ली के कृषि शिक्षा डिवीजन द्वारा वर्ष 2017-18 के लिए देश के 63 कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिंग सूची हाल ही में जारी की गई है। ज्ञातव्य है कि वर्तमान में देश भर में 72 कृषि विश्वविद्यालय संचालित किये जा रहे हैं जिसमें से मात्र 63 कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिंग की गयी है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर की स्थापना 20 जनवरी 1987 को हुई थी। अल्पकाल में ही विश्वविद्यालय अपने सीमित संसाधनों के साथ देश के अनेकों पुराने एवं संसाधनयुक्त कृषि विश्वविद्यालयों की तुलना में सूची में अच्छा रैंक प्राप्त किया है। पिछले कुछ वर्षो में कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार के क्षेत्र में उल्लेखनीय  कार्यों के लिए विश्वविद्यालय को यह रैंक प्राप्त हुआ है।

वर्ष 2003 में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के अंतर्गत केवल चार कृषि महाविद्यालय संचालित थे जिनमें कुल 300 सीट थी। आज इसके अंतर्गत 38 निजी एवं शासकीय महाविद्यालय संचालित हैं। नये सत्र से महासमुंद, गरियाबंद, कुरूद, कोरबा, जशपुर एवं छुईखदान में नए कृषि महाविद्यालय प्रारंभ किये जा रहे हैं।

वर्ष 2003 में स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. की लगभग 100 सीट्स ही उपलब्ध थी जिसे बढ़ाकर लगभग 591 कर दिया गया है। इसी प्रकार शैक्षणिक सत्र् 2018-19 में कुल 421 सीटों की वृद्धि हुई है। स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. के छात्रों को देश के अग्रणी संस्थानों में शोध की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये 52 राष्ट्रीय शोध संस्थानों से एम.ओ.यू. किया गया है। इन संस्थानों में शोध करने वाले स्नातकोत्तर छात्रों को 5 हजार रू. मासिक एवं पीएच.डी. के छात्रों को 10 हजार रू. मासिक छात्रवृत्ति दी जाती है। इस प्रकार की सुविधा एवं छात्रवृत्ति देने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य है।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कृषि छात्रों को स्वरोजगार से जोड़ने एवं उन्हें उद्यमी के रूप में विकसित करने के लिए हम ‘‘चलो गांव की ओर’’ नाम से एक नया कार्यक्रम प्रारंभ किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत विद्यार्थी अपने अध्ययन काल में 3 वर्षों तक अपने खुद के खेतों पर कार्य करेगा एवं उन्हें विकसित करेगा। इस वर्ष राज्य के 142 छात्रों ने नेशनल इलीजीबीलीटी टेस्ट ‘‘नेट’’ की परीक्षा उत्तीर्ण की है और इस मामले में विश्वविद्यालय पूरे देश में तेरहवें स्थान पर है। कृषि शिक्षा में गुणात्मक सुधार के कारण विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय पहचान बनी है एवं इस कारण इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में 20 राज्यों के लगभग 400 छात्र अध्ययन कर रहे हैं।

कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में भी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की गई हैं। विगत 15 वर्षो मंें विश्वविद्यालय द्वारा 36 विभिन्न फसलों की लगभग 89 किस्में विकसित की गई हैं। धान की सुगंधित परंपरागत प्रजातियों को भी लोकप्रिय बनाने के लिए उसमें सेलेक्शन द्वारा दुबराज, बादशाहभोग, तरूणभोग, विष्णुभोग जैसी किस्में प्रसारित की गई हैं। पिछले वर्ष से विश्वविद्यालय ने बीज, खाद, कीटनाशक बेचने वाले एग्रीइन्पुट डीलर्स को प्रशिक्षण देने हेतु एक वर्षीय डिप्लोमा कार्यक्रम प्रारंभ किया है। इसके तहत अगले दो वर्षों में 5000 एग्रीइन्पुट डीलर्स को प्रशिक्षण दिया जायेगा।

इस कार्यक्रम से कृषि विस्तार का एक नया प्लेटफार्म तैयार होगा। आदिवासी क्षेत्रों के कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा पूर्व नक्सली एवं नक्सल प्रभावितों को कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मुर्गीपालन एवं मत्स्य उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे ये मुख्य धारा में शामिल होकर सामान्य जीवन यापन कर सकें। समन्वित कृषि प्रणाली अपनाने से इन कृषकों की आय 2-3 वर्षों में ही चार गुनी हो गई है। फसलों में लगने वाले कीड़े बीमारियों के पहचान् एवं उसके नियंत्रण ऑनलाइन जानने के लिए क्राप डॉक्टर, वेजिटेबल डॉक्टर, दलहन एवं तिलहन डाक्टर मोबाईल एप भी जारी किये गये हैं। यह एप इंटरनेट कनेक्शन के बगैर भी कार्य करते हैं।

कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के प्रांगण में एक ‘‘कृषि संग्रहालय’’ की स्थापना की गई है। यहां कृषि की नवीनतम तकनीकों को आसान ढंग से समझाया गया है। हमर छत्तीसगढ़ योजना के अंतर्गत राज्य भर से आने वाले किसान इसका अवलोकन करते हैं। विश्वविद्यालय में कृषि मंत्रालय द्वारा 95 अनुसंधान परियोजनायें संचालित हैं जिसमें से 11 को विगत वर्षो में देश की सर्वश्रेष्ठ परियोजना का पुरस्कार दिया गया है। भारत सरकार के इनफारमेशन टेक्नालाजी एवं इलेक्ट्रानिक्स मंत्रालय द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को सर्वश्रेष्ठ ई-गर्वनेन्स मॉडल का पुरस्कार प्रदान किया गया है।

इसके अलावा भी विश्वविद्यालय को कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने इस उपलब्धि के लिए विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों, प्राध्यापकों एवं समस्त कर्मचारियों को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की है कि विश्वविद्यालय आने वाले वर्षाें में देश के टॉप-10 विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल होगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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