बिलासपुर—इंदिरा गांधी के बाद पहली बार किसी महिला वित्त मंत्री ने भारत सरकार का बजट पेश किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश कर कई मिथकों और परम्परा को भी तोड़ा है। लोगों ने महिला वित्त मंत्री के बजट पेश किए जाने पर खुशी जाहिर की है। लेकिन महिलाओं के साथ पुरूषों ने बजट पर मिली जुली प्रतिक्रिया दी है। युवा नेताओं ने भी बजट प्रतिक्रिया पर खुलकर अपनी बातों को रखा है। एनएसयूआई और युवा भाजपा नेताओं ने बजट को लेकर अपनी बातों को खुलकर सामने रखा है। जहां एक तरफ कांग्रेस नेताओं ने बजट को विकास विरोधी तो भाजपा नेताओं ने क्रांतिकारी सोच के साथ पेश किया गया बताया है।
आधी आबादी के साथ धोखा…युवाओं में गहरी निराशा–अर्पित
एनएसयुआई प्रदेश सहसचिव अर्पित केशरवानी ने बताया कि अच्छी बात है कि आजाद भारत में दूसरी बार किसी महिला वित्त मंत्री ने देश का बजट पेश किया। इससे यह तो जाहिर होता है कि देश में महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है। लेकिन बजट सुनने और पढ़ने के बाद अहसास हुआ कि महिला होकर भी वित्तमंत्री ने देश की महिलाओं को धोखा दिया है। महिलाओं को ख्याली पुलाव पकाने का डेकचा थमा दिया गया है। आधी आबादी के बाद केन्द्र सरकार ने मुगालते में रखकर बजट पेश किया है।
अर्पित ने बताया कि बजट में युवाओं को निराशा हाथ लगी है। जबकि नई सरकार से युवाओं को बड़ी उम्मीद ती। लेकिन वित्त मंत्री ने युवाओं की उम्मीदों को करारा झटका दिया है। दरअसल युवाओं केलिए बजट में कुछ खास नहीं है। यद्यपि ने अर्पित ने यह नहीं बताया कि क्या कुछ खास चाहते थे। और महिलाओं के साथ कैसा धोखा हुआ है।
कांग्रेस के युवा नेता ने बताया कि मतदाताओं और नौजवान मतदाताओं ने बड़ी आशा के साथ नई सरकार को दुबारा मौका दिया। उम्मीद थी कि बेरोजगारों का दर्द कम होगा। लेकिन बजट में ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दिया है।बेरोजगारी दूर करने कोई खास उपाय का जिक्र नहीं है। बजट पूर्णत: गरीब और बेरोजगार युवाओं के लिए विरोधी है। मध्यम वर्गीय ठगा महसूस कर रहा है। पेट्रोल महंगा होगा। आम आदमी का जीना मुश्किल हो जाएगा। नौकरी पेशा वर्ग को कोई खास राहत नहीं है। छोटे दुकानदारो को के लिए किसी प्रकार की घोषणा नही की गयी है। किसानों को भी छला गया है। व्यापारियों को बजट ने रूला दिया है।
भाजपा नेता का दावा…..समझा गया आधी आबादी दर्द..मनीष अग्रवाल
भाजपा के युवा नेता मनीष अग्रवाल ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का ड्रीम प्रोजेक्ट पेश किया है। उम्मीदों भरा बजट होने के कारण औद्योगिक जगत में उत्साह है। गांव और गरीब जनता का विशेष ख्याल रखा गया है। बजट में युवाओं के लिए असीम संभावनाए है और बजट में प्रधानमंत्री मोदी के वादों को पूरा किया गया है। किसानों की आय दुगुनी होगी। किसानों को दलहन और तिलहन पैदावार के लिए विशेष प्रावधान किये गए हैं। कृषि व्यापार को बढ़ावा दिया गया है। किसानी में पूंजी निवेश का नया रास्ता दिखाया गया है। अर्थ व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। एससी एसटी महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान दिया गया है। महिला होने के नाते वित्त मंत्री ने आधी आबादी के दर्द को समझा और बूझा है।
मनीष अग्रवाल ने बताया कि बजट देश के लिए सर्वहारा समृद्धि और जन-जन को समर्थन वाला है। आम बजट से गरीबों को बल मिलेगा। युवाओं को बेहतर कल का दरवाजा खोलेगा। आम बजट में गरीब मध्यम और उच्च वर्ग व्यापार जगत सभी को स्थान दिया गया है। इनकम टैक्स से लेकर व्यापारी करो में राहत दी गयी है। मध्यमवर्गीय नौकरी पेशा वालों के लिए होम लोन, शिक्षा का लोन ज्यादा छूट का प्रावधान किया गया है। सर्वहारा सर्वहित आम आदमी के हिसाब से कृषि शिक्षा स्वास्थ्य और देश की सुरक्षा सैन्य शक्ति को बल देने वाला बजट है। निश्चित रूप से सीतारमण ने देश को सुनहरे रास्ते पर ले जाना वाला बजट पेश किया है।
मंहगाई डायन को बजट ने दिया बुलावा–मणिशंकर
कांग्रेस नेता मणिशंकर पाण्डेय ने बताया कि बजट ने आम आदमी के उम्मीदों को जबरदस्त धक्का दिया है। दरअसल बजट में ऐसा कुछ नया नहीं है…जिसे बताया जा सके। बजट पढने के बाद ऐसा लगा पुराने चादर को किसी डाई करवा कर जस के तहस पेश कर दिया गया । बजट में कही ऐसा नहीं लगा कि इसे गरीबों को ध्यान में रखकर तैयार किया है। पिछले पैतालिस सालों में इस पंचवर्षीय में बेरोजगारों की संख्या रिकार्ड तोड बढ़ा है। बावजूद इसके बेरोजगारों को राहत किस प्रकार दिया उसका जिक्र नहीं होना दुखद है।
मणिशंकर ने बताया कि बेरोगजार युवाओं का भविष्य अंधकार में जाता दिखाई दे रहा है। धान समर्थन मूल्य में नाममात्र की बृद्धि की गयी है। ऐसा लगा कि किसानों के साथ केन्द्र सरकार ने रश्म अदायगी की है। यह जानते हुए भी भारत कृषि प्रधान देश है। किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उम्मीद थी कि बजट में किसानों को विशेष तवज्जों दिया जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया। मंहगाई इस समय देश की सबसे बड़ी चुनौती है। बावजूद इसके नियंत्रित करने का कोई उपाय नहीं बताया गया है। उल्टा पेट्रोल डीजल की कीमतों में इजाफा कर देश की जनता की कमर तोड़ने का प्रयास किया गया है। दरअसल बजट पढ़ने से यही समझ में आया कि केन्द्र सरकार ने महंगाई डायन को बुलावा दिया है।