केन्द्र सरकार की ताजा रिपोर्ट:छत्तीसगढ़ को मातृ मृत्यु दर कम करने में मिली अच्छी सफलता

Shri Mi
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नईदिल्ली/रायपुर।मातृ मृत्यु दर को लगातार कम करने की दिशा में छत्तीसगढ़ को अच्छी सफलता मिली है। केन्द्र सरकार द्वारा नई दिल्ली में सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के एक विशेष बुलेटिन के रूप में जारी ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में मातृ मृत्यु दर जो वर्ष 2011 से 2013 के बीच प्रति एक लाख प्रसव पर 221 थी, वह वर्ष 2014 से 2016 के बीच 48 पाइंट घटकर 173 रह गई है। राज्य सरकार के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि इस अवधि में पूरे देश में मातृ मृत्यु दर 167 से घटकर 130 हो गई है। मातृ मृत्यु दर पर केन्द्रित यह विशेष बुलेटिन केन्द्रीय गृह मंत्रालय से सम्बद्ध जनगणना महानिदेशालय के रजिस्ट्रार जनरल (सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) कार्यालय द्वारा जारी किया गया है। जनगणना महानिदेशक द्वारा देश में जनगणना के साथ-साथ जन्म मृत्यु पंजीयन अधिनियम के तहत राज्यों के माध्यम से जन्म और मृत्यु दरों के आंकड़े भी संकलित किए जाते हैं।

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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री अजय चंद्राकर और महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशीला साहू छत्तीसगढ़ में मातृ मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी होने पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री अजय चंद्राकर और महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशीला साहू ने प्रसन्नता व्यक्त की है। मंत्री द्वय ने श्रेय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में प्रदेश में महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को दिया है। उन्होंने कहा कि कुपोषण मुक्ति, टीकाकरण अभियान और संस्थागत प्रसव को लगातार बढ़ावा देने के अच्छे नतीजे इस रूप में सामने आ रहे हैं।

श्री चंद्राकर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी प्रदेश के सभी परिवारों को गर्भवती माताओं का प्रसव सरकारी अस्पतालों में करवाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके फलस्वरूप राज्य में वर्ष श्रीमती रमशीला साहू ने बताया कि रमन सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में लगभग 50 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से महिलाओं को कुपोषण से बचाने और गर्भवती माताओं के टीकाकरण सहित उनकी सेहत का विशेष रूप से ध्यान रखा जा रहा है। मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को और भी कम करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं।

मंत्री द्वय ने कहा-रमन सरकार के इन प्रयासों से राज्य में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर लगातार कम होती जा रही है, वहीं शिशु मृत्यु दर में भी काफी कमी आई है। शिशु मृत्यु दर जो वर्ष 2003 में प्रति एक हजार प्रसव पर 70 हुआ करती थी, वह वर्ष 2016 तक कम होकर 39 रह गई है, वहीं इस अवधि में प्रदेश में कुपोषण की दर 52 प्रतिशत से घटकर 30 प्रतिशत के आसपास रह गई है। इस दौरान महिलाओं के संस्थागत प्रसव अर्थात अस्पतालों में प्रसव की दर 18 प्रतिशत से बढ़कर 74 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

प्रदेश सरकार के आंगनबाडी केन्द्रों में जहां वर्ष 2003-04 में लगभग 17 लाख 50 हजार गर्भवती और शिशुवती माताओं तथा नन्हें बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक आहार दिया जा रहा था, वहीं वर्ष 2017 में आंगनबाड़ी सेवाओं से लाभान्वितों की यह संख्या बढ़कर 27 लाख तक पहुंच गई। राज्य सरकार ने वर्ष 2016 से छत्तीसगढ़ के आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती माताओं को गर्म और ताजा भोजन भी दिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से आंगनबाड़ी केन्द्रों में टीकाकरण का कार्यक्रम भी सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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