कैसे बना कॉंग्रेस की जीत का रोडमैप…?? बदलाव की लहर को इन मुद्दो ने बदला आँधी मे…

Shri Mi
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बिलासपुर(सीजीवाल)।छत्तीसगढ़ मे विधानसभा चुनाव के परिणाम बताते है कि यहाँ के मतदाताओ ने इस बार बदलाव के लिए मतदान किया ।और 15 साल से प्रदेश मे सरकार चला रही बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया।कॉंग्रेस ने वक़्त का बदलाव का नारा दिया।यह नारा पूरी तरह से सफल रहा।साथ ही कॉंग्रेस कि तरफ से किसानो कि कर्ज़ माफी समेत बिजली बिल आधा  करने जैसे मुद्दो का भी व्यापक असर रहा।बीजेपी इसका जवाब नहीं दे सकी। और उसे पराजय का सामना करना पड़ा।इस चुनाव को शुरुवाती दौर से ही यह बात दिखाई दे रही थी कि छत्तीसगढ़ मे मुक़ाबला तीन कोने वाला होगा।आम तौर पर कॉंग्रेस भाजपा के मध्य सीधे मुकाबले वाले छग प्रदेश मे तीसरी ताकत के रूप मे जोगी कॉंग्रेस की मौजूदगी से इस बार पहले से ही तस्वीर दिलचस्प नज़र आ रही थी।

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शुरुवात से यह बात भी दिखाई दे रही थी कि बीजेपी इस आधार पर अपनी चौथी पारी को लेकर आश्वस्त थी कि जोगी कि पार्टी की वजह से कॉंग्रेस के वोट बिखरेंगे और बीजेपी की जीत सुनिचित होगी।

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दूसरी ओर कॉंग्रेस ने बदलाव का नारा दिया,साथ ही अपने घोषणा पत्र मे ऐसे मुद्दो को शामिल किया।जिसका संबंध आम लोगो की जिंदगी से जुड़ा हुआ था।किसानो का कर्जा माफ करने,धान का 2500 रुपए समर्थन मुकया देने और दो साल का बोनस व बिजली बिल माफ करने की घोषणा का जमीनी स्तर पर असर हुआ।15 साल से एक ही पार्टी की सरकार से ऊब चूके लोगो को कॉंग्रेस के इस वादे ने अपनी ओर आकर्षित किया।जिसकी झलक चुनाव नतीजो पर साफ नज़र आ रही है।

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इस बार कॉंग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के नेतृत्व मे लगातार जनता से जुड़े मुद्दो पर सड़क की लड़ाई लड़ी।किसान ,बेरोजगार,शिक्षकर्मी,जैसे मामलो मे कॉंग्रेस लोगो के साथ खड़ी हुई दिखाई देती रही।इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष तीस सिंघदेव,प्रदेश चुनाव संचालन समिति के चेयरमेन डॉ चरणदास महंत समेत सत्य नारायण शर्मा,रवीद्र चौबे,धनेन्द्र साहू,ताम्रध्वज साहू जैसे कई दिग्गज अपने अपने क्षेत्र मे सक्रिय रहे।हालांकि कॉंग्रेस कई मौको पर अपनी गुटबाजी को छिपा पाने मे नाकाम रही।फिर भी जनता के मध्य एकजुटता की छवि पेश करने मे भी पार्टी को सफलता मिली।जिसका असर चुनाव नतीजो पर नज़र आ रहा है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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