कोरोना काल में शिक्षा विभाग की नई चुनौती:शिक्षा के नए ट्रेंड में कितने लोगों तक पहुंच पाएगी ऑनलाइन पढ़ाई….?

Shri Mi
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बिलासपुर(मनीष जायसवाल)कोरोना काल के साये में छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग का 2019-20 शिक्षण सत्र दसवीं व बारहवीं  बोर्ड की अधूरी परीक्षा.. व बाकि के जरनल प्रमोशन  और डिजिटल प्लेटफार्म को लेकर आधिकारिक रूप में विदा हो चुका है।  स्कूल शिक्षा विभाग का सत्र 2020-21 नई चुनौतीयो के साथ  तैयारियों जुट गया है। बिता हुए सत्र की सबसे बडी खासियत “ऑन लाइन पढ़बो पढ़ाबो’ की नींव रखी गई है। जिसे भविष्य के ग्रामीण डिजिटल स्कूल की नींव कहा जा रहा है। इस अधूरी आन लाइन शिक्षण व्यवस्था का  आलोचकों ने  मुखर विरोध किया है। उनके नजरिये के अनुसार शिक्षा विभाग के छात्रों में… अमीर और गरीब , नेटवर्क ओर नेटवर्क रहित क्षेत्र के वर्गवाद शुरू हो गया है।इन सबसे बीच मोबाईल कंपनियों और नेटवर्क प्रोवाइडर्स के लिए ग्रामीण छत्तीसगढ़ में  व्यापार का नया द्वार खोल दिया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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शिक्षा विभाग की कुछ नीतियों के आलोचक व समाजसेवी उच्च न्यायालय के अधिवक्ता  रोहित शर्मा का कहना है कि cgschool.in पढ़ाई तुंहर द्वार  जिस पर भविष्य के महल खड़े करने के दावे विभाग के आलाधिकारियों द्वारा  किये जा रहे है…! वही उन दावों पर बहुत सी चुनौतीयो को नज़र अंदाज़  कर  विभाग सफलता के आंकड़ों की नुमाइश कर अपने ही आंकड़ों में उलझा हुआ है……! आन लाइन आंकडे   और जमीनी स्तर पर लोकहित कारी योजनाओं के कार्यक्रमो से  होने वाले लाभ हानि को नजरअंदाज नही किया जा सकता है। क्योकि प्रदेश के लगभग 80 से 90 प्रतिशत स्कूली छात्र ग्रमीण अंचलों से आते है। ये नौंनिहाल हमारे गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के भावी भविष्य है।

रोहित शर्मा का कहना है कि तसवीर के पीछे का हिस्सा तस्वीर से बहुत कुरूप होता है। जिसे कोई देखता नही यहां तक कि तस्वीर बनाने वाला भी दिखाना नही चाहता है। … पढ़ाई तुंहर द्वार भी कुछ ऐसा ही है। ठंडे ठंडे कमरे में ठंडे  शांत चित से बैठ कर इस कार्यक्रम को बनाया नही गया है। ग्राउंड लेवल तक अधिकारी पहुचे ही नही है। प्रदेश के स्कूली छात्रों की संख्या और पोर्टल में अंकित पंजीकृत छात्रो की संख्या का मेल यह बताने के लिए काफी है कि …”शिक्षा के समानता के आधार” के विश्वास को यह कार्यक्रम टीस पहुँचाता है..! अधिकारों की बात तो दूर है।

वही कुछ लोगो का मानना है कि  कोरोना काल मे  बनाया गया स्कूल शिक्षा विभाग का पढ़ाई तुंहर द्वार कार्यक्रम शहरी संपन्न और पढ़ाई में रुचि रखने वाले छात्रो के लिये अपनी कक्षा से जुड़े रहने का बेहतरीन माध्यम है। पड़ने के लिए बहुत सा डेटा वेबसाइट में आसानी से उपलब्ध है। बहुत सी ऑन लाइन कक्षा नए नए शिक्षको से बहुत कुछ सीखने का अवसर दे रही है। विभाग के दावों के अनुसार बहुत ही कम बजट में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा  विकसित किया गया पोर्टल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिकार्ड बना चुका है।

स्कूल शिक्षा विभाग के  हाईटेक अवतार पर पालक संघ के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल से एक चर्चा के दौरान  वे बताये है कि  प्रदेश के अफसर सरकारी स्कूल छात्रो का बालपन छीन रहे है। मई का महीना  हर साल  छुट्टियों का होता है । स्कूल प्रबंधन के सर्वे सर्वा अवार्ड लेने की होड़ में  जबरिया आन लाइन पढ़ाने के नाम पर छात्रो और पालकों परेशान कर रहा है। आठवी और दसवीं के छात्र अब मोबाईल की माँग कर रहे है। इस आन लाइन मोबाईल पढ़ाई से भविष्य में  छात्रों और पालकों को भविष्य में बहुत नुकसान होगा।

रजनीश ताम्रकर का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस छलावा है,वास्तविकता से कोसों दूर है।एक वर्चुअल क्लास महज कुछ ही मिनटों में निपटा ली जाती है जिसमे गिनती के लोग जुड़ते है।एक बार जिस स्कूल या टीचर ने क्लास की औपचारिकता पूरी कर ली उसके बाद अधिकांश पुनः आयोजन नही करते।विषय सामाग्री के नाम फेसबुक, यू ट्यूब से कंटेंट केवल डेटा खर्च का बोझ बढ़ा रहे है और बच्चो में दिनभर मोबाइल पकड़े रहने से आंखों पर दुष्प्रभाव पड़ता है एवम मनोवैज्ञानिक विकार भी बच्चे में बढ़ते देखे गए है।

वही एक पूर्व शिक्षक का मानना है कि पढ़ाई तुंहर द्वार कार्यक्रम को बोझ की तरह लदा जाना गलत  है। कोरोना काल मे शिक्षको को छात्रो से जोड़े रखने के लिए आन लाइन पढ़ाई का कार्यक्रम “पढ़ाई तुंहर द्वार’  को स्कूल शिक्षा विभाग ने बनाई तो छात्रो के भले के लिए है पर छात्रो का इससे भला नही होने वाला है।इसके उलट  भविष्य के लिए मोबाईल छात्रो के लिए एक बड़ी जरूरत बन कर उभर सकता है। जिसका दूसरे पहलुओं को देखा जाए तो छात्रो और पालकों को फायदा कम कसा न अधिक है। फायदे में तो मोबाइल कंपनियों और नेटवर्क प्रोवाईडरस को होगा। 

शिक्षा का नया ट्रेंड 

 शिक्षा के क्षेत्र के मौजूदा ट्रेंड को देखे तो भविष्य की शिक्षा व्यवस्था के आन लाईन शिक्षण का महत्वपूर्ण आधार दिखाई दे रहा है। शिक्षा विभाग भी अब तक कि अपनी वर्चुवल कक्षा के आंकड़ों के आधार पर यह मान कर चल रहा है कि शिक्षको को अब इसी पैर्टन में भविष्य में ट्रेनिंग होगी जिससे शासन का ट्रेनिंग पर होने वाला टीए. डीए. रहने- खाने, चाय-नाश्ता का खर्च बचेगा। जिससे शिक्षको को भी लाभ होगा। बिते वर्ष रायपुर में सभी विषयों के प्रदेश स्तरीय शिक्षको की छात्रो को पढ़ाने के नई तकनीको के प्रशिक्षण हो चुके है। निखार कार्यक्रम के भी कई दौर के प्रशिक्षण हो चुके है जो भविष्य में सब आन लाइन होंगे।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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