कोरोना के भय से छठ व्रतियों ने घर पर ही गुड़ की खीर व घी मिश्रित रोटी का लगाया भोग

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रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी)-कोरोना के भय के बीच नगर में छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर को गुड़ खीर व घी मिश्रित रोटी का भोग लगाकर खरना संपन्न किया और इसके साथ ही उनका 36 घंटे का निर्जला व निराहार व्रत शुरू हुआ। सूर्योपासना के महापर्व चैती छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन सोमवार को अस्ताचलसगामी सूर्य को श्रद्धालु अर्घ्य प्रदान किय। मंगलवार को श्रद्धालु उदीयमान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करके इस महापर्व के अनुष्ठान का समापन करेंगे। धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है। गौरतलब है कि बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश में छठ पूरी श्रद्धा और भक्ति से मनायी जाती है.। चैत माह में भी महती तादाद में श्रद्धालु छठ महापर्व करते हैं। हालांकि कोरोना के कारण इस बार कन्हर घाटों पर चैती छठ नहीं मनायी जा रही है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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पर घर पर ही श्रद्धालु श्रद्धा भाव से अपने अपने घर के कुआं पर ही गंगा स्नान करने और गंगाजल भर कर छठी मैया और हर-हर गंगे के जयकारे लगे। छठ के पारंपरिक गीत दर्शन देहू न आपार छठी मैया.उग हे सूरजदेव अरघ के बेरिया. गीत गाते महिला व्रतियों ने घरों में खरना और अर्घ्य के प्रसाद तैयार किये। शाम को व्रतियों ने पूरी भक्ति के साथ भगवान भास्कर को गुड़ -दूध की खीर,घी में बनी रोटी का भोग लगाया और खुद भी परिजनों के साथ प्रसाद ग्रहण किये।

सायंकालीन अर्घ्य आज : छठ महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन सोमवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया गया। जबकि मंगलवार की सुबह उगते सूरज को अर्घ्य प्रदान करके व्रत का पारण करेंगे। मान्यता है कि ईख के कच्चे रस,गुड़ के सेवन से त्वचा रोग,आंख की पीड़ा,शरीर के दाग-धब्बे समाप्त हो जाते है

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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