बिलासपुर— कोरोना वायरस महामारी को गंभीरता के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के स्वमोटो रिट याचिका के निर्देशों का पालन करते हुए जिला सत्र न्यायालय ने शनिवार को सुनवाई के बाद दस कैदियों को अन्तरिम जमानत पर छोड़ा है। विधिक प्राधिकरण की तरफ से मामले में चीफ लीगल एडवाइजर कुन्दन सिह क्षत्री के अलावा वकील कृष्ण कुमार पाण्डेय और अनामिका सिंह ने पैरवी की है।
सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश में जिला सत्र न्यायालय ने शनिवार को सुनवाई के बाद दस कैदियों को अन्तरिम जमानत में छोड़ा है। जानकारी हो कि कोरोना प्रकोप के मद्देनजर हाईकोर्ट की एडवायजरी को ध्यान में रखते हुए 43 कैदियों को अन्तरिम जमानत पर छोड़ने का फैसला लिया गया। ऐसे सभी 43 कैदियों की पहचान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष न्यायधीश एनडी तिगाला के निर्देश पर किया गया।
कृष्ण कुमार पाण्डेय और अनामिका सिंह ने शनिवार को कुल दस कैदियों को अन्तरिम जमानत पर छोड़ा गया है। शुक्रवार को 23 कैदियों को अन्तरिम जमानत पर छोड़ा गया था।अब तक कुल 33 कैदियों को अन्तरिम जमानत मिल चुकी है।
जिला सत्र न्यायालय ने जमानत देते समय कलेक्टर और एसपी को निर्देश दिया है कि जमानत पर छोड़े जा रहे सभी कैदियों को उनके निवास स्थान पर सुरक्षित पहुंचाया जाए।
जमानत पर छोड़े गए कैदियों के नाम
कृष्ण कुमार और अनामिका सिह ने बताया कि शनिवार को छोड़े गए दस कैदियों के नाम इस प्रकार है। इनमें प्रमुख रूप से मनीष खटिक, भोला ऊर्फ हीरादास, पंचराम लकड़ा, गोलू ऊर्फ राहुल वर्मा, जगदीश देवांगन, साजन प्रधान, लक्ष्मण साकेवाल कोरी, सरफराज आलम ऊर्फ गुड्डू, वाहिद खान और लाला ऊर्फ करन चौहान है।