कोरोना वायरसः समाज सेवक और कलाकारों ने बताया…यदि हमने किया.. तो टूट जाएगी महामारी की श्रृंखला

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-शासन प्रशासन के साथ ही युवा जगत में सक्रिय समाजसेवक और कलाप्रेमियों ने भी कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग छेड़ दिया है। कलाकार और समाज सेवक सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को लगातार जागरूक कर रहे हैं। संसाधनों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए लोगों से अपील कर रहे हैं कि लोग प्रशासन की मुहिम में कंधा से कंधा मिलाकर चलें। सीजीवाडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए
 
              कोरोना प्रकोप के खिलाफ कलाकारो और समाजसेवियों ने भी जंग का एलान किया है। युवा जगत में लोगों के बीच चर्चित सोशल एक्टिविस्ट रौनक साव ने बताया कि चूकि करोना वायरस हाल फिलहाल स्थित में लाइलाज है। लेकिन हम शासन प्रशासन के दिशा निर्देशों का पालन कर समस्या पर जीत हासिल कर सकते हैं। रौनक ने बताया कि आज पुूरी दुनिया कोरोना को लेकर हाहाकार है।भारत और छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं है। हमे अच्छी तरह से मालूम है कि भारत दुनिया का सर्वाधिक आवादी वाला देश है। हमारे सामने इतने बड़े प्रकोप से निपटने के लिए इलाज से ज्यादा सावधानी पर फोकस होना होगा।  
 
संसाधनों की भारी कमी
       
                    रौनक ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कोरोना से निपटने के लिए मेडिकल जगत भी असहाय है। रौनक ने आंका पेश करते हुए बताया कि प्रदेश को छोड़कर यदि बिलासपुर की बात की जाए तो पांच लाख से अधिक आबादी के लिए हमारे पास मेडिकल संसाधन नहीं है। यदि  पांच लाख में एक प्रतिशत लोग भी कोरोना का शिकार हो जाते है तो ऐसे लोगों की संख्या पांच हजार से अधिक होगी। यदि इसमें से दस प्रतिशत लोग भी गंभीर रूप से पाए गए तो यह संख्या पांच सौ से अधिक होगी। जानकारी हो कि हमारे शहर में इतनी संख्या में वेंटिलेटर भी नहीं है।
               
              रौनक ने बताया कि इस समय बिलासपुर जिले के सभी अस्पतालों में उपलब्ध वेटिंलेटर को मिला भी दिय़ा जाए तो संख्या 150-200 से अधिक नही है। इस बात की जानकारी उन्हें बेहतर है। जाहिर सी बात है कि यदि 150 वेटिंलेटर में से दस प्रतिशत वेंटिलेटर का उपयोग कोरोना पीड़ितों के उपयोग में होता है तो 90 प्रतिशत वेंटिलेटर का उपयोग अन्य गंभीर मरीजों के लिए होगा। जब एक प्रतिशत के हिसाब से कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या पांच सौ से अधिक होती है। तो जाहिर सी बात है कि हम इसके लिए कतई तैयार नहीं है। ऐसी सूरत में हमारी सामुहिक जिम्मेदारी है रोग से बचने का सबसे बड़ा उपाय सुरक्षा को गंभीरता के साथ अपनाएं। फिर देखिए  कोरोना प्रकोप को खत्म होने से कोई रोक नहीं सकेगा। 
 
जनता कर्फ्यू के पीछे वैज्ञानिक तर्क
             
                   ऐसा कुछ इत्तफाक चित्रकारी की दुनिया में मशहूर महिला कलाकार गुंजन मिश्रा भी रखती है। कलाकृति जगत में सम्मान के नजर देखे जाने वाली गुंजन मिश्रा ने बताया कि प्रशासन ने अब तक जितने भी इंतजाम किए हैं वह संतोष जनक है। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम प्रशासनिक निर्देशों का पालन गंभीरता के साथ करें। हम सबको मालूम होना चाहिए कि कोरोना का इलाज आज विश्व के किसी देश के पास नहीं है। ऐसी सूरत में सुरक्षा ही सबसे बड़ा उपाय है।
       
                 गुंजन ने बताया कि प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में जनता कर्फ्यू की बात कही है। जनता कर्फ्यू के पीछे लॉजिक है। यदि इसका पालन किया जाता है तो कोरोना वायरस पर हमारी काफी हद तक जीत सुनिश्चित है।
 
          गुंजन ने तर्क दिया कि चूंकि एक स्थान पर कोरोना वायरस का जीवन 12 घंटे होता है। जनता कर्फ्यू 14 घंटे के लिए होगा। इससे सार्वजनिक क्षेत्रों के स्थान या बिंदु जहां कोरोना से बचा जा सकता है। यदि कोरोना प्रभावित स्थान पर 14 घंटे तक कोई नहीं जाता है या छूता है तो इससे कोरोना की श्रृंखला का टूटना निश्चित है। 14 घंटे के बाद हमारे सामने सुरक्षित देश होगा।_*
 
            गुंजन मिश्रा ने बताया कि जनता कर्फ्यू के पीछे एक पुनीत सोच है। हमें जनता कर्फ्यू को ड्रिल के रूप में लेना होगा। भविष्य में यदि जनता कर्फ्यू के समय को बढ़ाया जाता है या अनिवार्य कर दिया जाता है तो तब भी हमें स्वीकार करना चाहिए।
 
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