क्या प्रदेश शासन से भी बड़े हो गये है, केडीपी राव ….?

Chief Editor
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SHASHI_KONHERBSP  0राजस्व मण्डल उनकी प्रायवेट प्रापर्टी नहीं है यह जान लें 

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    0 प्रदेश की छाती पे मूंग दलने वाले ऐसे अफसरों से पिण्ड छुडाये सरकार

( शशिकांत कोन्हेर ) इस सवाल का जवाब वाकई प्रदेश सरकार और उसके मुख्य सचिव को देना चाहिये कि क्या सीनियर आईएएस श्री केडीपी राव प्रदेश सरकार से भी बडे हो गये है ? क्या वो इतने बडे हो गये हैं कि सरकार के ऐसे निर्णय को भी पलट सकते हैं जो तकरीबन तेरह साल पहले बिलासपुर संभाग के हित में लिया गया हो । सभी जानते हैं कि छत्तीसगढ राज्य  गठन के बाद बिलासपुर का हक मारकर रायपुर को प्रदेश की राजधानी बना दिया गया । इसके बाद वकीलों और आम जनता के लंबे आंदोलन के पश्चात यह निर्णय लिया गया कि इसके एवज में बिलासपुर में हाइ्र्रकोर्ट की स्थापना की जायेगी और रेलवे टे्रब्यूनल समेत औद्योगिक प्राधिकरण की स्थापना यही की जायेगी ।लेकिन बाद में एम्स की तरह ही हिदायतुल्ला ला युनिवर्सिटी की स्थापना भी रायपुर में ही कर दी गई  । बिलासपुर के हिस्से में हाईकोर्ट और आधा अधूरा राजस्व मण्डल ही आया ।rajasaw mandal                                        बहरहाल इससें भी बिलासपुर ने संतोष कर लिया था, लेकिन अब प्रदेश के वरिष्ठतम आईएएस श्री केडीपी राव ने राजस्व मण्डल को भी रायपुर ले जाने की साजिशों को अंजाम देना शुरू कर दिया है । क्या उन्हे यह मालूम नहीं है कि प्रदेश सरकार ने राजधानी का सम्मान नहीं मिलने से हताहत बिलासपुर की जनता का मान रखने के लिये ही इसे राजस्व मण्डल के मुख्यालय से नवाजा था । तब फिर केडीपी राव ने यहां के कर्मचारियों को रायपुर ले जाने और बिलासपुर में कोर्ट लगने के दिनों में कटौती का आदेश किस हैसियत से दिया है । क्या उन्होने इसकी अनुमति प्रदेश सरकार से ली थी । क्या वे राजधानी बनने के सम्मान से वंचित बिलासपुर की जनता को दौ कौडी का समझते हैं ? या फिर उन्हे इस बात का घमण्ड है कि वे सीनियर आईएएस होने के नाते जो चाहे वो तुगलकी फरमान जारी कर सकते हैं । यह अच्छी बात है कि इस मुद्दे को लेकर मिलने पहुंचे अधिवक्ताओं को मंत्री श्री अमर अग्रवाल ने भरोसा दिलाया है कि वे इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात करेंगे और बिलासपुर का अहित नहीं होने देंगे । लेकिन यहां की जनता और इस मसले को लेकर आंदोलिन अधिवक्ताओं को इतने भर से चुप नहीं रहना चाहिये । उन्हे केडीपी राव सरीखे स्वेच्छाचारी अफसर को बिलासपुर और यहां की जनता की तौहीन करने का सबक जरूर सिखाना चाहिये । वैसे ये बिलासपुर और प्रदेश का दुर्भाग्य ही है कि राजस्व मण्डल मुख्यालय  बिलासपुर लाये जाने के बाद से ही जिस किसी सीनियर मोस्ट अधिकारी को उसका अध्यक्ष बनाकर भेजा गया ,वो या तो शासन से सदैव रूष्ट रहा या शासन उससे रूष्ट रहा । इसका खामियाजा बिलासपुर संभाग के लोगों और राजस्व मण्डल में तैनात कर्मचारियों को भुगतना पड़ता रहा है । राजस्व मण्डल के पहले अध्यक्ष श्री बी के एस रे से लेकर अजय सिंह और केडीपी राव तक  सब एक से एक और महान ? एक कपूर साहब राजस्व मण्डल का अध्यक्ष हुआ करते  थे, वो रहते तो रायपुर में थे, मगर सालों तक हर रोज अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से बिलासपुर का पानी वहां मंगवाया करते थे । एक राधाकृष्णन थे, जिन्हे सोने की अंगूठियां पहनने का ऐसा चस्का लगा था कि उंगलियां कम पड जाती थीं । वो माह में कई बार बिलासपुर से रायपुर और वहां से विमान पर सवार होकर बंगलोर जाया करते थे । ऐसा लगता था कि अध्यक्ष बनने वाला हर कोई शासन द्वारा उन्हे राजस्व मण्डल का अध्यक्ष बनाये जाने का बदला बिलासपुर के लोगों और कर्मचारियों से लेने पर उतारू रहा करते थे । ऐसा लगता है कि श्री केडीपी राव को भी अपनी बिलासपुर की तैनाती रास नहीं आई और उन्होने राजस्व मण्डल के बीस कर्मचारियों को रायपुर बुलाने के साथ ही कोर्ट के दिनों में कटौती का फरमान जारी कर यहां की जनता का अपमान किया है । राजस्व मण्डल का मुख्यालय बिलासपुर को खैरात में नहीं मिला है । प्रदेश की राजधानी होने का असल हकदार होने के बाद भी उससे महरूम किये जाने के ऐवज में बिलासपुर ने यह हासिल किया है । यह केडीपी राव की प्रायवेट प्रापर्टी नहीं है कि वे इसके बारे में चाहे जो तुगलकी फैसला लेने को वे  स्वतंत्र हों ।उन्हे अपने फरमान वापस लेकर खुद की समझदारी प्रदर्शित करने में जरा भी देर नहीं करनी चाहिये । वरना बिलासपुर के  लोगों को उन्हे समझाने के लिये आगे आने पर मजबूर होना पडेगा वो भी ठीक रेलवे जोन आंदोलन की तरह ……….।

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