रायपुर/बिलासपुर।प्रदेश में कोरोनावायरस सक्रमण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।अभी भी सिनेमाघर, मॉल, वैवाहिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक कार्यक्रम संचालित नहीं हो रहे हैं।ऐसे समय में छोटे बच्चों को स्कूल भेजने की चर्चा करना षड्यंत्र का ही एक हिस्सा है। कोरोना के दौर में मास्क सैनिटाइजर के बिना घर से लोग बाहर नहीं निकल रहे हैं।ऐसी स्थिति में बच्चे अपने कॉपी किताब के साथ खुद की देखरेख कर स्कूल में सोशल डिस्टनसिंग का पालन नहीं कर सकेंगे। शासकीय शालाओं में अध्यापन 16 जून से शुरू होता है। जनवरी में कोर्स पूरा कर परीक्षा ली जाती है और निजी स्कूलों में मार्च-अप्रैल से अपना सत्र शुरू कर देते हैं।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये
10 महीने के शिक्षास्तर को 12 महीने बनाने का कार्य निजी स्कूलों के द्वारा किया जाता है। ताकि प्रबंधन अपने फीस का निर्धारण कर सके। सरकारी स्कूल में उसी पाठ्यक्रम को 10 महीने के शिक्षा सत्र में पूरा किया जाता है। केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा 60 साल से अधिक हुआ 10 साल से कम के बच्चों को घर से बाहर निकलने की मनाही है।छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने स्कूल खोलने के पहले निजी स्कूलों की फीस निर्धारित कर पेरेंट्स को अवगत कराने की मांग की है।