क्यों बनाया घोटालेबाज को CEO…CM को खुला पत्र…80 लाख का किया है हेरफेर…राजनैतिक उठापटक से बैंक साख प्रभावित

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— सहकारिता क्षेत्र के सबसे बड़े संगठन के प्रमुख ने सीएम,सहकारिता मंत्री,मुख्य सचिव और सचिव सहकारिता को पत्र लिखकर जिला सहकारी बैंक में ताजा घटनाक्रम पर चिंता जाहिर की है। सहकारिता बैंक क्षेत्र के सबसे बड़े संस्थान और संगठन ने पत्र के माध्यम से सवाल किया है कि आखिर एक घोटालेबाज और जालसाज को जिला सहकारी बैंक बिलासपुर का सीईओ बनाया क्यों गया। आत्महत्या जैसा कदम उठाया क्यों गया।

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                आल इंडिया को-आपरेटिव बैंक एम्पलाई फेडरेशन ने जिला सहकारी बैंक बिलासपुर के ताजा घटनाक्रम  पर चिंता जाहिर की है। सीएम और सहकारिता मंत्री समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखकर बताया है कि राजेनैतिक और प्रशासनिक उठापटक के चलते बैंक की साख और व्यवसाय पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। न्यायालयीन आदेशों की रोज धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सहकारिता कानून को ढेंगा दिखाया जा रहा है। बावजूद इसके सरकार और प्रशासन मौन है।

                         फेडरेशन ने अपने पत्र में बताया है कि पिछले कई महीनों स जिला सहकारी बैंक संचालक मंडल और बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद को लेकर विवाद देखने को मिल रहा है। प्रशासनिक नजरअंदाजी के चलते बैंक की साख लगातार गिर रही है। प्रदेश के पंजीयक,सहकारी संस्था,अपैक्स बैंक और नाबार्ड मूक दर्शक बैठकर खेल को देख रहे हैं। बावजूद इसके संचालक मंडल सहकारिता अधिनियमों को रौंदने से बाज नहीं आ रहे। नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। घोटालेबाज को मुख्य कार्यपालन अधिकारी बना दिया गया है। यह जानते हुए भी उसने 80 लाख का घोटाला किया है। मार्कशीट भी फर्जी है।

                                    सीएम को संबोधित पत्र में फेडरेशन सचिव ने लिखा है कि सबको मालूम है कि सहकारी बैंक प्रदेश के किसानों की धड़कन है। कृषि कार्य के लिए किसानों का हमेशा जिला सहकारी बैंक पर विश्वास रहा है। शासन की महत्तवपूर्ण योजनाओं का संचालन भी सहकारी बैंकों से होता है। लेकिन ताजा घटनाक्रम ने सहकारी बैंक के साख पर बट्टा लगाया है।

             सचिव ने बताया है कि जिला सहकारी बैंक में करोड़ों रूपयों के घोटाले के बाद बैंक की वित्तीय स्थिति नाजुक थी। लेकिन कर्मचारियों के सहयोग और अथक प्रयास से घाटे को पाटा गया। बैंक की धारा 11 को पालन करने में बैंक सक्षम हुआ।  नाबार्ड और अपेक्स बैंक ने फीट और प्रापर के प्रावधानों को लागू करने का प्रावधान चलाया। इसमें पंजीयक की भूमिका सर्वोपरि थी।

                  बावजूद इसके आखिर वह कारण क्या था कि 80 लाख के घोटाले के आरोपी को मुख्यकार्यपालन अधिकारी बना दिया गया। मजेदार और हैरानी की बात है कि पंजीयक,नाबार्ड और अपेक्स बैंक मूक दर्शक बनकर केवल देख रहा है। आखिर कौन सी मजबूरी है कि संचालक मंडल सहकारिता नियमों और न्यायिक आदेशों की धज्जिया पर धज्जिया उड़ा रहा है और जिम्मेदार लोग चुपचाप नजारा देख रहे हैं। कहीं बैंक को फिर से डूुबाने की साजिश तो नहीं हो रही है।

                       सबको मालूम है कि सहकारिता बैंक को अपेक्स से मर्ज कर दिया गया है। योजना प्रक्रियाधीन है…यदि नियंत्रण नहीं रखा गया तो बैंक को नहीं बल्कि राज्य शासन को भारी क्षति होगी। किसानों का विश्वास टूटेगा। इसका असर राज्य शासन के कोष पर पड़ेगा।

                 फेडरेशन ने सीएम को अपने पत्र में बताया है कि जिला सहकारी बैंक में किसानों के रूपयों की खुलेआम लूट हो रही है। शासकीय राशि का बंदरबांट हो रहा है। बंदरबांट के लिए 80 लाख के घोटालेबाज को सीओ बना दिया गया है। यदि सरकार ने बैंक को डुबाना का फैसला ही कर लिया है तो हमें कुछ नहीं कहना..लेकिन किसानों के साथ अन्याय किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा।

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